पहले तीर में ही दलित और लिंगायत पर एक साथ निशाना साधेंगे पीएम मोदी
इस बार जब भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है तो मोदी की रैली खास मायने रखती है।
आशुतोष झा, नई दिल्ली। कर्नाटक में विकास से भटककर जाति और संप्रदाय केंद्रित तीखी हो रही चुनावी राजनीति के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पहली रैली से ही दलित और लिंगायत जैसे दो सबसे अहम समूहों को संदेश देंगे। मंगलवार को होने वाली उनकी पहली रैली सानतेमराहाली में होगी जो न सिर्फ देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में शुमार है बल्कि विधानसभा क्षेत्र और संसदीय क्षेत्र भी आरक्षित है। इस चामराजनगर संसदीय क्षेत्र के अंदर ही वह हाईप्रोफाइल वरुणा सीट भी आती है जो मुख्यमंत्री सिद्दरमैया की वर्तमान सीट है। इतना ही नहीं इस सीट से टिकट आवंटन को मुद्दा बनाकर कांग्रेस लिंगायत वोट को तोड़ने में भी जुटी है।
-45 फीसद आबादी को पहली रैली से संदेश देने की कोशिश
भाजपा का पूरा दांव अपने स्टार प्रचारक मोदी पर लगा है। ऐसे में अभियान की रूपरेखा कुछ इस तरह तैयार की गई है कि सिद्दारमैया पर सीधा वार भी हो और अपनी चारदीवारी भी मजबूत की जाए। गौरतलब है कि चुनाव घोषणा से कुछ पहले लिंगायत को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने का चुनावी पासा फेंककर सिद्दारमैया ने भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। उसके बाद वरुणा सीट पर जिस तरह उम्मीदवार तय करने में भाजपा अंतिम वक्त तक उलझी रही और अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येद्दयुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को टिकट नहीं दिया गया, उसे भी कांग्रेस हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
ध्यान रहे कि मोदी ने कुछ दिन पहले ही कर्नाटक के नेताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस की ओर से फैलाए जा रहे भ्रम के प्रति सचेत किया था। लिंगायत समुदाय के बीच एक भ्रम यह भी फैलाया जा रहा है कि विजयेंद्र को टिकट न देने का परोक्ष अर्थ यह है कि चुनाव के बाद भाजपा येद्दयुरप्पा से भी किनारा कर लेगी। येद्दयुरप्पा लिंगायत के सबसे प्रभावी नेता हैं और जाहिर तौर पर अगर लिंगायत टूटे को फायदा कांग्रेस को ही होगा क्योंकि जदएस पूरी तरह वोकालिग्गा की पार्टी मानी जाती है।
दूसरी तरफ दलित समुदाय के बीच काफी पहले से भाजपा के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। भाजपा सूत्रों की मानी जाए तो मोदी की पहली रैली का चुनाव हर पहलू को देखकर किया गया। इसमें कोई संदेह भी नहीं कि मंगलवार की सुबह जब वह ओल्ड मैसूर के सानतेमराहाली से रैली को संबोधित करेंगे तो इन दोनों वर्गो को संदेश दिया जाएगा। संभव है कि येद्दयुरप्पा परिवार को भी कुछ संदेश दिया जाए।
गौरतलब है कि 224 विधानसभा सीटों वाले कर्नाटक में दलितों की संख्या लगभग 26 फीसद है और लिंगायत लगभग 18 फीसद। वहीं चुनावी आंकड़ों को देखें तो पिछले चुनाव में लगभग तीन दर्जन सीटें ऐसी थीं जहां पांच हजार से कम वोटों से फैसला हुआ था। ऐसे में इस बार जब भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है तो मोदी की रैली खास मायने रखती है।