Lok Sabha Election 2019: NRC के मसौदे से नाम हटने के बाद भी 40 लाख लोगों के मताधिकार पर नहीं पड़ेगा असर
भारतीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि असम के एनआरसी मसौदे से हटे 40 लाख लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि असम के एनआरसी मसौदे से हटे 40 लाख लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। उनके नाम हटने से आगामी लोकसभा चुनाव में उनके मताधिकारों पर असर नहीं पड़ेगा। चूंकि उनके नाम मतदाता सूची में हैं। मंगलवार को इसके जवाब में चुनाव आयोग के सचिव ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश होकर कहा कि ऐसे लोगों के मताधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने बताया कि इस बात को 2014 में ही स्पष्ट कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि अदालत को गोपाल सेठ और सुसंता सेन की याचिकाओं को तवज्जो नहीं देनी चाहिए। चूंकि पिछले तीन सालों में इन लोगों के नाम कभी भी मतदाता सूची से नहीं हटाए गए हैं। जबकि यह इसके उलट दावा कर रहे हैं। खंडपीठ ने कहा कि वह इस मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को करेगी।
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग से यह स्पष्ट करने को कहा था कि असम के उन व्यक्तियों की स्थिति क्या होगी जिनका नाम विगत 31 जुलाई को प्रकाशित हुए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में नहीं है पर मतदाता सूची में है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की खंडपीठ ने विगत आठ मार्च को चुनाव आयोग से 28 मार्च तक संशोधित मतदाता सूची का ब्योरे तलब किए थे। कोर्ट को 2017, 2018 और 2019 के मतदाता सूची में नामों को हटाने और नए नाम जोड़ने के संबंध में आयोग से ब्योरा चाहिए था। इसके चलते खंडपीठ ने चुनाव आयोग के सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा था।