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Lok Sabha Election 2019: अनंतनाग में कम मतदान से चिंतित प्रत्याशियों को अब कुलगाम से उम्मीद

अनंतनाग में 5.29 लाख मतदाताओं में से मात्र 71923 ने ही वोट डाले हैं। इससे सभी उम्मीदवार परेशान हैं लेकिन पीडीपी नेकां और कांग्रेस में ज्यादा बेचैनी है

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 27 Apr 2019 11:26 AM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2019 11:26 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: अनंतनाग में कम मतदान से चिंतित प्रत्याशियों को अब कुलगाम से उम्मीद
Lok Sabha Election 2019: अनंतनाग में कम मतदान से चिंतित प्रत्याशियों को अब कुलगाम से उम्मीद

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। देश और प्रदेश के चुनावी इतिहास में एक नया कीर्तिमान बनाने जा रहे अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र में पहले चरण में हुए कम मतदान से परेशान राजनीतिक दलों की नींद शोपियां-पुलवामा के सुरक्षा परिदृश्य ने उड़ा दी है। फिलहाल, सभी राजनीतिक पार्टियां दूसरे चरण में 29 अप्रैल को शत-प्रतिशत मतदान को यकीनी बनाने के लिए जोर लगा रही हैं, ताकि किसी तरह अपनी जीत को सुनिश्चित कर सकें।

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दक्षिण कश्मीर के चार जिलों अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां पर आधारित अनंतनाग-पुलवामा संसदीय क्षेत्र पूरे देश का अब तक एकमात्र ऐसा क्षेत्र है,जहां संसदीय चुनाव के लिए तीन चरणों में मतदान कराया जा रहा है। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर समेत 18 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। पहले चरण में 23 अप्रैल को मतदान हो चुका है, जबकि जिला कुलगाम में 29 व पुलवामा और शोपियां में छह मई को मतदान होगा। छह विधानसभा क्षेत्रों पर आधारित जिला अनंतनाग में मात्र 13.63 फीसद मतदान हुआ है। अनंतनाग में 5.29 लाख मतदाताओं में से मात्र 71923 ने ही वोट डाले हैं। इससे सभी उम्मीदवार परेशान हैं, लेकिन पीडीपी, नेकां और कांग्रेस में ज्यादा बेचैनी है क्योंकि मुख्य मुकाबला इन्हीं तीन दलों के बीच है।

पुलवामा-शोपियां में पीडीपी को मतदान की उम्मीद

पुलवामा, शोपियां और कुलगाम में करीब 8.5 लाख मतदाता हैं। पुलवामा और शोपियां के मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य और जमात ए इस्लामी के प्रभाव को देखते हुए कोई भी दल इन दोनों जिलों में जहां 6 मई को मतदान होना है, ज्यादा उम्मीद नहीं लगाए हुए हैं। सिर्फ पीडीपी को ही इन दो जिलों में अपने लिए कुछ वोटों की उम्मीद है, क्योंकि जिला शोपियां के दोनों विधानसभा क्षेत्रों शोपियां और वाची के अलावा जिला पुलवामा के पुलवामा, राजपोरा, पांपोर और त्रल में उसने ही वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। लेकिन इन दोनों जिलों में बीते 30 सालों के दौरान अकसर मतदान का फीसद अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार से प्रभावित रहता है। कांग्रेस और नेकां का इन जिलों में ज्यादा प्रभाव नहीं हैं।

सभी राजनीतिक दलों का ध्यान चार विधानसभा क्षेत्र पर

इन हालात को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने अपना पूरा ध्यान चार विधानसभा क्षेत्र कुलगाम, देवसर, नूराबाद और होमशालीबुग पर आधारित कुलगाम में मतदान को शत- प्रतिशत कराने के लिए अपना पूरा जोर लगा रखा है। लेकिन इन चार विधानसभा क्षेत्रों में सिर्फ तीन क्षेत्रों नूराबाद, देवसर और होमशालीबुग में ही ज्यादा मतदान की उम्मीद की जा रही है। इन तीनों सीटों में एक-एक जगह पीडीपी, कांग्रेस और नेकां ने पिछला विधानसभा चुनाव जीता है, जबकि कुलगाम में माकपा प्रत्याशी मोहम्मद युसुफ तारीगामी ने वर्ष 2014 का विधानसभा चुनाव जीता था। पूरे जिले में करीब साढ़े तीन लाख मतदाता हैं। सभी दलों ने अपना पूरा ध्यान इसी जिले पर केंद्रित कर रखा है। सभी चाहते हैं कि उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में मतदान शत प्रतिशत नहीं तो कम से 80 प्रतिशत हो, ताकि तीसरे चरण के मतदान से पहले ही वह अपनी जीत को लेकर निश्चित हो जाएं।

नूराबाद, देवसर व होमशालीबुग में होता है अधिक मतदान

दक्षिण कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार और कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ मकूबल वीरे ने कहा कि अनंतनाग के बाद जिला कुलगाम ही दक्षिण कश्मीर का वह इलाका है जहां मतदान को लेकर लोग बाहर निकलते हैं। हालांकि, इस जिले के काजीगुंड, रेडवनी, खुडवनी जैसे इलाकों में विशेषकर जिला कुलगाम के आस-पास के इलाकों में आतंकियों का प्रभाव है, इसका असर मतदान पर पड़ सकता है। लेकिन नूराबाद, देवसर व होमशालीबुग में आतंकियों का ज्यादा प्रभाव नहीं है। इन तीन विधानसभा क्षेत्रों में लगभग अढ़ाई लाख मतदाता हैं। इसलिए सभी प्रयास कर रहे हैं कि मतदान 80 प्रतिशत से ऊपर जाए।

सियासी गतिविधियां का गढ़ रहा अनंतनाग और कुलगाम

उन्होंने कहा कि अनंतनाग-पुलवामा के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से अगर इस पूरे क्षेत्र में हुई रैलियां व सभाओं को देखा जाए तो अनंतनाग और कुलगाम में ही सियासी गतिविधियों का गढ़ रहा है।


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