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LokSabha Election 2019: लोकतंत्र में हर एक मत की कीमत इसलिए अब एक्सेसिबिलिटी प्रेक्षक

2014 के लोकसभा चुनाव तक भारत निर्वाचन आयोग तीन प्रेक्षक की व्यवस्था रखा था। भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी केंद्रीय पर्यवेक्षक सामान्य होते थे।

By mritunjayEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 03:36 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 03:36 PM (IST)
LokSabha Election 2019: लोकतंत्र में हर एक मत की कीमत इसलिए अब एक्सेसिबिलिटी प्रेक्षक
LokSabha Election 2019: लोकतंत्र में हर एक मत की कीमत इसलिए अब एक्सेसिबिलिटी प्रेक्षक

दुमका, आरसी सिन्हा। चुनाव का महासंग्राम शुरू हो गया है। राजनीतिक दल चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवारों का चेहरा तय कर रहे हैं। निष्पक्ष व शांतिपूर्ण मतदान में कोई खलल नहीं हो इसका खासा ख्याल चुनाव आयोग रख रहा है। पर्यवेक्षकों की पूरी फौज का खाका तैयार कर लिया गया है। राष्ट्रीय स्तर से लेकर पंचायत तक की तैयारी का ब्लू प्रिंट बना लिया गया है। आयोग इस बार अपने पुराने लीक से हटकर मतदान में सबकी भागीदारी सुनिश्चित कराने को प्राथमिकता सूची में रखा है।

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पहली बार आयुक्त बने प्रेक्षकः लोकसभा चुनाव-2019 कुछ अलग होगा। 1952 से लेकर अब तक के चुनावी यात्रा में बेसिक फर्क यह होगा कि दिव्यांग मतदाताओं की पहुंच मतदान केंद्र पर हर हाल में होनी है। झारखंड के 14 लोकसभा सीट के29,464 मतदान केंद्र पर सुगम मतदान सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्रमंडलीय आयुक्त को दी गयी है। भारत निर्वाचन आयोग ने पहली बार प्रमंडलीय आयुक्त को अपना आंख व कान बनाया है। आयुक्त को एक्सेसिबिलिटी प्रेक्षक बनाया गया है। यह विशेष प्रेक्षक की प्रतिनियुक्ति पहली दफा की गयी है। संताल परगना के तीन लोकसभा सीट राजमहल, गोड्डा एवं दुमका के 6600 मतदान केंद्र पर दिव्यांगों को पहुंचाना एवं उनको सुलभ व सुगम मतदान कराने की पूरी जिम्मेदारी आयुक्त को दी गयी है। वह आयोग के स्पेशल प्रेक्षक होंगे। वह जो कहेंगे आयोग उसे मानेगा। मतदाता और आयोग के बीच सुगम मतदान में आयुक्त मध्यस्थ की भूमिका में होंगे। मानीटरिंग सेल बनाकर इसकी निगरानी करनी है।  

2014 में थे तीन प्रेक्षकः 2014 के लोकसभा चुनाव तक भारत निर्वाचन आयोग तीन प्रेक्षक की व्यवस्था रखा था। भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी केंद्रीय पर्यवेक्षक सामान्य होते थे। वरीय पुलिस आफिसर पुलिस प्रेक्षक एवं एक केंद्रीय प्रेक्षक व्यय के होते थे। नामांकन से लेकर मतदान एवं मतगणना तक सामान्य प्रेक्षक की भूमिका ही अहम होती थी। उम्मीदवारों पर नकेल कसने के लिए प्रेक्षक व्यय की भूमिका होती थी। विधि व्यवस्था के लिए पुलिस प्रेक्षक की नजर होती थी। लेकिन इस बार चुनाव आयोग की प्राथमिकता में सुगम मतदान है। यही कारण है कि प्रमंडलीय आयुक्त को प्रेक्षक नियुक्त किया गया है। जिनका नाम एक्सेसिबिलिटी आब्जर्बर रखा गया है। आयोग ने एक फार्मेट दिया है, जिसमें आने वाले समय में प्रमंडल के सभी लोकसभा सीट के मतदान केंद्रों पर सुगम मतदान कराने की व्यवस्था करनी है। 

संताल परगना के छह जिला पर एक  नजर 

जिला         दिव्यांग वोटर 

देवघर-        2313

जामताड़ा -  3287

दुमका-       5332

गोड्डा-       5013

साहिबगंज- 2077 

पाकुड़-        1517 

संताल परगना के तीनों लोकसभा सीट पर एक भी दिव्यांग मतदाता अपने मताधिकार के प्रयोग से वंचित नहीं रहेंगे। यह आयोग ने सुनिश्चित करने को कहा है। इस बाबत सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त को इसकी तैयारी करने को कहा गया है। सूची अपडेट करना है। हर मतदान केंद्र पर रैंप लगाना है। दिव्यांगों को मतदान करने में सहयोग करने के लिए स्वयंसेवी रहेंगे। उनको कतार में भी नहीं लगनी है। सुगम मतदान ही लोकसभा चुनाव-2019 की प्राथमिकता है। 

भगवान दास, आयुक्त, संताल परगना 


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