Move to Jagran APP

Jharkhand Assembly Election 2019 : लाल आतंक की जमीं पर अब खिलेंगे विकास के फूल Ground Report

Jharkhand Assembly Election 2019. नक्‍सलियों के सफाए के बाद घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के लोगों में विकास की बेचैनी दिख रही है। स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा और नौजवानों के हाथों से रोजगार अब भी दूर है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 11:16 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 11:16 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 :  लाल आतंक की जमीं पर अब खिलेंगे विकास के फूल Ground Report
Jharkhand Assembly Election 2019 : लाल आतंक की जमीं पर अब खिलेंगे विकास के फूल Ground Report

घाटशिला से दैनिक जागरण के जमशेदपुर के संपादकीय प्रभारी शशि शेखर। Jharkhand Assembly Election 2019 ओडिशा की सीमा से सटे पूर्वी सिंहभूम जिले के बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र से मंगलवार की सुबह हम पहुंचते हैं कभी साहित्यकार की कर्मभूमि रहे घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में। यहां प्रवेश करते ही सबसे पहले प्रसिद्ध बांग्ला साहित्यकार विभूति भूषण बंदोपाध्याय के पुस्तकालय से हमारा सामना होता है। उनकी प्रतिमा के साथ ही उनकी लगभग 100 से अधिक रचनाएं यहां संरक्षित हैं। यहां से कुछ दूरी पर स्वर्णरेखा नदी के तट पर दाहीगोड़ा में उनका आवास भी है। आवास में उनकी प्रसिद्ध रचना ‘पाथेर पंचाली’ सहित दर्जनों साहित्य की पुस्तकें, वस्त्र आदि भी सुरक्षित हैं। यहां बड़ी संख्या में बांग्ला साहित्यप्रेमी और सैलानी अब भी आते-जाते रहते हैं। यह वही घाटशिला की धरती है, जहां आजादी से पहले साहित्य साधना के लिए बंगाल के बैरकपुर से आकर बंदोपाध्याय ने अपना छोटा-सा रहने लायक आशियाना बनाया था। उन्होंने यहां रहकर 20 साल साहित्य की साधना-सेवा की।

loksabha election banner

बाद में वर्ष 1969 के करीब यहां बंगाल के ही नक्सलबाड़ी से आकर नक्सलियों ने अपनी जड़ें जमानी शुरू कीं। लगभग दो साल में अपना संगठन खड़ा कर लेने के बाद लगातार नक्सली घटनाओं का अंजाम देते रहे। धीरे-धीरे नक्सलियों का मनोबल इतना बढ़ गया कि चार मार्च 2007 को उन्होंने होली के दिन सांसद सुनील महतो को बागुड़िया फुटबॉल मैदान में भारी भीड़ के बीच गोलियों से भून डाला था। 30 अगस्त 2010 को नक्सलियों ने बुरुडीह डैम के पास दिनदहाड़े लैंडमाइंस विस्फोट कर दारोगा समेत पुलिस के 10 जवानों को उड़ा दिया था। जवानों के शरीर के अंग क्षत-विक्षत होकर आसपास के पेड़ों पर लटक गए थे। 2011 में बीडीओ प्रशांत लायक को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था। लेकिन, सरकार की समर्पण नीति और दूर-दराज नक्सल इलाकों में सड़कों का जाल बिछाने के संकल्प के कारण अब उनके पैर उखड़ चुके हैं। 15 फरवरी 2017 को कुख्यात कान्हू मुंडा समेत छह बड़े नक्सिलयों ने समर्पण कर दिया। इसके बाद से यह इलाका लाल आतंक से लगभग मुक्ति पा चुका है। रोड कनेक्टिविटी और पुलिस-प्रशासन की मुस्तैदी के कारण ग्रामीणों का नक्सलियों से मोह भंग हो चुका है। इस कारण भी नक्सली बैकफुट पर आ गए हैं।

लोगों की आंखों में अब विकास की भूख साफ दिख रही है। अभी सड़कों के रूप में विकास हुआ है। अब लोग विकास की बहुआयामी किरणों की प्रतीक्षा में हैं। इलाके में स्वास्थ्य, शिक्षा, पीने का साफ पानी, नौजवानों के हाथों से रोजगार अब भी दूर है, बहुत दूर। रमेश भुइयां, कार्तिक भुइयां, दीपक कर्मकार, मोची राम सिंह आदि कहते हैं कि इस बार जाति-धर्म से ऊपर उठकर वे विकास के लिए वोट डालेंगे। 1952 से अस्तित्व में आए घाटशिला-बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र लाल दुर्ग के रूप में जाना जाता था। आश्चर्यजनक बात यह कि 1962 से पहले तक यहां दो विधायक होते थे। एक सामान्य वर्ग से, दूसरा अनुसूचित। एक ही मतदाता दो वोट डालता था। पांच बार यह सीट सीपीआइ के कब्जे में रही। चार बार कांग्रेस और एक-एक बार झामुमो व आजसू पार्टी का विधायक रहा। इस सीट पर 2014 में पहली बार कमल खिला।

इस बार चुनाव में भाजपा ने अपने सीटिंग विधायक लक्ष्मण टुडू की जगह छात्र आंदोलन से जुड़े युवा नेता लखन मार्डी पर दांव खेला है। इसे लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं में अंदरखाने छटपटाहट भी दिख रही है। इन सभी को एक साथ लाकर चुनाव अभियान में लगा देना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी इस चुनौती से कैसे निपटती है। लखन के लिए संघ से जुड़ाव थोड़ी राहत देने वाला है। गठबंधन की अभी तक तस्वीर साफ नहीं है। लेकिन, संभावित उम्मीदवारों की बात करें, तो गठबंधन से रामदास सोरेन तीर-धनुष के साथ और कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण यहां से लगातार तीन बार विधायक रहे प्रदीप बलमुचू टिकट के लिए आजसू की दर पर खड़े हैं। वहीं, रामदास सोरेन झामुमो से एक बार विधायक रह चुके हैं। ऐसे में इन दोनों को यदि टिकट मिल जाता है (जिसकी पूरी संभावना भी है), तो यहां मुकाबला त्रिकोणीय और रोचक होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.