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Jharkhand Assembly Election 2019: बरहेट पहुंचने की आसान हुई राह, बराज से सिंचाई की अधूरी है चाह

Jharkhand Assembly Election 2019. नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन का विधानसभा क्षेत्र बरहेट सुविधाओं के लिए तरस रहा है। हालांकि यहां आवागमन के साधनों का जाल बिछ गया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 03:59 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 03:59 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: बरहेट पहुंचने की आसान हुई राह, बराज से सिंचाई की अधूरी है चाह
Jharkhand Assembly Election 2019: बरहेट पहुंचने की आसान हुई राह, बराज से सिंचाई की अधूरी है चाह

साहिबगंज, जासं। Jharkhand Assembly Election 2019 - बरहेट झारखंड में इसलिए चर्चित हैं क्योंकि यहां से नेता प्रतिपक्ष सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन विधायक हैं। बरहेट की पहचान इसलिए भी है क्योंकि यहीं के सिदो कान्हू ने अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया था। यह विधानसभा क्षेत्र दो जिलों में फैला है, साहिबगंज का बरहेट और पतना प्रखंड तो गोड्डा का सुंदरपहाड़ी प्रखंड। तीनों ही पहाड़ी इलाके हैं। कुछ साल पहले तक बरहेट तक जाना मुश्किल था।

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गोविंदपुर -साहिबगंज पथ का निर्माण होने के बाद अब यहां आना जाना काफी सरल हो गया है। राह तो सुगम हुई है। दलदली गांव जाने के लिए पुल बना तो लोगों ने जश्न मनाया था। बरहेट के लोगों का दर्द है कि पाइप लाइन बिछने के बाद भी उनके घरों में पीने का पानी नहीं आता। 1972 में अविभाजित बिहार में गुमानी बराज का काम शुरू किया था। कैबिनेट ने काम शुरू करने का फैसला भी लिया है। गुमानी बराज से निकली नहर सूखी है। गुमानी बराज के खेतों तक पानी नहीं गया है।

बरहेट विधानसभा क्षेत्र के अंदर भी सड़क व पुल-पुलियों का जाल बिछ गया है। बरहेट से पतना जाना हो या सुंदरपहाड़ी अब किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है। पहाड़ों पर चढऩे के लिए भी सड़कें बन गई हैं। कई ग्रामीण सड़कों को पथ निर्माण विभाग को सौंप दिया गया है। टेसो से महादेवबथान तक 36 किमी सड़क का निर्माण 93 करोड़ की लागत से हो रहा है। पंचकठिया से पांडरबथान तक की ग्रामीण सड़क पथ निर्माण विभाग को सौंप दी गई है। इस पथ पर भी काम शुरू है। इमलीमोड़ से दुर्गापुर तक 17 किमी सड़क बनी है। सुंदरपहाड़ी में भी कई सड़क व पुल-पुलियों का निर्माण हुआ है।

सड़क व पुल-पुलियों को यहां के विधायक हेमंत सोरेन अपनी उपलब्धियों में गिनाते हैं। बरहेट पेयजल जलापूर्ति परियोजना का लाभ नहीं मिल पाया है। लोगों के घरों में पाइप का कनेक्शन तो कर दिया गया है लेकिन उससे पानी नहीं आता। सिंचाई सुविधाएं भी बहुत बेहतर नहीं है। बिजली की स्थिति दयनीय रहती है। उप स्वास्थ्य केंद्रों में न डॉक्टर दिखते हैं, न दवा मिलती है। अहम बात। डिजिटल युग में बरहेट विधानसभा क्षेत्र के कई इलाके में मोबाइल नेटवर्क भी नहीं मिलता।

सरकार तो एक भी काम नहीं होने देना चाहती

पिछले पांच साल में बरहेट विधानसभा क्षेत्र में बहुत काम हुए हैं। निर्माण के बाद पहली बार 52 बीघा तालाब का जीर्णोद्धार कराया गया। आज आप विधानसभा क्षेत्र के किसी भी गांव में चार पहिया वाहन से जा सकते हैं। कुछ कार्यों की अनुशंसा मैंने की। द्वेष की भावना से सरकार ने उन कार्यों को स्वीकृति ही नहीं दी। बिजली ग्रिड बनाने की अनुशंसा की थी। भाजपा सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

