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Jharkhand Assembly Election 2019 : पोटका में विकास की धुंधली तस्‍वीर के बीच कांटे का मुकाबला Ground Report

Jharkhand Assembly Election 2019. पूर्वी सिंहभूम के पोटका विधानसभा क्षेत्र में विकास की धुंधली तस्‍वीर के बीच मुकाबला कांटे का दिख रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 03:23 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 03:56 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 : पोटका में विकास की धुंधली तस्‍वीर के बीच कांटे का मुकाबला Ground Report
Jharkhand Assembly Election 2019 : पोटका में विकास की धुंधली तस्‍वीर के बीच कांटे का मुकाबला Ground Report

पोटका से शशिशेखर। पूर्वी सिंहभूम के पोटका विधानसभा क्षेत्र में कुछ को छोड़ लगभग सभी प्रमुख दलों भाजपा, जेवीएम और जेएमएम ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। शहर से लेकर सुदूर गांवों तक यहां चुनावी सरगर्मी तेज है। जगह-जगह चाय व पान की दुकान व चौक-चौराहों पर चुनावी चर्चा चल रही है। सबसे ज्यादा चर्चा बचे संभावित प्रत्याशियों को लेकर है। तरह-तरह के कयासों का दौर भी जारी है वहीं प्रत्याशियों की हार-जीत की अटकलें भी अभी से लगाई जा रही हैं। किसने बेहतर काम किया, कौन इलाके में लगातार सक्रिय रहा, लोगों के सुख-दुख में कौन आगे आया, आदि आदि..।

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विकास के दावों की खुलती पोल

जागरण टीम घाटशिला से पोटका विधानसभा क्षेत्र के हाता होते हुए हल्दीपोखर पहुंची। यहां के गांवों की समस्याएं और कच्ची सड़क पर उड़ती धूल विकास की के दावों की पोल खोलती है। लोगों के चेहरे के भाव भी बताते हैं कि विकास की तस्वीर अभी यहां धुंधली है। लोगों की नाराजगी सरकार के कामकाज पर नहीं बल्कि सरकारी योजनाओं को सही जगह और सही तरीके से धरातल पर नहीं उतारने को लेकर है। भाजपा की मेनका सरदार यहां लगातार तीन बार से विधायक हैं। 2018 में उन्हें उत्कृष्ट विधायक का भी पुरस्कार मिला है। पिछले चुनाव में नंबर दो पर रहनेवाले झामुमो के संजीव सरदार करीब छह हजार वोटों के अंतर से भाजपा की मेनका सरदार से चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में भी गठबंधन से झामुमो प्रत्याशी संजीव सरदार मैदान में हैं।

खारा पानी पीकर हो रहे बीमार

इस विधानसभा क्षेत्र के हल्दीपोखर में 40 हजार लोग जमीन की चट्टानों के कारण चापाकलों से निकलने वाला खारा पानी पीकर बीमार हो रहे है। यहां यह बड़ी समस्या है। यहां से आगे बढ़े तो हरिणा पहुंचे। यहां से तुलग्राम जाने के लिए चंद कदम आगे बढ़ने के बाद मुख्य सड़क से ही कच्ची सड़क दिखाई देती है। इसी पगडंडीनुमा सड़क पर सात किमी आगे पहाड़ी नाला मिला जो रास्ते को पूरी तरह अवरुद्ध कर रहा था। स्थानीय लोग बताते हैं कि बरसात के चार महीने तक यह नाला छोटी नदी का रूप धारण कर लेता है। इससे उस पार के आठ गांव टापू बन दुनिया से कट जाते हैं। अभी इसमें लगभग एक फीट पानी है। यह इलाका पोटका प्रखंड मुख्यालय से 33 किमी और जमशेदपुर जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर है।

चार साल बाद भी उप स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र का नहीं खुला ताला

तुलग्राम के शिक्षक रामचंद्र मुमरू बताते हैं कि कुछ दूरी पर चार साल पहले एक उप स्वास्थ्य केंद्र बना, लेकिन चार साल बाद भी अब तक उसका ताला नहीं खुला है। वहीं इसी गांव के उपेंद्र सरदार, चोन मार्डी कहते हैं कि पहाड़ी नाला पर पुल और तुलग्राम सड़क निर्माण की मांग को लेकर इलाके के लोग 2009 में मतदान का बहिष्कार तक कर चुके हैं लेकिन कोई फायदा नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि इस बार वोट जरूर डालेंगे लेकिन उसी को जो सड़क व पुल की मांगें पूरी करेगा।

बागबेड़ा पर ज्‍यादा फोकस

जातीय समीकरणों को देखते हुए यहां प्रमुख दलों के सभी प्रत्याशी सरदार समुदाय से ही हैं। इस बार अपने विकास कार्यों का हवाला देकर लगतार तीसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं मेनका सरदार को चुनौतियों से जूझना होगा। कांग्रेस-झामुमो गठबंधन ने संजीव सरदार पर ही अपना दांव खेला है। वहीं आजसू ने यहां से बुलु रानी सिंह (सरदार) को अपना उम्मीदवार बनाया है। पोटका विधानसभा क्षेत्र में शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता हैं। भाजपा के लिए हर बार बागबेड़ा के मतदाता निर्णायक साबित होते आए हैं। पिछली बार मेनका सरदार को इसी इलाके से निर्णायक बढ़त मिली थी। इसे देखते हुए झामुमो नेता संजीव सरदार ने शहरी इलाका बागबेड़ा पर ज्यादा फोकस करते हुए यहां अपनी सक्रियता बढ़ाई है।

कांटे का मुकाबला

यह देखना दिलचस्प रहेगा कि उनकी यह सक्रियता इस बार चुनाव में कितनी कारगर साबित होगी। मेनका सरदार ने भी ग्रामीण के साथ शहरी इलाकों पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी है। झारखंड विकास मोर्चा ने नरेश मुमरू पर दांव लगाया है। नरेश मुमरू चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में किस हद तक कामयाब हो पाते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा। फिलवक्त जो सीन है, उसमें भाजपा की मेनका सरदार और झामुमो-कांग्रेस गठबंधन से संजीव सरदार ही आमने-सामने नजर आ रहे हैं। मेनका के सामने बागबेड़ा के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने और संजीव के सामने गैर आदिवासी मतदाताओं को अपनी ओर मोड़ने की चुनौती है। अभी यहां मुकाबला कांटे का ही लग रहा है।

(संपादकीय प्रभारी, दैनिक जागरण, जमशेदपुर)


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