Exclusive Interview: राजनीति में चलता है शह-मात का खेल, बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी आजसू: सुदेश महतो Jharkhand Election 2019
Jharkhand Assembly Election 2019 सुदेश दावा करते हैं कि आजसू के पास किसी दल का सहयोग करने की स्थिति नहीं आएगी। ऐसा वातावरण भी बन सकता है कि दूसरे दल ही उनका सहयोग करें।
खास बातें
- दैनिक जागरण से बातचीत में आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो ने बेबाकी से रखी अपनी बात
- कहा - 'मैं दावा करता हूं कि एनडीए में आजसू को 17 सीटें मिलतीं तो मैं उनमें से 15 पर जीत दिलाकर दिखा देता।
- 'हम सभी सीटों पर फाइट कर रहे हैं। कई सीटों पर आमने-सामने हैं। हमारा कोई उम्मीदवार हल्का नहीं है।
- 'महागठबंधन वोट के लिए है। उनकी विचारधारा में ही एकता नहीं। सिर्फ वोट के गणित को साधने के लिए एकता दिखा रहे हैं।
- 'यह बड़े बदलाव के रूप में देखने को मिलेगा। निश्चित रूप से आजसू बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी।
- 'सिल्ली में भाजपा की ओर से प्रत्याशी नहीं देने की बात है तो मैंने सार्वजनिक रूप से प्रत्याशी देने का स्वागत किया। अब उन्होंने क्यों नहीं प्रत्याशी दिया, इसे भी देखना होगा।
सीटों के बंटवारे में सहमति नहीं बनने पर एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ रही आजसू पार्टी के मुखिया सुदेश महतो अपने फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं। बातचीत में उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भी झलकता है। बेबाक कहते हैं कि 23 दिसंबर को आने वाले नतीजे में आजसू बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी। चुनाव में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की संभावना पर भी दावा करते हैं कि उस समय आजसू के पास किसी दल का सहयोग करने की स्थिति नहीं आएगी। ऐसा वातावरण भी बन सकता है कि दूसरे दल ही उनका सहयोग करें। 25 सीटों की तैयारी, 17 पर दावेदारी के बाद अब 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लडऩे के क्रम में बाहर से आने वाले नेताओं की चुनाव बाद विश्वसनीयता के सवाल पर भी उनका सकारात्मक रुख है। कहते हैं, पार्टी में लगातार काम करने वाले तथा बाहर से आने वाले नेताओं की एक कांपैक्ट टीम बनेगी। उनका यह भी विश्वास है कि पार्टी सिर्फ चुनाव नहीं लड़ रही है। सभी सीटों पर उनके उम्मीदवार एक कोण बना रहे हैं। कई सीटों पर आमने-सामने की टक्कर है। दैनिक जागरण के राज्य ब्यूरो प्रभारी प्रदीप सिंह तथा सीनियर कॉरेस्पोंडेंट नीरज अम्बष्ठ ने सारे सियासी पहलुओं पर उनसे लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :
सवाल : भाजपा गठबंधन टूटने के लिए आपको जिम्मेदार मानती है। आपके अनुसार इसकी क्या वजहें रहीं?
सुदेश का जवाब : गठबंधन में न केवल सीट शेयरिंग का इश्यू था, बल्कि झारखंड के कई विषयों को लेकर कॉमन एजेंडा तय करने को लेकर भी पार्टी ने मांग रखी थी। इस पर उधर से कोई जवाब ही नहीं आया। झारखंड के मुद्दों और यहां के विषयों को लेकर दोनों दलों के बीच सहमति होने के बाद ही आगे बढ़ा जा सकता था। गठबंधन टूटने के लिए आजसू को जिम्मेदार मानने की बात है तो उन्हें बताना चाहिए क्या कारण रहा। जहां तक सीटों की बात है तो मैंने वही सीटें मांगी थी जिन पर पार्टी काफी मजबूत थी। मैं दावा करता हूं कि आजसू को 17 सीटें मिलतीं तो मैं उनमें से 15 पर जीत दिलाकर दिखा देता।
सवाल : पिछले चुनाव में तो आप बहुत कम सीटों पर मान गए थे। इस बार आपकी महत्वाकांक्षाएं कैसे बढ़ गईं?
