पश्चिम बंगाल: लाइट कैमरा एक्शन से इतर दिख रहा टशन, दो सितारे जमीं पर उतरे हैं आमने-सामने
आसनसोल में दो सितारे जमीं पर उतरे हैं बिल्कुल आमने-सामने। सिंगर बाबुल सुप्रियो वर्तमान में सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं तो उनके सामने खड़ी हैं अदाकारा मुनमुन सेन।
आसनसोल, आशीष झा। पश्चिम बंगाल के औद्योगिक-व्यापारिक केंद्र आसनसोल में दो सितारे जमीं पर उतरे हैं, बिल्कुल आमने-सामने। युवा दिलों की चाहत सिंगर बाबुल सुप्रियो वर्तमान में सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं तो उनके सामने खड़ी हैं प्रख्यात अदाकारा मुनमुन सेन।
यहां चौथे चरण यानी 29 अप्रैल को मतदान है। बंगाल में इन दोनों कलाकारों की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। दोनों के अपने-अपने फैन और मुद्दे रहे हैं। कांग्रेस और वामपंथियों की इस सीट पर भाजपा ने सेंधमारी की है तो तृणमूल कांग्रेस इस सीट पर पहली बार कब्जा जमाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। लाइट, कैमरा, एक्शन जैसे शब्दों के इर्दगिर्द दोनों कलाकारों का समय बीतता रहा है, लेकिन अब इनके सामने एक अलग टशन है, जीत के लिए दोनों की टीम दिन रात सक्रिय है।
वामपंथियों का हौसला भी कम नहीं है और वे कई इलाकों में मुकाबले में दिख रहे हैं। आसनसोल महानगरपालिका से थोड़ी दूर हटकर नाली किनारे भाजपा नगर मंडल का कार्यालय है। यहां भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य शंकर चौधरी से मुलाकात होती है। बड़े हर्ष से बताते हैं कि एक बार फिर बाबुल ने मोर्चा थाम लिया है। भाजपा के कार्यकर्ता उनको जिताने के लिए दिनरात एक किए हैं।
कहते हैं, जहां-जहां बाबुल का शो होगा मतदाता बंधे चले आएंगे, लेकिन मुनमुन सेन को भी कमजोर नहीं आंकते। तृणमूल उम्मीदवार मुनमुन सेन की ओर से भी मोर्चेबंदी कमजोर नहीं है। तृणमूल विधायक सह मेयर जितेंद्र तिवारी अपनी रणनीति भी बताते हैं। कहते हैं, पिछले चुनाव में हम धार्मिक मोर्चे पर हार गए थे। इस बार पार्टी इस मोर्चे पर पूरी तरह से मुस्तैद है और क्षेत्र में धार्मिक उन्माद को रोकने की जिम्मेदारी हमने उठाई है। धार्मिक कार्यक्रम भी तय किए गए हैं।
क्षेत्र में चार दर्जन मंदिरों में शिवचर्चा का आयोजन किया जा रहा है और इन कार्यक्रमों में तृणमूल के विधायक पहुंचेंगे। मकसद साफ है, धर्म के प्रति साफ्ट कॉर्नर दिखाकर पार्टी इस सीट को भाजपा के कब्जे से मुक्त कराना चाहती है। भाजपा की ओर से भी धार्मिक कार्यक्रमों की पूरी फेहरिस्त तैयार है। कई में प्रत्याशी स्वयं जाएंगे।
वामपंथियों के गढ़ से यह सीट भाजपा की झोली में दिलाने पर सुप्रियो को इनाम भी मिला और उन्होंने केंद्रीय मंत्री बने। यहां उनके साथ-साथ पार्टी की प्रतिष्ठा भी दांव पर है सो वह स्वयं और पार्टी के कार्यकर्ता भी मेहनत में कहीं कंजूसी नहीं कर रहे हैं।
वामपंथियों के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी है, लेकिन फिलहाल यहां लाल झंडा दूर ही दिख रहा है। मेन रोड पर ही वामपंथी विचारधारा से प्रभावित सुदीप्तो मंत्री पर चोट करते हैं। सवाल उठाते हैं कि जब से वह भारी उद्योग मंत्री बने हैं तबसे क्षेत्र की दो बड़ी कंपनिर्य हदुस्तान केबल्स लिमिटेड और बर्नपुर स्थित बर्न स्टैंडर्ड कंपनी बंद हो गई है। सैकड़ों लोगों ने रोजगार गंवाया है। क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस भी इसे मुद्दा बनाने जा रही है।