Move to Jagran APP

छत्‍तीसगढ़ : 'हाथी' की चाल से कांग्रेस और भाजपा परेशान, जानें जांजगीर का चुनावी हाल

जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़ के उन क्षेत्रों में शामिल हैं जहां भरपूर खेती होती है। ऐसे में इस क्षेत्र में किसानों की अच्छी खासी तादाद है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 04:08 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 04:08 PM (IST)
छत्‍तीसगढ़ : 'हाथी' की चाल से कांग्रेस और भाजपा परेशान, जानें जांजगीर का चुनावी हाल
छत्‍तीसगढ़ : 'हाथी' की चाल से कांग्रेस और भाजपा परेशान, जानें जांजगीर का चुनावी हाल

रायपुर, राज्‍य ब्‍यूरो। छत्‍तीसगढ़ में नक्‍सली हिंसा के बाद मतदान कराना जहां चुनौतीपूर्ण बन गया है वहीं विभिन्‍न राजनीतिक पार्टियों के लिए भी यह मुकाबला काफी संघर्ष से भरा दिख रहा है। कोसा नगरी के जांजगीर चांपा में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है। बता दें कि यह सीट प्रदेश की एकमात्र अनुसूचित जाति आरक्षित सीट है। दो बड़ी पार्टी कांग्रेस और भाजपा को बसपा यहां कड़ी टक्कर दे रही है। खास कर पार्टी सुप्रीमो मायावती की सभा ने दोनों राजनीतिक दलों की चिंता और बढ़ा दी है।

loksabha election banner

तीनों दलों के प्रत्‍याशी के नाम में जुड़ा है पूर्व

इस सीट से तीनों प्रमुख दलों ने जो प्रत्याशी खड़े किए हैं, सभी के साथ पूर्व जुड़ा हुआ है। भाजपा प्रत्याशी गुहाराम अजगले पूर्व सांसद हैं। कांग्रेस प्रत्याशी रवि प्रकाशराम भारद्वाज पूर्व सांसद के पुत्र हैं। वहीं बसपा के दाउराम रत्नाकर पार्टी के पूर्व विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं। इस त्रिकोणीय संघर्ष में कभी एक तो कभी दूसरे का पलड़ा भारी दिख रहा है। इन सब के बीच कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी को बहारी बताते हुए स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वोटर इसे तवज्जो नहीं दे रहे हैं।

इस क्षेत्र में हैं किसानों की अच्‍छी खासी तादाद

जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़ के उन क्षेत्रों में शामिल हैं, जहां भरपूर खेती होती है। ऐसे में इस क्षेत्र में किसानों की अच्छी खासी तादाद है। किसानों को मोदी की योजनाएं पसंद आ रही हैं। जांजगीर में मिले प्रीतम देवांगन भाजपा की पेंशन योजना की सराहना करते हैं। कहते हैं कि भाजपा ने एक लाख तक ब्याज मुक्त कृषि ऋण देने की घोषणा की है, हालांकि छत्तीसगढ़ में ऐसी योजना पहले से चल रही है, लेकिन अन्य राज्यों के किसानों को भी इसका फायदा होगा।

किसान कर्ज से बदला है माहौल

किसान राज्य सरकार की कर्ज माफी और धान का समर्थन मूल्य ज्यादा दिए जाने से खुश हैं। कह रहे हैं कि पहली बार ऐसा हुआ कि किसान न केवल चुनावी मुद्दा बने हैं बल्कि उनके बारे में गंभीरता से सोचा भी जा रहा है। किशोर पांडेय कहते हैं कि राज्य सरकार ने जो राहत दी है हम उसका स्वागत करते हैं और सरकार का आभार भी मानते हैं, लेकिन यह किसानों की समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। सरकारों को स्थायी समाधान की दिशा में पहल करनी चाहिए।