सुदेश का जवाब : महत्वाकांक्षाएं सभी दलों की होती हैं। भाजपा की महत्वाकांक्षाओं के कारण ही तो वह आज देश की सबसे बड़ी पार्टी हो गई। पहले उनके दो सांसद थे आज 300 से पार हो गए। जहां तक पिछले विधानसभा चुनाव में सीटों की बात है तो उस समय पार्टी ने राज्य में स्थायी सरकार बनाने के लिए सभी शर्तों को मानते हुए समझौता किया था। पार्टी ने उस समय अपनी कई महत्वपूर्ण सीटों को भाजपा के लिए छोड़कर स्थायी सरकार बनाने के लिए एक तरह से कुर्बानी दी थी। उस समय आजसू के हाथ से न केवल वे सीटें निकल गई थीं, बल्कि कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर चले गए थे। यहां तक कि सीटिंग विधायक को भी खोया। इस बार राजनीतिक स्थितियां बदल गईं हैं। पार्टी ने पांच साल तक निचले स्तर पर जाकर काम किया है। हमारे नेताओं ने पांच साल तक मेहनत की है। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं की भावना को ध्यान में रखकर झारखंड गठन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ही अकेले चुनाव लडऩे का निर्णय लिया।
सवाल : कहा जाता है कि आजसू सरकार में रहकर भी सरकार की नीतियों की आलोचना करती है?
सुदेश का जवाब : पार्टी सरकार में रहते हुए भी महत्वपूर्ण विषयों और मुद्दों को लेकर विपक्ष से अधिक मुखर रही। चाहे स्थानीय नीति का मामला हो या सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का मुद्दा। पार्टी ने इन विषयों को लेकर सदन से लेकर सड़क पर उतरने का काम किया। सरकार इन सभी मुद्दों पर यू-टर्न भी हुई। सिर्फ आजसू के विरोध के कारण। गठबंधन बरकरार रखने के लिए हमने अपनी मांगों पर जिद की तो वह जिद क्या थी? झारखंड की वैधानिक बातों को लेकर ही तो थी। झारखंड की भावना के साथ चलना पसंद नहीं तो हम क्यों उनके साथ जाते।
सवाल : आपने इस बार दहाई का आंकड़ा पार करने की घोषणा की है। इसे लेकर आपने क्या रणनीति बनाई है?
सुदेश का जवाब : हमने वर्ष 2017-18 का पूरा साल ग्रामीण स्वराज अभियान में लगाया। पांच हजार गांवों में जनसभाएं कीं। महात्मा गांधी की अवधारणा के साथ मापदंड को चौपाल पर ले जाने की हमारी तैयारी है। दूसरी पार्टियां अंतिम समय में बूथ कमेटियां गठित करती हैं। हमने चूल्हा प्रमुख के माध्यम से यह काम काफी पहले ही कर दिया। कई जगहों पर ऐसी तैयारी की है जहां कोई दल नहीं है। चूल्हा प्रमुख एक-एक मतदाता तक पहुंचने का कॉन्सेप्ट है। हम सिमरिया, चक्रधरपुर जैसी जगहों में एक-एक मतदाता तक पहुंचे हैं। एक-एक मतदाता के साथ विचारों का आदान-प्रदान कर पांच साल तकसेवा करने का आधार बनाया है।
सवाल : आपकी लड़ाई भाजपा से है या महागठबंधन के घटक दलों से?
