Loksabha Election 2019 : ये हैं मजबूत लोकतंत्र के सच्चे सिपाही, प्रेरणादायक है इनका जज्बा
सौ साल से अधिक उम्र होने पर भी लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी निभाई।
कानपुर, जेएनएन। लोकतंत्र के महापर्व में देश के प्रत्येक नागरिक की हिस्सेदारी जरूरी है। हमारे देश का लोकतंत्र दुनिया में मिसाल की तरह है, जहां हर नागरिक का वोट सरकार का चुनाव करता है। इस लोकतंत्र की मजबूती को कायम रखने का दायित्व भी प्रत्येक व्यक्ति का है और इसे बखूबी निभाने वाले लोकसभा के चौथे चरण के चुनाव में मतदान दिवस पर दिखाई दिये। सौ साल की उम्र के पड़ाव में भी आजादी के बाद पहले चुनाव जैसा जज्बा बरकरार दिखाई दिया। सच है, यही वो नागरिक हैं, जो लोकतंत्र के सच्चे सिपाही है और उन लोगों के लिए नजीर हैं जो वोट करने से परहेज करते हैं। आइए जानते हैं सोमवार को कानपुर, कन्नौज, उन्नाव, इटावा, फर्रुखाबाद, हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में हुए मतदान में किस तरह वयोवृद्ध लोगों ने बढ़चढ़ कर लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी निभाई, जो आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी।
107 वर्षीय लौंगश्री ने भी डाला वोट
नगला चौधरी गांव में रहने वाली 107 वर्षीय लौंगश्री भी वोट डालने पहुंची। उन्हें गांव के युवा चारपाई पर लिटाकर बूथ तक ले गए। इसके बाद उन्होंने अकेले ही अंदर जाकर ईवीएम का बटन दबाया। वहीं गुरसहायगंज की 100 वर्षीया मकबूलन बेगम भी बेटों के साथ गोमती देवी बूथ पर मतदान करने पहुंची। वह पैदल ही बूथ तक गईं थीं।
105 साल के दंपती ने डाला वोट
तालग्राम क्षेत्र के ग्राम बमरौली में 105 साल के मान सिंह और उनकी पत्नी बटेश्वरी देवी ने वोट डाला। बेटों ने बताया कि उनकी मां बाबू से केवल दो माह छोटी हैं। उनके पौत्र ही गोद में लेकर मतदान कराने आए थे।
सौ साल पूरे कर चुके गंगाप्रसाद ने किया मतदान
गंगधरापुर गांंव में उम्र के सौ बसंत पूरे कर चुके गंगाप्रसाद अग्निहोत्री अपने बेटे सुबोध अग्निहोत्री के साथ मतदान केंद्र पहुंचे। चलने फिरने में असमर्थ होने की वजह से परिवारीजन उन्हें चारपाई पर लिटाकर बूथ तक ले गए। परिजनों ने बताया कि 1942 में महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वह तीन दिन तक फतेहगढ़ जेल में बंद रहे थे। परिजनों के मुताबिक तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें वोट करने से मना किया गया, लेकिन गंगाप्रसाद ने किसी की नहीं सुनी और वोट डालने की जिद की। आखिरकार परिजन उन्हें लेकर बूथ तक पहुंचे।
बेटों की मदद से बूथ तक पहुंची मोहसिना
