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Rajasthan Election 2019: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को करारा झटका

चित्तौड़गढ़ जिले की रावतभाटा नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में बहुमत के बावजूद मिली विफलता भाजपा ने लगाया सत्ता के दुरुपयोग का आरोप

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 03:26 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 03:26 PM (IST)
Rajasthan Election 2019: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को करारा झटका
Rajasthan Election 2019: लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को करारा झटका

उदयपुर, जेएनएन। लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में भाजपा को चित्तौड़गढ़ जिले में करारा राजनीतिक झटका लगा है। एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत बेगूं विधानसभा क्षेत्र में शामिल रावतभाटा नगरपालिका बोर्ड के अध्यक्ष पद के उपचुनाव में पार्षद दल में भाजपा का बहुमत होते हुए कांग्रेस प्रत्याशी धर्मेन्द्र तिल्लानी अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी अनुसुइया नागर को 13 मतों से हराया। कांग्रेस के धर्मेन्द्र को 19 तो भाजपा की अनुसुइया को 6 मत प्राप्त हुए। जबकि पालिका के 25 पार्षदों में से 15 भाजपा के है।

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कांग्रेस प्रत्याशी की जीत में विधायक राजेन्द्रसिंह विधुड़ी की भूमिका अहम मानी जा रही है। गौरतलब है कि भाजपा के पालिकाध्यक्ष बंशीलाल प्रजापत ने पिछले दिनों विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार को लेकर उठे सवालों के बीच इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा मंजूर होने के बाद गुरुवार को यह चुनाव हुआ। तिल्लानी रावतभाटा नगरपालिका के 20 वें अध्यक्ष हैं।

भाजपा पार्षदों की क्रॉस वोटिंग से जीते धर्मेंद्र

पालिका बोर्ड में 25 पार्षदों में से 15 भाजपा, 7 कांग्रेस व 3 निर्दलीय हैं। मतों की संख्या का आंकड़ा तो भाजपा पार्षदों का ज्यादा है। लेकिन भाजपा पार्षदों में लंबे समय से चल रह खींचतान के चलते 9 भाजपा के पार्षदों ने कांग्रेस प्रत्याशी को मत दिया। मतदान स्थल पर 15 में से 9 भाजपा पार्षद मतदान करने एक साथ गए थे। रिटर्निंग अधिकारी व उपखंड अधिकारी रामसुख गुर्जर ने बताया कि मतों की गणना के बाद कांग्रेस के धर्मेन्द्र को 19 तो भाजपा की अनुसुइया को 6 मत प्राप्त हुए। धर्मेन्द्र को 13 मतों से विजयी घोषित कर पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। विधायक राजेन्द्र सिंह विधूड़ी ने तिल्लानी को अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाया।

कांग्रेस पर सत्ता के दुरूपयोग का आरोप

भाजपा जिलाध्यक्ष रतन लाल गाडरी का कहना है कि रावतभाटा नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की सत्ता का दुरूपयोग कर हमारे पार्षदों को प्रभावित किया। उन्हें डराने धमकाने का प्रयास भी किया गया। इसी के चलते बहुमत नहीं होने पर भी कांग्रेस का अध्यक्ष बन गया। 


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