Loksabha Election 2019 : पंद्रह साल बाद फिर चुनावी मैदान में आमने-सामने होंगे पचौरी और श्रीप्रकाश
2004 के लोकसभा चुनाव में थी कांटे की टक्कर महज 5638 वोट का रहा फर्क।
कानपुर, जेएनएन। कानपुर लोकसभा सीट पर लंबे अर्से से सीधा मुकाबला लड़ रही भाजपा और कांग्रेस ने चुनावी जंग को रोचक बना दिया है। कांग्रेस ने तीन बार सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल पर दांव लगाया है। वहीं भाजपा ने भी सत्यदेव पचौरी के रूप में ऐसा मोहरा चुना है, जिन्होंने 15 साल पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में श्रीप्रकाश को करारी टक्कर दी थी।
बड़े चेहरों की वजह से वीआइपी हो चुकी कानपुर लोकसभा सीट पर अब सिर्फ सपा के फैसले का इंतजार है। भाजपा और कांग्रेस ने पूरी तैयारी के साथ अपना मैदान सजाया है। ब्राह्मण बहुल इस सीट पर कांग्रेस को सबसे ज्यादा भरोसा श्रीप्रकाश जायसवाल पर ही था।
श्रीप्रकाश ने 1991, 1996 और 1998 में लगातार जीत हासिल करने वाले भाजपा के कैप्टन जगतवीर सिंह द्रोण को परास्त कर 1999 के लोकसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस की झोली में डाली। फिर 2004 और 2009 में जीतकर हैट्रिक लगाई। मनमोहन सरकार में वह केंद्रीय मंत्री रहे। हालांकि, 2014 की मोदी लहर में श्रीप्रकाश जायसवाल डॉ. मुरली मनोहर जोशी से मुकाबले में 222946 मतों के भारी अंतर से हार गए थे।
इधर, भाजपा ने इस जंग के लिए प्रदेश सरकार में एमएसएमई मंत्री सत्यदेव पचौरी को सबसे मजबूत माना है। एक तो पचौरी जातिगत समीकरणों में फिट माने जा रहे हैं। इसके अलावा उनका पुराना चुनावी रिपोर्ट कार्ड भी संतोषजनक है। दरअसल, भाजपा ने इससे पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में भी सत्यदेव पचौरी को उम्मीदवार बनाया था। उसमें पचौरी हारे भले ही हों, लेकिन वह लड़े डटकर थे।
कांग्रेस के उम्मीदवार श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,11,109 वोट, जबकि पचौरी को 205, 471 वोट मिले थे। हार-जीत का अंतर महज 5638 वोट का था। चूंकि 2014 के चुनाव में भाजपा बहुत बड़ी जीत हासिल कर चुकी है, इसलिए भाजपा इस टिकट के साथ काफी उत्साहित है।
जोशी की सबसे बड़ी जीत, पचौरी की थी सबसे छोटी हार
कानपुर में मेहमान प्रत्याशी बनकर आए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने यहां जीत की ऐतिहासिक लकीर खींची। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कानपुर के इतिहास की सबसे बड़ी जीत कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को 222946 वोट से हराकर भाजपा की झोली में डाली। वहीं, अब प्रत्याशी बनाए गए सत्यदेव पचौरी के नाम भी एक रिकॉर्ड है। 2004 के चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल से मुकाबले में ही उनकी सबसे छोटी हार हुई थी। पचौरी महज 5638 मतों से ही पीछे रहे थे।
पिछले कुछ चुनावों के परिणाम
2004 का लोकसभा चुनाव
- कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 211109 मत मिले।
- भाजपा के सत्यदेव पचौरी को 205471 मत मिले।
- सपा के हाजी मुश्ताक सोलंकी को 159361 मत मिले।
- बसपा के अनुभव को 27962 वोट मिले।
2009 का लोकसभा चुनाव
- कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 214988 वोट मिले
- भाजपा के सतीश महाना को 196082 वोट मिले।
- बसपा की सुखदा मिश्रा को 48374 मत मिले।
- सपा के सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को 34919 वोट मिले।
2014 का लोकसभा चुनाव
- भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी को 474712 वोट मिले।
- कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 251766 मत मिले।
- बसपा के सलीम अहमद को 53218 वोट मिले।
- सपा के सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को 25723 मत मिले।
अब सपा के दांव पर होगी नजर
अब चुनावी बिसात पूरी तरह सजने के लिए सिर्फ सपा के मोहरे का इंतजार है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पार्टीजनों से कहते रहे हैं कि भाजपा का प्रत्याशी घोषित होने के बाद जातीय समीकरणों को देखते हुए प्रत्याशी तय करेंगे। लिहाजा, अब सारे गुणा-भाग लगाए जा चुके होंगे। संभवत: बुधवार को सपा भी गठबंधन प्रत्याशी की घोषणा कर दे।
1991 में पहली बार विधायक बने थे पचौरी
वीएसएसडी कॉलेज से 1972 में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीते सत्यदेव पचौरी राजनीति में सफलता की सीढिय़ां लगातार चढ़ते ही गए। जनसंघ और भाजपा संगठन में अहम जिम्मेदारियां निभाने के साथ पचौरी 1991 के विधानसभा चुनाव में आर्यनगर विधानसभा सीट से पहला चुनाव जीते। 2004 में पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ाया, जिसमें वह कुछ वोटों के अंतर से हार गए थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें गोविंदनगर विधानसभा सीट से टिकट दिया तो पचौरी ने जीत हासिल की। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वह जीते और वर्तमान में योगी सरकार में लघु उद्योग मंत्री हैं। अब 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है।