विडंबना है कि भाजपा के ही लोग संताल परगना का विकास नहीं होने के लिए झामुमो को जवाबदेह ठहरा रहे हैं। कुछ लोग प्रचारित करते हैं कि वे क्षेत्र में नहीं रहते। समझना चाहिए कि नेता प्रतिपक्ष होने के नाते वे पूरे राज्य की राजनीति करते हैं। एक विधानसभा क्षेत्र में रहने से काम नहीं चल सकता। सीएम की तरह हेलीकाप्टर भी नहीं है कि कुछ मिनट में बरहेट आ जाएं। विधायक के नाते जितना काम हो सकता था, कराया गया। -हेमंत सोरेन, झामुमो विधायक, बरहेट।

हेमंत यहां रहते ही नहीं, क्या जानेंगे समस्याएं

हेमंत सोरेन अपने विधानसभा क्षेत्र में नहीं रहते हैं। इस वजह से उन्हें यहां की समस्याओं की जानकारी भी नहीं है। कभी-कभार आते हैं तो ठेकेदारों से ही घिरे रहते हैं। यहां की जनता उनसे मिल नहीं सकती है। ऐसे विधायक हैं जिनसे मिलने के लिए पांच लोग पूछताछ करते हैं। काम कराना तो दूर, यहां जनता अपने विधायक से दूरभाष पर भी बात नहीं कर सकती।

अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं पर वे विधानसभा क्षेत्र में चर्चा नहीं करते। उन्हें विकास से कोई मतलब भी नहीं है। शिबू सोरेन व हेमंत सोरेन ने लंबे समय तक राज्य के आदिवासियों को बरगलाकर वोट लिया। अब भोली भाली आदिवासी जनता सच्चाई समझ चुकी है। इसलिए दुमका से हेमंत विधानसभा चुनाव और शिबू लोकसभा चुनाव हारे। आगामी चुनाव में बरहेट में हेमंत का भी शिबू सोरेन वाला हाल होगा।  -हेमलाल मुर्मू, विपक्षी भाजपा नेता।

पांच बड़े मुद्दे

खेतों को नहीं पहुंचा पानी

1972 में गुमानी बराज परियोजना का शिलान्यास किया गया। 185 करोड़ खर्च हो चुका है लेकिन खेतों में पानी नहीं पहुंची है। गुमानी बराज के अलावा और सिंचाई योजनाएं भी नहीं है।

हेमंत : दर्जनों चेकडैम व तालाब बने हैं। पंचकठिया में 52 बीघा तालाब का जीर्णोद्धार हुआ। गुमानी बराज के लिए सरकार को लगातार कह रहे हैं। 

हेमलाल : उन्हें मालूम भी नहीं होगा कि यहां के खेत सूखे हैं। गांव जाते तो दिखता। उन्हीं योजनाओं की अनुशंसा करते हैं जिसमें उन लोगों को लाभ हो।

जलापूर्ति परियोजना का नहीं मिला लाभ

बरहेट में 53 करोड़ की लागत से पेयजल जलापूर्ति परियोजना का काम समाप्ति की ओर है। लोगों को पानी नहीं मिल रहा है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पेयजल की किल्लत अधिक है।

हेमंत : मेरे प्रयास से मेगा जलापूर्ति परियोजना का काम तेजी से हुआ। घरों में पानी नहीं पहुंचा। सरकार गड़बड़ी करने वाले पर कार्रवाई करे।  

हेमलाल : बरहेट जलापूर्ति परियोजना जल्द चालू होगी। सभी लोगों को इसका लाभ मिलेगा। पिछले दौरे में सीएम से इस पर बात हुई है।

बिजली कब आए-जाए कोई नहीं बता सकता

बरहेट में बिजली कब रहेगी कब नहीं, कोई नहीं जानता। आंधी आई नहीं कि बिजली गुल हो जाती है। कब मरम्मत होगी? कोई ठिकाना नहीं। पोल से लेकर तार तक जर्जर हैं। लोग परेशान रहते हैं।

हेमंत : बरहेट में ग्रिड बनाने की अनुशंसा की थी। सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। सरकार विरोधी दलों के क्षेत्र में कोई काम कराती ही नहीं है।

