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Lok Sabha Election 2019 : मतों के ध्रुवीकरण को रोकना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

Lok Sabha Election 2019. पिछली बार के परिणाम को दोहराने की कोशिश में विरोधियों के मतों के ध्रुवीकरण को रोकना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 12:28 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 12:28 PM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 :  मतों के ध्रुवीकरण को रोकना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
Lok Sabha Election 2019 : मतों के ध्रुवीकरण को रोकना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

जमशेदपुर, विकास श्रीवास्तव। Lok  Sabha Election 2019 भाजपा और मुख्य विपक्षी दल के प्रत्याशी के नाम फाइनल होने के बाद यह चर्चा फिजां में तैर रही है कि क्या इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा अपनी सीट बरकरार रख पाएगी। समर्थन व विरोध में तरह-तरह के तर्क के साथ ही जातिगत समीकरण के आधार पर गुणा-गणित लगाए जा रहे हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा यह जानने में अभी वक्त है।

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इतना जरूर है कि पिछली बार के परिणाम को दोहराने की कोशिश में विरोधियों के मतों के ध्रुवीकरण को रोकना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। यह इसलिए भी क्योंकि भाजपा के सामने महागठबंधन प्रत्याशी मुकाबिल है। भाजपा ने सिटिंग सांसद विद्युत वरण महतो पर दाव खेला है तो महागठबंधन ने यह सीट झामुमो को दी है जिसने साझा उम्मीदवार के रूप में विद्युत महतो के राजनीतिक गुरु चंपई सोरेन को मैदान में उतारा है।

आदिवासी-मुस्लिम मतों पर झामुमो, कुड़मी व शहरी पर भाजपा को उम्मीद

झामुमो के समर्थक मानते हैं कि चंपई को मैदान में उतारना एक रणनीतिक फैसला है। उनकी छवि एक कट्टर आदिवासी नेता के रूप में रही है। ऐसे में आदिवासी बहुल क्षेत्र में उन्हें भरपूर समर्थन मिलने की उम्मीद है। संसदीय क्षेत्र में आदिवासियों की अनुमानित आबादी साढ़े तीन से चार लाख के बीच है। समर्थक दलों में कांग्रेस व झारखंड विकास मोर्चा के कैडर वोट का समर्थन भी संयुक्त प्रत्याशी के रूप में चंपई को मिलेगा। जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिमों की अच्छी-खासी आबादी है। अगर इनका वोट एकमुश्त झामुमो की ओर गया तो भाजपा प्रत्याशी की राह कठिन हो जाएगी। वहीं भाजपा के लिए सबसे मजबूत पहलू मोदी की छवि है। जो एक बार फिर मोदी की सरकार चाहते हैं, भाजपा के साथ जाएंगे, प्रत्याशी चाहे कोई भी हो। भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो का कुड़मी समुदाय से होना उनके लिए मजबूत पहलू है। लोकसभा क्षेत्र में कुड़मियों की अनुमानित आबादी डेढ़ से दो लाख के बीच है।

विपक्षी गठजोड़ बनाम भाजपा का नाम

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में विद्युत वरण महतो 99,876 मतों के अंतर से जीते थे। यानि मुख्य प्रतिद्वंद्वी झाविमो के डॉ. अजय कुमार से उन्हें 99,876 मत अधिक मिले। झामुमो की कोशिश इस जीत के अंतर को पाटते हुए अधिक से अधिक समर्थन अपने पक्ष में करने पर है। 2014 में विद्युत वरण महतो को 4,64,153 मत जबकि झाविमो के डॉ. अजय को 3,64, 277 मत मिले थे। तीसरे स्थान पर रहे झामुमो प्रत्याशी निरूप महंती को 1,38,109 मत मिले। इस बार झामुमो, झाविमो व कांग्रेस एक साथ हैं। महागठबंधन की ओर से संयुक्त प्रत्याशी उतारने के कारण मुस्लिम मतदाताओं के सामने भाजपा का विकल्प झामुमो होगा। ऐसे में बहुत कुछ इसपर निर्भर करेगा कि किस क्षेत्र व किस समुदाय बहुल क्षेत्र से मतदान का प्रतिशत कितना रहे।


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