Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019: नई उड़ान की चाहत समेटे यूपी की VIP अमेठी सीट

एक तरफ जहां Rahul Gandhi के चुनाव अभियान की कमान Priyanka Gandhi Vadra संभाल रही हैं वहीं BJP की उम्मीदवार Smriti Irani पिछले पांच साल में ‘तुलसी’ बनकर घर-घर में जगह बना चुकी हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 09:15 AM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 09:28 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: नई उड़ान की चाहत समेटे यूपी की VIP अमेठी सीट
Lok Sabha Election 2019: नई उड़ान की चाहत समेटे यूपी की VIP अमेठी सीट

अमेठी, प्रशांत मिश्र। अमेठी की फिजां बदलने लगी है या फिर सब जैसा का तैसा है, स्थिर...? अमेठी की सीमा में घुसने से पहले यह सवाल हर किसी के मन में कौंधता है। मैं भी इसी भाव से पहुंचा था। पहले भी कई बार आना हुआ और बार-बार महसूस हुआ कि दशकों तक एक परिवार एक दल से जुड़ाव बहुत गहरा है। पर बदलते जमाने, विकास के लिए बदलती सोच का नतीजा कुछ ऐसा दिखने लगा है कि जुड़ाव अब जकड़न में बदल गया है। वह जकड़न जिसे धक्का दिया जाए तो टूट सकती है। बेशक, कईयों के मन में दुविधा है, लेकिन उड़ान की चाहत उन्हें डगमगा रही है।

loksabha election banner

खोने लगा भरोसा?
अमेठी से जहां गांधी नेहरू परिवार के चार सदस्य सांसद रहे हैं, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष Rahul Gandhi यहां से चौथी बार मैदान में हैं और पहली बार अमेठी से बाहर भी केरल की एक सीट वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं। यह चर्चा अमेठी में भी घर-घर हो रही है कि क्या राहुल ने अमेठी से दूरी बनाने का मन बना लिया है? क्या राहुल ने अमेठी की जनता पर भरोसा खोना शुरू कर दिया है?

आखिर पिछली बार उनकी जीत का मार्जिन भी तो घटकर एक लाख के आसपास हो गया था। गौरीगंज के सुवर्णराम इन आशंकाओं को खारिज करते हैं। कहते हैं- आप सब देश-विदेश के पत्रकार इहां काहे मंडरा रहे हैं। विकास हुआ कि न, इसकी बात मत करो, राहुल भैया इहां से चुनाव लड़त हैं इहै काफी है...। पर ऐसे भी काफी हैं जो सुवर्णराम से इत्तेफाक नहीं रखते। गौरीगंज के ही रामबरन कहते हैं- इह बार हमका लागत है कि दीदी के तरफ फैसला लेही क पड़ी। हमका पहली बार, हम, हमां परिवार और जैते नाते रिश्तेदार हैं, उनका सबका दीदी ही कै वोट दे कै पड़ी..।

बदल गई स्थिति...
बताते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व की ओर से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव से संपर्क साधा गया था। उसके बाद अखिलेश ने रायबरेली के विधायकों और प्रधानों को बुलाया था। बैठक में स्पष्ट किया गया था कि रायबरेली और अमेठी दोनों ही क्षेत्रों में कांग्रेस की मदद करनी है। रायबरेली में सपा के मंच पर प्रियंका का जाना इसकी पुष्टि करता है। लेकिन बताया जा रहा है कि अमेठी के सपा से जुड़े प्रधानों ने हाथ जोड़कर माफी मांग ली। उनका कहना था कि रायबरेली में तो मदद की जा सकती है, लेकिन अमेठी की स्थिति बदली है। सपा के नेता ने कहाइस बार अमेठी में परिवर्तन को कांग्रेस ने रोक लिया तो फिर यह रुक ही जाएगा।

विरासत को खोने का अर्थ...
पिछली बार राहुल गांधी की पौने चार लाख की मार्जिन घटकर एक लाख से कुछ ज्यादा बची रह गई है। दूसरी ओर स्मृति हर वर्ग को जोड़ने की कोशिश में हैं। इसी क्रम में वह यादवों के तीर्थस्थल नंदमहार में दिखती हैं। अमेठी में इस बार न तो सपा का कोई उम्मीदवार है और न ही महागठबंधन का। जाहिर है कि जाति का भाव भी फिलहाल यहां से गायब है। कांग्रेस पूरा जोर लगा रही है क्योंकि तीन-चार दशक की विरासत को खोने का अर्थ बहुत व्यापक होगा। लेकिन दूसरी तरफ भाजपा की फौज खड़ी है। भाजपा नेतृत्व अमेठी की दुविधा को समझ रहा है और इसीलिए यहां पूरा जोर है। मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा था, अब शनिवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का भी अमेठी में रोड शो है। भाजपा में चुनाव से मुक्त हुए सभी छोटे बड़े नेता अमेठी का दौरा जरूर कर रहे हैं और जनता इस मंथन में लगी है कि पुरानी डोर पकड़ी जाए या फिर डोर तोड़कर दौड़ लगाई जाए।

घर-घर पहुंची तुलसी...
दरअसल एक तरफ जहां राहुल के चुनाव अभियान की कमान प्रियंका गांधी संभाल रही हैं और नामांकन के बाद सातवीं बार और पिछले दो तीन दिनों से लगातार यहां डेरा जमाए बैठी हैं, वहीं भाजपा की उम्मीदवार स्मृति ईरानी पिछले पांच साल में ‘तुलसी’ बनकर घर-घर में जगह बना चुकी हैं। वह शायद पहली ऐसी प्रत्याशी हैं जो हारने के बावजूद अमेठी का दौरा एक चुनी हुई प्रतिनिधि की तरह करती रहीं। इन वर्षों में किसी गरीब के घर शादी-ब्याह हो और निमंत्रण आया हो या न आया हो, स्मृति की भेंट उन तक पहुंचती रही।

बतौर केंद्रीय मंत्री भी उन्होंने इसका ख्याल रखा कि अमेठी की जनता को दिल्ली बेगानी न लगे। जो आया उसे सुना, समझा और जितना संभव हुआ उसकी इच्छा पूरी कर भेजा। अभी हाल में अमेठी के किसी खेत में आग लगी तो स्मृति ही खुद ही हैंडपंप से पानी भरती भी देखी गईं कि आग बुझाई जा सके। कार्यकर्ताओं के साथ घर घर दरवाजा खटखटाती स्मृति और दूसरी ओर राहुल के लिए वोट की चाह में गली-गली घूमतीं प्रियंका के नजारे ने पुराने लोगों में भी दुविधा पैदा कर दी है, जबकि युवा वर्ग तो विकास की उड़ान भरने को बेकरार है। पिछली बार अमेठी संसदीय क्षेत्र की तिलोई और सलोन विधानसभा क्षेत्र में स्मृति को कम वोट मिले थे। इस बार इन दोनों क्षेत्रों में भी बदलाव की चाहत दिखने लगी है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.