Lok Sabha Election 2019: जहां चलते थे नक्सलियों के फरमान, वहां मन रहा लोकतंत्र का उत्सव
Lok Sabha Election 2019. चार दशकों में पहला ऐसा चुनाव जिसमें नक्सलियों का खौफ नहीं-पुलिसिया कार्रवाई से ठंडा पड़ा बहिष्कार का फरमान। बेखौफकार्यकर्ता गांव-गांव कर रहे प्रचार।
चतरा, [जुलकर नैन]। Lok Sabha Election 2019 - चुनाव के दौरान जहां कभी नक्सलियों के वोट बहिष्कार के नारे गूंजते थे, जनता मतदान नहीं कर पाती थी, अब लोकतंत्र का पर्व मन रहा है। चार दशक में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि चतरा समेत पूरे सूबे में नक्सली दुबके हुए हैं। यह सब इसलिए संभव हुआ कि पूरे राज्य में पुलिस और सुरक्षाबलों ने लगातार अभियान चलाकर नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। आज ग्रामीण भयमुक्त होकर चुनाव पर चर्चा कर रहे हैं।
उम्मीदवारों के समर्थक बेखौफ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उम्मीदवार से लेकर प्रचार वाहन तक सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बेखौफ आ-जा रहे हैं। व्यवस्था और लोकतंत्र के विरोधी नक्सली शुरू से ही बंदूक के दम पर समानांतर सत्ता चलाने की कोशिश करते रहे हैं। चुनाव की घोषणा के साथ ही वोट बहिष्कार का फरमान जारी करना नक्सलियों के लिए आम बात थी। उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादी के प्रभाव क्षेत्र के गांवों में वोट बहिष्कार के नारे हर जगह लिखे होते थे। स्थिति ऐसी होती थी कि इन गांवों में उम्मीदवार तो उम्मीदवार उनके प्रचार वाहन भी नहीं जाते थे।
किसी की हत्या कर दी, तो किसी का काट दिया था हाथ
वर्ष 1995 के विधानसभा चुनाव में उग्रवादियों ने प्रतापपुर थाना क्षेत्र में भाकपा उम्मीदवार की हत्या कर दी थी और उनका प्रचार वाहन फूंक दिया था। इसके बाद वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में टंडवा थाना क्षेत्र में वोट देने के आरोप में जसमुद्दीन अंसारी का हाथ और महादेव यादव का अंगूठा काट दिया था। इतना ही नहीं, उसके बाद के चुनावों में भी उग्रवादियों ने चुनाव प्रचार के वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। माओवादियों के चुनाव बहिष्कार का प्रभाव 2009 के चुनाव तक खूब रहा। 2014 के चुनाव के बाद बदलाव दिखने लगे। पुलिसिया अभियान ने उग्रवादियों के वर्चस्व को शिथिल कर दिया।
चुनाव को लेकर उत्साह का वातावरण
कुंदा निवासी सत्येंद्र कुमार कहते हैं कि प्रखंड में चुनावी उत्सव का वातावरण है। मतदाताओं में वोट को लेकर काफी उत्सुकता है। प्रतापपुर निवासी भोला प्रसाद कहते हैं कि वोट बहिष्कार की बात अब बीते दिनों की हो गई। अब तक किसी भी प्रकार का कोई फरमान नहीं आया है और यदि आता भी, तो उसका प्रभाव नहीं पडऩे वाला है। पुलिस अधीक्षक अखिलेश बी वारियर कहते हैं कि स्वच्छ और निष्पक्ष मतदान को लेकर सुरक्षा के हर मुमकिन इंतजाम किए गए हैं। संवेदनशील और अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों पर अद्र्धसैनिक बलों की तैनाती की जा रही है।