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अखिलेश ने कयासों को दिया विराम, कहा अपने इस गढ़ को नहीं छोड़ेंगे मुलायम

मैनपुरी के बरनाहल स्थित शहीद राम वकील के घर परिजनों से मिलने आए थे पूर्व मुख्‍यमंत्री। कहा कन्‍नौज सीट से वाे स्‍वयं देंगे प्रतिद्वंदि को टक्‍कर।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 02:56 PM (IST)Updated: Wed, 27 Feb 2019 01:25 AM (IST)
अखिलेश ने कयासों को दिया विराम, कहा अपने इस गढ़ को नहीं छोड़ेंगे मुलायम
अखिलेश ने कयासों को दिया विराम, कहा अपने इस गढ़ को नहीं छोड़ेंगे मुलायम

आगरा, जेएनएन। तमाम चर्चाओं को विराम देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए मुलायम सिंह के नाम की घोषणा कर दी है। सपा प्रमुख ने कहा है कि नेताजी को मैनपुरी सीट से गहरा लगाव रहा है। इसलिये यहां से वे ही चुनावी समर में उतरेंगे। इसके साथ ही उन्होंने जिले की जनता से ऐतिहासिक मतदान करने की अपील भी की है।

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पूर्व मुख्यमंत्री मैनपुरी के बरनाहल के गांव विनायकपुर में पुलवामा हमले के शहीद जवान रामवकील के घर पहुंचे थे। शहीद के घर शांति पाठ का आयोजन चल रहा था। अखिलेश यादव कार्यक्रम में शामिल हुए और शहीद रामवकील को श्रद्धांजलि दी। शहीद के परिजनों से मुलाकात कर उनको ढांढस बंधाया। अखिलेश ने शहीद के तीन पुत्रों को सैनिक स्कूल में शिक्षा दिलाने का भी आश्वासन दिया। यहां मीडिया से वार्ता में अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव ही यहां से चुनाव लड़ेंगे।

वर्तमान सांसद तेज प्रताप को कहां से टिकट दी जाएगी? इस सवाल को वह टाल गए। उन्होंने कहा कि नेताजी ने यहां से चुनाव लडऩे की बात कही है, उनको मैनपुरी से बहुत लगाव है। वही प्रत्याशी होंगे। तेजप्रताप यादव के पास लंबा वक्त है। उनको क्या बनाया जाएगा या कहां से लड़ाया जाएगा? यह हम बाद में तय करेंगे। खुद के चुनाव लडऩे के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं कन्नौज नहीं छोड़ रहा हूं। पहला चुनाव भी वहीं से लड़ा था।

1996 से सपा का अभेद किला रहा है मैनपुरी  

मैनपुरी लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का एकछत्र राज कहना गलत न होगा। आजादी के बाद से अबतक हुए 18 लोकसभा चुनावों में पांच बार कांग्रेस, एक बार भाजपा, एक बार जनता दल के खाते में जीत दर्ज हुई। 1996 में पहली बार सपा से मुलायम सिंह यादव यहां से चुनाव में उतरे तो जैसे यह सीट सपा की ही होकर रह गई। 19952 से 1984 तक कांग्रेस का यह सीट गढ़ माना जाता था लेकिन इसके बाद यहां जैसे कांग्रेस का सूर्य हमेशा के लिए अस्‍त ही हो गया। भाजपा और जनता दल ने भी इस सीट पर कब्‍जा किया लेकिन 1996 में मुलायम सिंह ने इस सीट पर मजबूत पकड़ जमा ली जिसे तोड़ पाना किसी भी दल के लिए मुमकिन नहीं रहा। इस बात का ध्‍यान कुछ दिन पूर्व हुए सपा बसपा गठबंधन में भी रखा गया। सपा के इस गढ़ से बसपा ने अपने को दूर ही रखा। 

मैनपुरी में सपा का इतिहास 

1996 में पहली बार मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद बने थे। इसके दो साल बाद हुए चुनाव में सपा से बलराम सिंह यादव को उतारा गया। जीत दर्ज हुई। 2004 में मुलायम सिंह मैनपुरी से फिर से सांसद चुनकर संसद में पहुंचे लेकिन मुख्‍यमंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद यहां से उन्‍होंने सीट छोड़ दी। इसी वर्ष उपचुनाव हुए और मुलायम के भतीजे धमेंद्र यादव सांसद चुने गए। 2009 में मुलायम ने फिर से मुलायम यहां से चुनाव जीते। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी उस वक्‍त भी मुलायम सिंह का यह किला कोई और भेद नहीं पाया। करीब साढ़े तीन लाख मतों के अंतर से मुलायम ने मैनपुरी सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखी। आजमगढ़ के कारण उपचुनाव में पौत्र तेजप्रताप यादव सांसद उपचुनाव वर्तमान में सांसद। इन चुनावों में मुलायम आजमगढ़ से भी खड़े हुए थे। इस सीट की वजह से उन्‍होंने मैनपुरी की सीट को छोड़ दिया। इसी वर्ष उपचुनाव हुए और उनके पौत्र तेजप्रताप सांसद चुने गए। 


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