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मप्र में लोकसभा चुनाव सिर पर, भाजपा सांसदों और स्थानीय नेताओं के बीच नहीं थम रहे विवाद

Lok Sabha Election कई विधायकों और विधानसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों का आरोप, सांसदों ने किया विरोध में काम।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 12:51 PM (IST)Updated: Wed, 06 Feb 2019 12:52 PM (IST)
मप्र में लोकसभा चुनाव सिर पर, भाजपा सांसदों और स्थानीय नेताओं के बीच नहीं थम रहे विवाद
मप्र में लोकसभा चुनाव सिर पर, भाजपा सांसदों और स्थानीय नेताओं के बीच नहीं थम रहे विवाद

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। लोकसभा चुनाव सिर पर हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव की हार के बाद सांसदों और स्थानीय भाजपा नेताओं के बीच शुरू हुए विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इन विवादों से पार्टी के लिए कई सीटों पर मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। मंडला में पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और संपतिया उईके, बुंदेलखंड में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और सांसद प्रहलाद पटेल, मंदसौर में सुधीर गुप्ता बनाम यशपाल-सकलेचा, उज्जैन में चिंतामणि मालवीय और पारस जैन व मोहन यादव, खंडवा में नंदकुमार सिंह चौहान बनाम अर्चना चिटनीस, बालाघाट में पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन और सांसद बोध सिंह भगत के बीच विवाद लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

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इन नेताओं के बीच विवाद
प्रहलाद पटेल - दमोह सीट से सांसद प्रहलाद पटेल और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बीच पांच साल से पटरी नहीं बैठ रही है। विधानसभा चुनाव में भी संबंध बेहद तल्ख रहे। भार्गव ने एक सांसद प्रतिनिधि को चुनाव में खड़ा करने का आरोप भी लगाया। भार्गव के बेटे अभिषेक ने फेसबुक पर सांसद के खिलाफ बड़ी पोस्ट लिखी थी। प्रहलाद के साथजयंत मलैया के रिश्ते भी ठीक नहीं हैं।

नंदकुमार सिंह चौहान - पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस के साथ कई साल पहले से विवाद चला आ रहा है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद चिटनीस ने खुला आरोप लगाया कि उनके खिलाफ खड़े हुए निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह शेरा को चौहान ने सपोर्ट किया। इसी सीट के विजय शाह, देवेंद्र वर्मा और टिकट काटे जाने से लोकेंद्र सिंह तोमर भी चौहान से नाराज हैं।

बोधसिंह भगत - बालाघाट सांसद बोधसिंह भगत का पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन के साथ विवाद सार्वजनिक मंच पर गाली-गलौज तक पहुंच चुका है। भगत का टिकट काटे जाने और बिसेन की बेटी मौसम को टिकट दिए जाने को लेकर कवायद चल रही है। यहां आठ में से मात्र तीन सीट पर भाजपा जीती है। पूर्व सांसद केडी देशमुख से भी भगत की पटरी नहीं बैठ रही।

सुधीर गुप्ता - मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता के खिलाफ कई विधायक हैं। जिले के वरिष्ठ नेता यशपाल सिंह सिसोदिया, ओमप्रकाश सकलेचा, राजेंद्र पांडे और जगदीश देवड़ा सांसद से नाराज हैं। यशपाल ने तो पार्टी से शिकायत की थी कि सांसद ने उनके विधानसभा क्षेत्र में विरोधियों का साथ दिया।

चिंतामणि मालवीय - उज्जैन सांसद मालवीय से स्थानीय विधायक मोहन यादव और पारस जैन नाराज हैं। मालवीय को लेकर क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप है। पार्टी के समक्ष तराना से भाजपा प्रत्याशी रहे अनिल फिरोजिया ने तो हारने के लिए मालवीय को जिम्मेदार ठहराया।

गणेश सिंह - सतना सांसद गणेश सिंह के खिलाफ ओबीसी बनाम सामान्य विवाद चल रहा है। शंकरलाल तिवारी और सांसद के बीच तो पहले से ही तल्ख रिश्ते रहे हैं। रामपुर बघेलान से जीते विक्रम सिंह ने विधानसभा चुनाव में सिंह पर विरोध करने का आरोप लगाया था। सांसद के बारे में कहा जाता है कि वे सिर्फ ओबीसी लोगों की ही मदद करते हैं।

कहीं संकट का सामना न करना पड़ जाए
पार्टी सूत्रों के मुताबिक सीधी सांसद रीति पाठक, शहडोल सांसद ज्ञानसिंह, मंडला सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते, धार सांसद सावित्री ठाकुर, भोपाल सांसद आलोक संजर सहित कई सांसद स्थानीय स्तर पर पार्टी के ही नेताओं का विरोध झेल रहे हैं। ऐसे हालात में लोकसभा चुनाव में पार्टी को संकट का सामना करना पड़ सकता है।

आंतरिक लोकतंत्र है पार्टी में
किन्हीं समसामयिक विषयों पर सहमति या असहमति को विवाद नहीं कहा जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है। हम सभी वरिष्ठ नेता भी इन सब विषयों पर ध्यान देते रहते हैं।
- डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रदेश प्रभारी एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा मप्र


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