स्टार राजनेताओं की श्रेणी में जगह बना रहे मेट्रो मैन श्रीधरन, जानें- उनके विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक समीकरण
एलडीएफ-माकपा ने युवा उम्मीदवार के तौर पर सी पी प्रमोद को उतारा है मगर मुख्य मुकाबला तो श्रीधरन और शफी के बीच ही नजर आ रहा है। इसीलिए चर्चा गर्म है कि माकपा के कमजोर उम्मीदवार को देखते हुए भाजपा विरोधी मत शफी के पक्ष में गोलबंद हो सकते हैं।
संजय मिश्र, पलक्कड़। केरल विधानसभा के मौजूदा चुनाव में भाजपा की सीटों की संख्या में इजाफा होगा या नहीं, यह तो नतीजे बताएंगे मगर इतना जरूर है कि देश में मेट्रो मैन के रूप में चर्चित ई श्रीधरन ने चुनावी मैदान में उतरकर सूबे में भाजपा की राजनीति को गंभीरता जरूर दे दी है। देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित 88 साल के वयोवृद्ध श्रीधरन महीने भर की अपनी राजनीतिक पारी और पहले चुनाव में ही सूबे के स्टार राजनेताओं की श्रेणी में जगह बनाते नजर आ रहे हैं। चुनावी लड़ाई सीधे माकपा की अगुआई वाले सत्ताधारी एलडीएफ और कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्षी यूडीएफ गठबंधन के बीच है। इसके बावजूद श्रीधरन के मैदान में उतरने से पैदा हुई सियासी सरगर्मी से एनडीए और भाजपा ने भी भविष्य के लिए उम्मीदें लगा रखी हैं।
श्रीधरन के भाजपा का दामन थामने से पार्टी की सियासत को मिली गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सूबे की दूसरी सीटों के भाजपा-एनडीए के उम्मीदवार वोटरों के बीच अपनी राजनीतिक गंभीरता का संदेश देने के लिए प्रचार के दौरान मेट्रो मैन के भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का हवाला दे रहे हैं। श्रीधरन के मुकाबले में पलक्कड़ से यूडीएफ-कांग्रेस के प्रत्याशी और दो बार से विधायक शफी परमबिल भी मजबूती से डटे हैं। शफी की छवि सर्वसुलभ जनप्रतिनिधि की है और श्रीधरन जैसे दिग्गज को भी उनकी चुनौती को थामने के लिए भारी पसीना बहाना पड़ रहा है।
एलडीएफ-माकपा ने युवा उम्मीदवार के तौर पर सी पी प्रमोद को उतारा है मगर मुख्य मुकाबला तो श्रीधरन और शफी के बीच ही नजर आ रहा है। इसीलिए चर्चा गर्म है कि माकपा के कमजोर उम्मीदवार को देखते हुए भाजपा विरोधी मत शफी के पक्ष में गोलबंद हो सकते हैं।
श्रीधरन के बूते पार्टी इस बार जीत की लगा रही है उम्मीद
पिछले चुनाव में पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। श्रीधरन के बूते पार्टी इस बार जीत की उम्मीद लगा रही है और प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। गृहमंत्री अमित शाह ने बीते हफ्ते श्रीधरन के पक्ष में रोड शो किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मेट्रो मैन के लिए जनसभा की। आरएसएस के कार्यकर्ता भी पलक्कड़ में काफी सक्रिय हैं और तमिलनाडु से आए संघ के ऐसे ही एक कार्यकर्ता एस राजेश ने कहा कि श्रीधरन ने सूबे की दूसरी सीटों पर भी भाजपा के चुनावी माहौल को गति दी है। भाजपा को उम्मीद है कि यूडीएफ और एलडीएफ के बीच सेक्यूलर मतों के बंटवारे के अलावा श्रीधरन की गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि उनके लिए सकारात्मक साबित हो सकती है।
अधिक उम्र से भी कोई बाधा नहीं
श्रीधरन के चुनाव अभियान में उनकी उम्र से भी कोई बाधा दिखाई नहीं दे रही और उमस भरी गर्मी में भी उनके प्रचार में भीड़ जुट रही है। लोग उनके साथ सेल्फी लेने से लेकर आदरभाव से बेहिचक पांव छूने से भी गुरेज नहीं कर रहे। राजनीतिक चेहरों खासकर उम्मीदवारों के लिए चुनाव में ऐसा आदर मिलना दुर्लभ ही होता है। श्रीधरन ने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी तो कुछ जगहों पर लोगों ने बुजुर्गो के सम्मान की परंपरा के तहत उनके पांव धोए। सत्ताधारी एलडीएफ ने इसे सियासी मुददा बनाने की कोशिश की और उन पर निशाना साधा। माकपा के इस रुख की आलोचना करते हुए श्रीधरन प्रचार के दौरान कहते हैं कि बड़े-बुजुर्गो के प्रति सम्मान भाव से पांव छूने की परंपरा और संस्कार केरल ही नहीं समूचे भारत में हैं। माकपा ने इसे राजनीतिक मुददा बना जाहिर कर दिया है कि देश की सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति उसका कोई सम्मान नहीं है।
श्रीधरन कर रहे विकास के वादे
दिल्ली मेट्रो और कोंकण रेलवे के सूत्रधार के तौर पर उनकी छवि को देखते हुए लोग विकास पर उनके नजरिए को गंभीरता से सुनने को उत्सुक दिखते हैं। श्रीधरन भी अपनी छवि के अनुरूप पलक्कड़ के विकास के लिए पेयजल का बेहतर प्रबंधन, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा बेहतर बनाने के साथ शहर के यातायात को सुधारने की बात कह रहे हैं। युवा वोटरों में बुजुर्ग श्रीधरन का क्रेज दिख रहा और इसलिए वह भी सूबे में उद्योगों की कमी के साथ रोजगार-नौकरियों का सूखा पड़ने की बात उठा रहे। श्रीधरन ने चाहे राजनीति में अभी-अभी कदम रखा हो मगर लोकप्रियता की कसौटी पर वह सूबे के बड़े चेहरों में अपना स्थान बनाने की ओर बढ़ रहे हैं।