Lok Sabha Election 2019: फिर चला मोदी का जादू, राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई दिग्गजों की हार
मोदी की आंधी में बड़े-बड़े राजनीतिक चेहरे धूल चाटते नजर आए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जहां अपनी परंपरागत सीट अमेठी से पस्त हो गए। वहीं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी चुनाव हार गए।
नई दिल्ली, जेएनएन। राष्ट्रवाद और विकास की लहर पर सवार मोदी सुनामी ने विपक्ष के पैरों तले जमीन हिला दी। तीन सौ के पार गई भाजपा ने एनडीए के साथ न सिर्फ सीढ़े तीन सौ सीटों पर फतह हासिल किया बल्कि आधा दर्जन से अधिक राज्यों में भाजपा ने शत प्रतिशत सीटें जीत ली। जनता के समर्थन की बात हो तो तकरीबन डेढ़ दर्जन राज्य ऐसे हैं जहां एनडीए ने पचास फीसद से अधिक वोट हासिल किया जो ऐतिहासिक है।
उत्तर प्रदेश में फेल हुआ महागठबंधन
वहीं मुख्य विपक्ष कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ही नहीं हारे बल्कि कांग्रेस को फिर से नेता प्रतिपक्ष पद से महरूम कर दिया है। लाख कवायद के बावजूद कांग्रेस अपने पिछले खाते में सिर्फ सात का अंक जोड़ पाई और जरूरी अंक से तीन पीछे रह गई। जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे अहम राज्यों में भाजपा को चुनौती दे रहा महागठबंधन संयुक्त रूप से बीस का भी अंक पार नहीं कर पाया। जातिगत समीकरण पूरी तरह ध्वस्त हो गया।
जबकि चार राज्यों में हुए विधानसभा में राजग दो राज्यों- अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में काबिज हुआ तो ओडिशा और आंध्र प्रदेश में बीजू जनता दल और वाईएसआर के रूप में ऐसे दल आए जो विपक्षी गठबंधन से दूर दूर खड़े थे।
परंपरागत सीट भी न बचा पाए राहुल गांधी
मोदी है तो मुमकिन है के नारे के साथ मैदान में उतरी भाजपा की आंधी में बड़े बड़े राजनीतिक चेहरे धूल चाटते नजर आए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जहां अपनी परंपरागत सीट अमेठी से पस्त हो गए। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा अपने दो पोतों के साथ हारे तो वीरप्पा मोइली, भूपेंद्र हुड्डा समेत कई पूर्व मुख्यमंत्री व लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे व के. एच मुनियप्पा के पैर भी उखड़ गए। ध्यान रहे कि मुनियप्पा की सीट कोलार भाजपा ने आज तक नहीं जीती थी।
साड़े तीन लाख वोटों से हारे दिग्विजय सिंह
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी लगभग साढ़े तीन लाख वोटों से पराजित हो गए। चौधरी चरण सिंह की विरासत पर राजनीति करते रहे अजित सिंह और उनके पुत्र भी हार गए। भाजपा की लहर का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भाजपा की जीत का अंतर सामान्यतया बड़ा रहा, जबकि हार का अंतर कम रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बार बार पिछली बार से भी बड़ी जीत का दावा करते रहे थे। यह सच साबित हुआ। भाजपा जहां 2014 के 282 के अंक को पार कर 300 के पार पहुंची वहीं राजग भी 336 के मुकाबले साढ़े तीन सौ पहुंच गया।
तीन राज्यों में भाजपा ने पलटी बाजी
बात यही नहीं रुकी उत्तर प्रदेश में जहां महागठबंधन की फांस को काटते हुए भाजपा ने लगभग पचास फीसद वोट हासिल किया वहीं बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी आधी बिसात की लड़ाई अपने पक्ष में कर ली। ध्यान रहे कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हाल ही में कांग्रेस ने फतह हासिल की थी लेकिन सात आठ महीने में ही भाजपा ने पूरी बाजी पलट दी।
भाजपा ने छुआ पचास फीसद का अंक
ध्यान रहे कि आजादी के बाद से अब तक के चुनावों में किसी एक पार्टी ने सबसे ज्यादा लगभग 48 फीसद वोट उस वक्त हासिल किया था जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भावनाओं का उफान था और राजीव गांधी सरकार 400 से ज्यादा सीटों पर जीती थी। मोदी मंत्र के साथ उतरी भाजपा ने लगभग वह अंक छू लिया जबकि 17 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में पचास फीसद का अंक छू लिया।
एक तरह से जनता से यह साफ कर दिया कि विकास और सुधारों की गाड़ी पर उनकी मुहर है। वहीं मजबूत सरकार बनाम मजबूर सरकार के नारे को भी हाथो हाथ लेते हुए जनता ने उन सभी दलों को खारिज कर दिया मोलभाव की राजनीति करते रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाला संप्रग सौ का अंक पार नहीं कर पाया। जबकि अन्य दलों का संयुक्त आंकड़ा सौ के कुछ ही उपर पहुंच पाया।
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