जमीन अधिग्रहण के बाद भी अब तक नहीं लगे उद्योग

कृषि प्रधान जांजगीर-चांपा जिले में बड़ी संख्या में किसानों की जमीन विभिन्न् उद्योगों के लिए अधिग्रहित की गई है, लेकिन वहां अब तक उद्योग नहीं लगे हैं। ऐसे में यहां के लोग भी बस्तर के लोहांडीगुडा की तरह अब जमीन वापस करने की मांग कर रहे हैं। दरअसल यहां के नवागढ़ के गोधान, कुकदा और सलखन जैसे क्षेत्रों में बिजली संयंत्रों के लिए बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहित की गई है।

हमारी तो कोई सुन ही नहीं रहा

चांपा क्षेत्र देश ही नहीं दुनिया में भी उच्च क्वालिटी के कोसा के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन अब यह कारोबार ठंडा पड़ता जा रहा है। हैंडलुम को मशीनों से प्रतिस्पर्धा हो रही है। होरीलाल देवांगन कहते हैं कि बुनकरों की स्थिति दिन प्रति दिन बिगड़ती जा रही है, लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी के एजेंडें में हम शामिल नहीं हैं।

पूरा कुनबा कूदा चुनाव मैदान में

कांग्रेस प्रत्याशी का पूरा कुनबा चुनाव प्रचार में कूद पड़ा है। स्थानीय लोगों के अलावा संसदीय क्षेत्र के ज्यादार हिस्सों में उनकी रिश्तेदारी है। ऐसे में पत्नी और ब्याहता बहनों के साथ ही पूरे रिश्तेदार इस वक्त चुनाव अभियान में लगे हुए हैं।

मायावती की सभा से बढ़ी उम्मीदें

मौजूदा लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में बसपा सुप्रीमों मायावती की एकमात्र सभा जांजगीर-चांपा संसदीय क्षेत्र में ही हुई है। बहन जी की इस सभा से पार्टी कैडर बेहद उत्साहित है। यही वजह है कि पार्टी ने वहां पूरी ताकत झोंक दी है।

24 फीसद वोट हासिल करने में हुए थे सफल

दाउराम इससे पहले 2009 में भी जांजगीर संसदीय सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। उस चुनाव में उन्होंने साढ़े 17 हजार से अधिक वोट हासिल किया था, जो कुल मतदान का लगभग 24 फीसद था। पिछले आम चुनाव में पार्टी ने दूरराम बौद्ध को इस सीट से टिकट दिया था। वे साढ़े 12 हजार वोट हासिल किए थे, लेकिन जमानत नहीं बचा पाए थे।

विधानसभा में कांग्रेस का दबदबा

इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा सीटों के लिहाजा से इस बार कांग्रेस का पलड़ा भारी है। आठ में से चार सीट कांग्रेस के पास है। बाकी चार में भाजपा और बसपा के पास दो-दो सीट है। 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा के पास एक, कांग्रेस के पास दो और भाजपा के पाले में पांच सीटें थीं।

पिछली बार बढ़त में थी भाजपा

2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस से करीब 37830 वोट अधिक मिले थे। इस बार कांग्रेस 31687 वोट से आगे है। वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यह सीट 174950 वोट के अंतर से जीती थी।

गठबंधन में बीएसपी ने दिखाया दम

जांजगीर-चांपा जिले की छह में से दो विधानसभा सीट पर बसपा का कब्जा है। वहीं, संसदीय क्षेत्र की आठ में से तीन सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही। वहीं, चार सीट जीतने वाली कांग्रेस दो सीटों पर तीसरे व भाजपा भी दो सीट पर तीसरे नंबर पर ही। पार्टी का वोट शेयर भी इस बार बढ़ा है।

विधानसभा चुनाव में वोट गणित

पार्टी 2013 2018

  • भाजपा 448348 421367
  • कांग्रेस 410518 453054
  • बसपा 256671 338708

कुल वोटर- 1889873

  • पुरुष - 961612
  • महिला - 928226
  • अन्य - 35

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.