सुदेश का जवाब : हम सभी सीटों पर फाइट कर रहे हैं। कई सीटों पर आमने-सामने हैं। हमारा कोई उम्मीदवार हल्का नहीं है। पार्टी ने काफी बारीकियों से परख कर ही उम्मीदवार तय किए हैं। जो बाहर से आ रहे हैं, वे ऐसे ही नहीं आ रहे हैं। पार्टी ने पूरी छानबीन की है। उनके जनाधार को देखा है। कांग्रेस-झामुमो-राजद का गठबंधन वोट के लिए है। उनकी विचारधारा में ही एकता नहीं। सिर्फ वोट के गणित को साधने के लिए एकता दिखा रहे हैं। लेकिन कमिटमेंट में उनकी कोई एकता नहीं है। यह उनके संकल्प पत्र में भी नहीं दिखता।
सवाल : आपकी प्रतिद्वंदी पार्टियों के बड़े नेता कहते हैं कि आजसू टिकट बांटने का एक प्लेटफॉर्म बन गया है। बाहर से आने वाले आपके लिए कितने विश्वसनीय रह पाएंगे। बाबूलाल जी का उदाहरण आपके पास पड़ा है।
सुदेश का जवाब : लोकतंत्र में एक दल से दूसरे दल में तो लोग जाते ही रहते हैं। आजसू की विचारधारा पसंद आ रही है तो लोग जुड़ रहे हैं। आप राजनीतिक इतिहास देख लें। कभी समय था जब कांग्रेस ही पूरे देश में छाई रही। 1980-90 बाद में कांग्रेस से ही लोग आकर भाजपा से जुड़े और शीर्ष तक भी पहुंचे। झारखंड में ही झामुमो छोड़कर कई बड़े नेता भाजपा में आए और तीन-तीन बार सीएम बने। उदाहरण अच्छे हैं। कई लोगों ने आकर कमान संभाल ली। मैं विश्वास के साथ कहता हूं कि पार्टी में पहले से काम कर रहे तथा अभी जुड़ रहे लोगों की एक कांपैक्ट टीम बनेगी। भले ही अभी चुनाव का एक अवसर हो सकता है। लेकिन काम झारखंड की थीम पर ही हो रहा है। राज्य गठन के उद्देश्य को पूरा करने की भावना के साथ हो रहा है।
सवाल : आपने किस रणनीति के तहत उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा?
सुदेश का जवाब : पार्टी ने दो रणनीतियों पर काम किया। एक तो यह कि हमारे जो नेता चुनाव की तैयारी कर रहे थे उन्हें टिकट दिया गया। जहां हमारी तैयारी नहीं थी, वहां दूसरे दलों के सीटिंग विधायकों या पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले नेताओं से जगह भरी गई। यह पार्टी में दोनों तरह के नेताओं का बहुत बड़ा समावेश है। अचानक से चीजें जिस रूप में आईं हैं उससे बड़ा बदलाव आया है। पहले हम छोटानागपुर और कोल्हान में थे। अब हमारी विचारधारा का फैलाव संताल परगना में संपूर्ण और मजबूत रूप से हो गया है। यह बड़े बदलाव के रूप में देखने को मिलेगा। निश्चित रूप से आजसू बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी।
सवाल : कहा जा रहा है कि भाजपा के प्रति आपका सॉफ्ट लहजा है। आपने मुख्यमंत्री रघुवर दास की सीट पर प्रत्याशी नहीं दिया। सिल्ली में भाजपा ने नहीं दिया।
सुदेश का जवाब : 19 साल में हमारा लहजा किसी के प्रति कभी भी हार्ड तो नहीं रहा। हम विषय पर बात करते हैं। व्यक्ति पर नहीं। प्रत्याशी नहीं देने को दूसरे ढंग से नहीं देखिए। मैंने पहले चरण में कई जगहों पर प्रत्याशी नहीं दिए। आपने तो पूछा नहीं कि दस जगहों पर पार्टी ने क्यों प्रत्याशी नहीं दिए? जहां तक सिल्ली में भाजपा के प्रत्याशी नहीं देने की बात है तो मैंने सार्वजनिक रूप से प्रत्याशी देने का स्वागत किया। अब उन्होंने क्यों नहीं प्रत्याशी दिया, इसे भी देखना होगा। बाद में आप भी देखिएगा कि उन्होंने क्यों नहीं प्रत्याशी दिया।
सवाल : 23 दिसंबर का नतीजा क्या आएगा? आपकी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव जीतेगी?
सुदेश का जवाब : अभी तो हम आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। 23 दिसंबर की बात अभी नहीं कही जा सकती, लेकिन यह तय है कि बड़ा जनादेश आजसू पार्टी के पक्ष में आएगा। यह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आएगी। उस समय हम नहीं, दूसरों को मुझे सरकार बनाने में मदद करने की जरूरत पड़ सकती है। ऐसा वातावरण बन सकता है।
सवाल : पार्टी में अप-डाउन चलता रहता है। दूसरी बड़ी पार्टियों की अपेक्षा आपके पास संसाधन भी कम हैं। ऐसे में आप कैसे टिक पाएंगे?
