Exit Poll 2019: अब क्या करेंगे अखिलेश यादव और मायावती, जानें यहां
Exit Poll 2019 एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार Mayawati और Akhilesh Yadav के महागठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं। साथ ही उनके भी राजनीतिक करियर पर सवाल खड़े हो गए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग के बाद शाम को आए चुनावी एग्जिट पोल्स के मुताबिक 2019 में एनडीए की सरकार बन रही है। पोल्स के आंकड़ों के मुताबिक, एनडीए को जहां बहुमत से ज्यादा 300 के करीब सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं, यूपीए और महागठबंधन बहुत पीछे बताए गए हैं। यूपी में भी भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ आगे है। मायावती और अखिलेश के गठबंधन को बहुत कम सीटें मिलने की बात कही जा रही है। ऐसे में मायावती और अखिलेश यादव के गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। बल्कि उनके भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। चूंकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती को कोई भी सीट हासिल नहीं हुई थी। उन्हें उम्मीद थी कि 2019 के चुनाव में वह अखिलेश के साथ मिलकर 10 से ज्यादा सीटें तक पा सकती हैं। ऐसे में एग्जिट पोल के नतीजे न सिर्फ उनके लिए हतोत्साहित करने वाले हैं बल्कि उनके राजनीतिक अस्तित्व पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
यूपी विधानसभा चुनाव के बाद अलग हो गए थे राहुल और अखिलेश
उत्तर प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। इस दौरान गठबंधन को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। उसे 403 सीटों में सिर्फ 54 सीटें ही हासिल हुई थीं। जबकि भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 312 सीटें हासिल की थीं। नजीतों के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कुर्सी भी चली गई थी। विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद अखिलेश यादव और राहुल गांधी का गठबंधन खत्म हो गया था। लोकसभा चुनाव 2019 शुरू होने से पहले तक ऐसा लग रहा था कि राहुल और अखिलेश लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन करने वाले हैं, लेकिन दोनों दलों के मुखिया ने ऐसा नहीं किया। जानकार मानते हैं कि कांग्रेस और सपा का लोकसभा चुनाव में गठबंधन न होने की वजह दोनों दलों की पिछली हार रही। वहीं, कई मोर्चों पर दोनों दलों के राजनीतिक मतभेदों के चलते भी ऐसा संभव नहीं हुआ।
क्या अलग होंगे अखिलेश और मायावती
लोकसभा चुनाव 2019 में सपा और बसपा ने अपनी पुरानी रंजिशें भुलाकर गठबंधन किया। इस गठबंधन को दोनों दलों के नेताओं ने ऐतिहासिक कदम बताया था। ऐसे में माना जा रहा था कि माया और अखिलेश मिलकर भाजपा को बड़ा नुकसान करने वाले हैं। लेकिन हाल ही में आए एग्जिट पोल्स इस गठबंधन को सफल नहीं बताते हैं। ऐसे में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जो हाल विधानसभा चुनाव के बाद राहुल और अखिलेश के गठबंधन का हुआ था वही हाल इस बार के लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद अखिलेश यादव और मायावती के गठबंधन का भी होगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इस बात से इनकार करते हुए तर्क देते हैं कि विधानसभा चुनाव में उनके दलों का नुकसान हुआ था, जबकि इस बार माया और अखिलेश एनडीए को हराने के मकसद से लड़े थे। पोल्स के मुताबिक वह हरा तो नहीं पाए लेकिन उत्तर प्रदेश में एनडीए को नुकसान जरूर पहुंचाया।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 में जहां 73 सीटें हासिल हुई थीं तो वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल 8-11 सीटों का नुकसान बता रहे हैं। ऐसे में जानकार मानते हैं कि सपा और बसपा ने जिस मकसद से इस चुनाव को लड़ा था वह सफल जरूर नहीं हुआ है लेकिन वह भाजपा को नुकसान पहुंचाने में कामयाब हो चुके हैं, तो यह गठबंधन खत्म होने वाला नहीं लगता है। हालांकि, गठबंधन आगे रहेगा या फिर टूट जाएगा यह तो 23 मई के चुनाव परिणामों के बाद ही पता चल सकेगा।
विधानसभा चुनाव के लिए एकजुट हो सकता है विपक्ष, चंद्रबाबू प्रयास में जुटे
एग्जिट पोल्स के नतीजों के मुताबिक देश के सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले सूबे उत्तर प्रदेश में भी भाजपा व सहयोगी दलों को 33 से 65 सीटें मिलने की बात कही जा रही है। वहीं, देशभर में एनडीए को पूर्ण बहुमत से भी ज्यादा 300 सीटें मिलने की बात पोल्स में कही जा रही है। उत्तर प्रदेश में मायावती, अखिलेश यादव और अजित चौधरी के महागठबंधन को 20 से 45 सीटें मिलने की बात पोल्स में सामने आई है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी हो गया है कि क्या अखिलेश यादव और मायावती का महागठबंधन आगे भी चल पाएगा। वहीं, दोनों नेताओं के भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। वहीं, कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें मिलने की बात पोल्स में कही जा रही है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में यह सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीतिक दल एक साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकते हैं।
जिस तरह 4 महीने पहले हुए मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन होते होते रह गया और इसका खामियाजा इन दलों को भुगतना पड़ा बल्कि इससे पैदा हुए वैमनस्य का ही नतीजा रहा कि दोनों दलों के बीच लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन नहीं हो पाया। इससे सबक लेकर यह दल आगामी विधानसभा चुनाव में एकजुट हो सकते हैं। इस दिशा में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने प्रयास करने शुरू कर दिए हैं। वह रविवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी, शरद यादव से मिले। वह कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मुलाकात करके लौट आए हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनावों में एनडीए से पार पाने के लिए विपक्षी एकता साथ आ सकती है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप