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बायोपिक 'पीएम नरेंद्र मोदी' के मेकर्स ने फिल्म के प्रमोशन को लेकर EC से मांगा स्पष्टीकरण

बायोपिक फिल्म पीएम नरेंद्र मोदी के मेकर्स ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा कि हम उन क्षेत्रों में फिल्म को प्रमोट करने का विचार कर रहे हैं जहां चुनाव समाप्त हो चुके हो।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 04:03 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 04:07 PM (IST)
बायोपिक 'पीएम नरेंद्र मोदी' के मेकर्स ने फिल्म के प्रमोशन को लेकर EC से मांगा स्पष्टीकरण
बायोपिक 'पीएम नरेंद्र मोदी' के मेकर्स ने फिल्म के प्रमोशन को लेकर EC से मांगा स्पष्टीकरण

नई दिल्ली,एएनआइ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित फिल्म पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया है कि फिल्म को फिलहाल रिलीज नहीं किया जाएगा। जब तक लोकसभा चुनाव नहीं हो जाते तब तक चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई फिल्म की रोक पर दखल देने से साफ इन्‍कार कर दिया है। इस बीच बायोपिक फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' के मेकर्स ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इसके रिलीज पर रोक के फैसले पर स्पष्टीकरण मांगा है। पत्र में कहा गया कि हम उन क्षेत्रों में फिल्म को प्रमोट करने का विचार कर रहे हैं, जहां 29 अप्रैल को चोथे चरण तक चुनाव समाप्त हो चुके हो, जो आचार संहिता कानून को भी प्रभावित नहीं करेगा।

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हाल ही में निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर बनी फिल्म (बायोपिक) के रिलीज होने पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले का समर्थन किया। सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि इस फिल्म को चुनाव तक रोकने का उसका निर्णय सही है। कोर्ट के निर्देश पर जिन अफसरों ने यह फिल्म देखी, उनकी राय है कि यदि मौजूदा चुनाव के बीच यह जारी हुई तो एक खास राजनीतिक दल को चुनावी लाभ मिलेगा। इसलिए, आयोग बायोपिक को 19 मई को मतदान के अंतिम चरण के बाद जारी करने की इजाजत देने का फैसला उचित मानता है।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई कर रही पीठ ने आयोग को अपनी रिपोर्ट फिल्म निर्माता के साथ साझा करने का निर्देश दिया था। फिल्म निर्माता ने ही चुनाव आयोग द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी। आयोग ने इस पर रोक लगाते हुए कहा था कि आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह की फिल्म को प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जा सकती। फिल्म निर्माता ने आयोग के फैसले को न्यायोचित नहीं माना है।


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