हेमलाल : नेता प्रतिपक्ष अपनी विफलता का ठीकरा सरकार पर फोड़ते रहते हैं। वे दिल से बिजली की समस्या दूर करना चाहते तो समाधान हो जाता।

स्वास्थ्य केंद्र के नाम पर सिर्फ भवन

बरहेट में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। स्वास्थ्य केंद्र का मतलब सिर्फ भवन है। यहां के लोग इलाज के लिए साहिबगंज के अलावा मालदा या भागलपुर का रुख करते हैं। झोला छाप डाक्टर का सहारा है।

हेमंत : सिर्फ बरहेट नहीं, पूरे राज्य में स्वास्थ्य की हालत बदतर है। निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को सरकार बर्बाद कर रही है।

हेमलाल : नेता प्रतिपक्ष को मालूम भी नहीं होगा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में कितने स्वास्थ्य केंद्र हैं और कितने डाक्टर पदस्थापित किए गए हैं। विफल हैं वो।

पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था नहीं

बरहेट में न सरकारी इंटर कॉलेज है न डिग्री। यहां के छात्रों को इंटरमीडिएट की शिक्षा के लिए साहिबगंज, बड़हरवा या भागलपुर जाना पड़ता है। तकनीकी शिक्षा की भी व्यवस्था नहीं है।  

हेमंत : यह सरकार स्कूल बंद कर रही है। खुद सीएम ने एक सभा में शिक्षा को समाप्त करने की बात कही है। इसी कारण सरकार कॉलेज नहीं खोलना चाहती।  

हेमलाल : विधायक ने यहां कॉलेज खोलने की मांग कभी नहीं उठाई। कॉलेज की जरुरत महसूस करते तो सीएम रहते यहां पर कॉलेज खोल सकते थे।

मतदाताओं का मूल्यांकन

गुमानी बराज परियोजना के चालू नहीं होने से किसान परेशान हैं। क्षेत्र में खुशहाली लानी है तो गुमानी बराज का पानी खेतों तक ले जाना होगा। -5/10 -सिमोन बेसरा, लाराघुटू।

सड़कों का निर्माण तेज गति से हुआ है। डिग्र्री कॉलेज की जरूरत है। कॉलेज नहीं होने से आदिवासी बहुल इलाके में ऊंची तालीम नहीं पाते। -6/10 -सोमनाथ शील, बरहेट बाजार।

सभी गांव प्रखंड कार्यालय से जुड़ चुके हैं। पंचायतों में पीसीसी सड़कों का जाल बिछ चुका है। बरहेट में बड़ी समस्या टेलीफोन नेटवर्क की है। -8/10 -मोहम्मद अरशद अंसारी, सनमनी, बरहेट।

53 करोड़ की लागत का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट फेल है। बाबूपुर, पंचकठिया, सिमलढाप, झबरी सहित अन्य गांवों पानी नहीं मिल पाया है। -4/10 -संतोष कुमार पंडित, बाबूपुर, पंचकठिया।

हेमंत सोरेन ने विकास किया है। कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं जिस पर उनका ध्यान नहीं गया है। आम लोगों के साथ उनका और जुड़ाव होना चाहिए। -6/10 -बबलू साह, बरहेट, साहिबगंज।

भोगनाडीह में शिक्षण संस्थान खुले हैं। स्कूली शिक्षा के लिए लोगों को जागरुक करना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में विधानसभा में उपलब्धि नहीं दिखती। -6/10 -तपेश पंडित, धनजोरी, बरहेट।

2014 का विधानसभा चुनाव परिणाम

हेमंत सोरेन (झामुमो) : 62515

हेमलाल मुर्मू (भाजपा) : 38428

2019 में लोकसभा चुनाव के मत

विजय हांसदा (झामुमो) : 62921

हेमलाल मुर्मू (भाजपा) : 49299

इतने हैं मतदाता

महिला वोटर : 94349

पुरुष वोटर : 96835

कुल वोटर : 191184

विधायक निधि का उपयोग

वित्तीय वर्ष : खर्च का प्रतिशत

2015-16 : 100

2016-17 : 100

2017-18 : 100

2018-19 : 100

2019-20 : डीसी बिल रोकने के लिए राशि निकासी नहीं हो सकी है। योजनाओं की अनुशंसा की गई है।


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