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Jharkhand Assembly Election 2019: जंग से पहले ही दिग्गजों की बलि ले रही कांग्रेस

Jharkhand Assembly Election 2019. तीन महीनों में तीन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विधायक दल के नेता और एक कार्यकारी अध्यक्ष विदा हो चुके हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 07:15 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 10:22 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: जंग से पहले ही दिग्गजों की बलि ले रही कांग्रेस
Jharkhand Assembly Election 2019: जंग से पहले ही दिग्गजों की बलि ले रही कांग्रेस

रांची, [आशीष झा]। Jharkhand Assembly Election 2019 - विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही सभी दलों में नेताओं की कुछ ना कुछ भागमभाग हुई, लेकिन कांग्रेस को सर्वाधिक झटके लगे हैं। तीन महीने पहले जब विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई और नेताओं की दिल्ली दौड़ लगने लगी तब पार्टी में परिवारवाद का मुद्दा उठा। इस मुद्दे पर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने तमाम वरीय नेताओं पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए केंद्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखा, इसके सार्वजनिक होने के साथ ही पार्टी छोड़कर चले गए।

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इस घटना के बमुश्किल तीन महीने हुए हैं। अगले महीने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वरीय नेता सुखदेव भगत भी पार्टी को बाय-बाय करते गए। उन्होंने वर्तमान अध्यक्ष पर लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के साथ ही चुनाव हराने में शामिल रहने तक का आरोप लगा दिया। इसके बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू ने भी गुरुवार को अलग राह पकड़ ली। उनकी नाराजगी भी लंबे समय से चल रही थी लेकिन अब परिणाम सामने आया है।

बहरहाल, सुखदेव भगत भाजपा उम्मीदवार हैं, बलमुचू आजसू के कैंडीडेट और डॉ. अजय कुमार आम आदमी पार्टी में सक्रिय हैं। सुखदेव भगत के साथ ही सीनियर नेता मनोज यादव ने भी पार्टी छोड़ी और इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बन गए। इन दोनों की उम्मीदवारी पर कांग्रेस में भी खतरा नहीं था, लेकिन पार्टी के हालात ऐसे थे कि ये दूसरे दलों में जाने को मजबूर हुए हैं। बात यहीं आकर नहीं रुकी है।

हाल में ही कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए मानस सिन्हा ने पार्टी लाइन के विपरीत निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर लिया है और फिलहाल उन्हें मनाने की कार्रवाई चल रही है। ऐसा माना जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय के करीबी रहे मानस सिन्हा फिलहाल मानने से रहे और लड़ाई को आगे ही बढ़ाएंगे। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं, डॉ. अजय कुमार के पार्टी छोड़कर जाने के बाद जिन लोगों के बारे में यह कहा गया कि उन्होंने नए अध्यक्ष के लिए कैंपेन किया, अब वे भी नाराज हैं।

चुनाव प्रचार कार्यक्रमों में इनकी सहभागिता खुद-ब-खुद कहानी बयां कर देगी। ऐसे ही लोगों में प्रदीप कुमार बलमुचू भी शामिल थे। बलमुचू इसलिए खुश थे कि डॉ. अजय कुमार ने उनके खिलाफ लिखित शिकायत केंद्रीय अध्यक्ष से की थी, लेकिन नए अध्यक्ष ने बलमुचू की सीट पर ही समझौता कर लिया। कई और नेता नाराज हैं और खुलकर बयान भी दे रहे हैं, लेकिन उनकी नाराजगी पर पार्टी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।

उम्मीदवारों के चयन से बढ़ी नाराजगी

चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के चयन से नाराजगी कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार कुछ अधिक ही दिख रही है। लोगों को चयन से पहले ही गड़बड़ी के संकेत मिल गए, तो वे सक्रिय हो गए और अब चयन के बाद हंगामे हो रहे हैं। हंगामा हो भी क्यों नहीं, पांच साल से काम कर रहे नेताओं को टिकट नहीं मिला और नए लोगों को पार्टी ने उम्मीदवार बना दिया। इसी का नतीजा था कि कांग्रेस मुख्यालय पर नेताओं ने पूर्व डीजीपी राजीव कुमार और हटिया प्रत्याशी अजयनाथ शाहदेव का विरोध किया।

अभी और बढ़ेगी नाराजगी

कांग्रेस के कई नेता निर्दलीय अथवा दूसरे दलों से चुनाव लडऩे जा रहे हैं। इन नेताओं को रोकना मुश्किल हैं। रुक भी गए तो पार्टी के लिए कितना काम करेंगे, कहा नहीं जा सकता। टिकटों के बंटवारे से हाल में नाराज नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव जैसे कई नेता हैं। ये सार्वजनिक तौर पर चुप्पी भले साधे बैठे हैं, लेकिन पार्टी के कितना काम आएंगे, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।


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