Move to Jagran APP

कर्नाटक चुनावः सिद्धरमैया को घर में घेरने की रणनीति में जुटी भाजपा

पिछले चुनावों में भाजपा की रणनीति रही है कि विपक्षी दल के मुख्यमंत्री व स्टार उम्मीदवारों के खिलाफ व्यक्तित्व और सामाजिक समीकरण के आधार पर मजबूत उम्मीदवार खड़े किए जाएं।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 28 Mar 2018 09:31 PM (IST)Updated: Thu, 29 Mar 2018 12:12 PM (IST)
कर्नाटक चुनावः सिद्धरमैया को घर में घेरने की रणनीति में जुटी भाजपा
कर्नाटक चुनावः सिद्धरमैया को घर में घेरने की रणनीति में जुटी भाजपा

आशुतोष झा, नई दिल्ली। कर्नाटक में संवेदनशील मुद्दों के सहारे भाजपा की पेशबंदी में जुटे मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को भाजपा उनके घर में ही घेरने की रणनीति पर काम कर रही है। संभव है कि सिद्धरमैया के खिलाफ भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बीएस येद्दयुरप्पा के बेटे वीवाई विजयेंद्र को मैदान में उतारा जाए ताकि क्षेत्र के सबसे प्रभावी लिंगायत वोटर को भी एकजुट रखा जा सके और दूसरे समुदाय को जोड़ा जाए। हालांकि अभी विजयेंद्र के नाम पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।

loksabha election banner

पिछले चुनावों में भाजपा की रणनीति रही है कि विपक्षी दल के मुख्यमंत्री व स्टार उम्मीदवारों के खिलाफ व्यक्तित्व और सामाजिक समीकरण के आधार पर मजबूत उम्मीदवार खड़े किए जाएं। कर्नाटक में भी उसे दोहराने की कोशिश होगी। दरअसल कांग्रेस वहां अकेले सिद्धरमैया के दम पर चुनाव लड़ रही है। या फिर कहा जाए कि सिद्धरमैया ने वहां खुद को कांग्रेस के प्रतिरूप के समान स्थापित कर लिया है। ऐसे में अगर उनकी अपनी सीट वरुणा में लड़ाई तीखी होगी तो परेशानी बढ़ेगी।

गौरतलब है कि 2006 में जदएस से हटने के बाद वह वरुणा के पास की सीट चामुंडेश्वरी से से उपचुनाव लड़े थे तो महज 250 वोटों से जीते थे। वरुणा में हालांकि उन्होंने जीत का अंतर बढ़ाया लेकिन पिछले चुनाव में येद्दयुरप्पा की अलग पार्टी केजेपी और भाजपा के लड़ने के बावजूद जीत का अंतर 24 हजार के आसपास था।

ध्यान रहे कि करीब पौने दो लाख वोटरों की इस सीट पर लिंगायत वोट की संख्या 60 हजार है। दूसरे नंबर पर कुरुबा वोट है जिससे खुद सिद्धरमैया आते हैं। उनकी संख्या 50 हजार के आसपास है। जबकि एससी एसटी की संख्या भी 40 हजार के करीब है। रोचक बात यह है कि हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से परिवारा और तलवारा समुदाय को एसटी की सूची में जोड़ा गया था। वरुणा विधानसभा क्षेत्र में इनकी काफी संख्या है। बताते हैं कि विजयेंद्र को लाने की रणनीति इसलिए भी बन रही है क्योंकि वह पहली बार राजनीति में आएंगे और इस लिहाज से उनके खिलाफ राजनीतिक मुद्दा जुटाना कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा।

भाजपा में एक परिवार के लोगों को उम्मीदवार बनाने की प्रथा कम है। ऐसे में विजयेंद्र के नाम को लेकर थोड़ा संशय है। लेकिन सूत्रों की मानी जाए तो विजयेंद्र को उतारने के साथ ही येद्दयुरप्पा के बड़े बेटे को मैदान से हटाया भी जा सकता है जो फिलहाल शिकारीपुर से विधायक है। खुद येद्दयुरप्पा इसी सीट से चुनाव लड़ेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.