काजीटोला की 103 वर्षीया मोहसिना बेगम भी बेटों व पौत्रों के साथ मतदान केंद्र वोट डालने गईं। उन्होंने बताया कि हर चुनाव में वह मतदान करती हैं। सभी बुजुर्गों को मतदान करना चाहिए। वहीं, कन्नौज के मोहल्ला ठकुराना के सौ साल के हरिहरनाथ अग्निहोत्री ने भी मतदान किया। चूड़ी वाली गली की 98 साल की मनोरमा और भगवानपुर की 90 वर्षीया रामवती भी पैदल मतदान केंद्र तक वोट डालने पहुंचीं।
110 वर्षीय भीखा प्रसाद बने 17वें लोकतंत्र के भागीदार
इटावा लोकसभा के संदलपुर ब्लाक के धरमपुर गांव निवासी 110 वर्षीय भीखा प्रसाद 17वीं लोकसभा चुनाव के भागीदार बने। वह चिलचिताली धूप में वोट डालने पहुंचे। उनसे जब पूछा गया तो मताधिकार के प्रयोग पर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कहा, चार दशक पहले तक तो लोग चारपाई में लाद कर वोट डालने ले जाये जाते थे। आज तो व्हीलचेयर में बैठा के ले जा रहे हैं। घर से आने के लिए ट्राई साइकिल दी गई है।
वोट डालने पहुंची 105 वर्ष की दादी
इटावा के अर्चना मेमोरियल सरस्वती ज्ञान मंदिर इंटर कालेज बूथ पर उम्र दराज महिला मतदाता 105 वर्ष की निर्मला देवी ने सुबह से अपने घर में तब तक सभी को डांट लगायी जब तक उन्होंने अपना वोट नहीं डाल लिया। मतदान करने के लिए उनका उत्साह देखने लायक एवं अनेक लोगों के लिए एक मिशाल है। वह इटावा का गौरव हैं और आजादी से आज तक प्रत्येक चुनाव में अपना मतदान किया है। उन्हें मतदान केंद्र तक ले जाने के लिए उनके पौत्र संजय ङ्क्षसह चौहान, आशुतोष त्रिवेदी एवं विनय सिंह साथ में रहे।
106 साल के देवलाल ने भी डाला वोट
फूटा ताल के मतदान केंद्र पर 106 वर्षीय देवलाल सिंह ने वोट डाला। लंकू यादव ने बताया कि उनके ताऊ देवलाल ङ्क्षसह वोट डालने को लेकर काफी उत्साहित थे और सुबह से ही वोट डलवाने के लिए परिजनों के पीछे पड़े थे। जब तक उन्होंने वोट नहीं डाल लिया तब तक वे शांत नहीं बैठे।
सुबह सवेरे बूथ पर पहुंचीं मुन्नीदेवी
90 साल की मुन्नीदेवी अकबरपुर बूथ पर सुबह आठ बजे ही पहुंच गईं। उनके साथ परिजन भी आए हैं। उनका हौसला देख वहां खड़े मतदाताओं ने ही नहीं बल्कि बूथ मित्र भी दौड़े आए और उन्हें मदद कर साथ ले गये। नुनारी बहादुरपुर में 91 वर्षीय रमादेवी व्हीलचेयर के सहारे बूथ पर पहुंची। शिवली के 96 वर्षीय ओमकार नाथ बाजपेयी मतदान करने पहुंचे। 95 वर्षीय हरनाम सिंह कमालपुर ने भी वोट डाला।
कड़ी धूप भी न डिगा सकी उत्साह
98 वर्षीय हसीना को उनके पुत्र बबलू गाड़ी से लेकर विकास भवन के बाहर पहुंचे फिर गोद में उठाकर मतदान केंद्र में अपनी मां का वोट डलवाया। मौखरी गांव में में 90 वर्षीय ठकुराईन बुलईया को कुर्सी पर बैठाकर मतदान केन्द्र लाया गया। आटा के संधी गांव में 90 वर्षीय नेत्रहीन विरतेश्वरी देवी का वोट डालने को लेकर हौसला नहीं डिगा और पौत्र के साथ पैदल ही मतदान केन्द्र पर पहुंचकर मतदान किया। वहीं लोकसभा क्षेत्र के भोगनीपुर विधानसभा क्षेत्र के मूसानगर बांगर में 94 वर्षीय श्यामा देवी भी अपने भतीजे राधेश्याम के साथ वोट डालने पहुंची।