कर्नाटक चुनाव के नतीजों और महंगाई पर रहेगी बाजार की नजर
15 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों को तमाम राजनीतिक विश्लेषक 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल मान रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। इस हफ्ते कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों पर निवेशकों की नजर रहेगी। इसके अलावा महंगाई के आंकड़े और कच्चे तेल की कीमतों से भी बाजार पर असर पड़ेगा। बीता हफ्ता प्रमुख शेयर बाजारों के लिहाज से बेहतर रहा था। बीएसई का सेंसेक्स 620.41 अंक की बढ़त लेकर बंद हुआ था।
- खुदरा महंगाई और तिमाही नतीजों का भी पड़ेगा असर
- बीते हफ्ते बढ़त लेकर बंद हुए थे प्रमुख शेयर बाजार
15 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं। तमाम राजनीतिक विश्लेषक इसे 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल मान रहे हैं। ऐसे में इसके नतीजों से देश की राजनीति पर व्यापक असर पड़ेगा। निसंदेह बाजार भी इससे अछूता नहीं रहेगा। इसके अलावा इस हफ्ते हिंदुस्तान यूनीलिवर, ल्यूपिन, पंजाब नेशनल बैंक, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और आइटीसी जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे भी आने हैं। निवेशक इस हफ्ते जारी होने वाली खुदरा महंगाई की दर पर भी नजर रखेंगे।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू संकेतकों के अलावा अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक गतिविधियां भी बाजार पर असर डालेंगी। सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक और सीईओ जिमीत मोदी ने कहा, 'हालांकि हर किसी की नजर कर्नाटक के चुनाव नतीजों पर है, जिससे बाजार पर बड़ा असर पड़ सकता है। लेकिन इससे बड़ा खतरा ईरान-इजरायल के बीच बन रही तनाव की स्थिति है।'
शीर्ष 10 में से नौ कंपनियों का एम-कैप बढ़ा
बीते हफ्ते देश की शीर्ष 10 में नौ कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में 65,128.77 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। सबसे ज्यादा फायदा रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ। कंपनी का एम-कैप 21,920.73 करोड़ रुपये बढ़कर 6,26,261.50 करोड़ रुपये पहुंच गया। ओएनजीसी, हिंदुस्तान यूनीलिवर, आइटीसी, कोटक महिंद्रा एचडीएफसी बैंक, मारुति सुजुकी, इन्फोसिस और एचडीएफसी लिमिटेड के बाजार पूंजीकरण में भी वृद्धि हुई। बीते हफ्ते सिर्फ टीसीएस के बाजार मूल्यांकन में गिरावट देखने को मिली।
विदेशी निवेशकों ने निकाले 12,671 करोड़ रुपये
पिछले आठ सत्र में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने भारतीय पूंजी बाजार से 12,671 करोड़ रुपये निकाले हैं। इनमें से 4,030 करोड़ रुपये इक्विटी बाजार से और 8,641 करोड़ रुपये डेट बाजार से निकाले गए। गवर्नमेंट सिक्योरिटीज की यील्ड बढ़ने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण एफपीआइ ने निकासी की। इससे पहले अप्रैल में एफपीआइ ने 15,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की थी।