सुदेश का जवाब : कई लोग प्रबंधन से चुनाव लड़ते हैं। चुनाव को प्रबंधन का विषय बना दिया गया है। हम इस चुनाव मेें ऊपरी सतह पर मंच सजाने से ज्यादा पंच सजाने का काम कर रहे हैं। आखिर मंच सजता ही है पंच के लिए। हम इस सीधे रूट पर काम कर रहे हैं। जितने समर्पित कार्यकर्ता हमारे पास हैं उतने किसी भी दल में नहीं हैं।
सवाल : पिछड़ी जाति को 27 फीसद आरक्षण देने को सबसे पहले आपने घोषणापत्र में शामिल किया। अब इसे अन्य सभी दलों ने भी स्थान दिया है।
सुदेश का जवाब : आजसू पार्टी शुरू से ही पिछड़ी जाति को 27 फीसद आरक्षण देने की वकालत करती रही है। इस सरकार में मुख्यमंत्री रघुवर दास से भी मिलकर इसकी मांग की। अब सभी पार्टियां इसकी बात कर यह साबित कर रहीं हैं कि आजसू की यह मांग जायज है। दूसरे दलों के लिए यह नारा हो सकता है। हमारे लिए तो यह विचारधारा है।
सवाल : आपने विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की बात अपने संकल्प पत्र में की है। इसे लेकर पूर्व में आंदोलन तो करते रहे, लेकिन एनडीए के साथ गठबंधन के पांच साल के दौरान चुप भी रहे?
सुदेश का जवाब : नहीं, ऐसी बात नहीं है। पार्टी ने विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए राज्य में सबसे बड़ी मानव शृंखला बरही से बहरागोड़ा तक बनाई। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलकर इस मांग को उठाया। उसका फलाफल भी मिला। मेरी मांग पर ही डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का प्रावधान किया गया, जिसकी राशि से जिलों में विकास के कार्य हो रहे हैं। यह मेरी विशेष राज्य की मांग का ही एक हिस्सा है। लेकिन यह पूर्णत: मांग का हिस्सा नहीं है। हमने यह कहा था कि हमारे डीवीसी, सीसीएल के मुख्यालय झारखंड में आने चाहिए थे। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से कई तरह की केंद्रीय सहायता राशि मिलती। अब देखिए। झारखंड में विधानसभा का भवन राज्य के खर्च से बना। जबकि दूसरे कई राज्यों ने इसके लिए केंद्र से राशि ली। लेकिन हमने लोन लेकर इसे पूरा किया।
सवाल : आपने अपने घोषणापत्र में स्थानीय नीति में भी संशोधन का जिक्र किया है। यह संशोधन किस रूप में होगा?
सुदेश का जवाब : स्थानीय नीति में संशोधन हमारा प्रस्ताव है। हमारा रुख इस पर स्पष्ट है। स्थानीयता का आधार अंतिम सर्वे सेटलमेंट ही होगा। राज्य व जिला स्तर के तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नौकरी वैसे लोगों को देने का भरोसा दिया गया है जिनके पूर्वजों के नाम जमीन, बासगीत आदि का उल्लेख पिछले सर्वे रिकार्ड ऑफ राइट्स में दर्ज हो।
सवाल : महाराष्ट्र का हालिया राजनीतिक घटनाक्रम झारखंड में भी तो नहीं दोहराया जाएगा?
सुदेश का जवाब : हम महाराष्ट्र की घटना से इत्तेफाक नहीं रखते। न ही इस तरह सोचा है। हमारी राजनीति राज्य के लिए समर्पित रही है। झारखंड के गठन के औचित्य को पूरा करने की लड़ाई है।
सवाल : महाराष्ट्र में शिवसेना का कहना है कि भाजपा स्थानीय पार्टियों को खत्म कर देना चाहती है?
सुदेश का जवाब : बड़ी पार्टियां यह सोचकर चलती हैं कि स्थानीय को खत्म कर देंगे, ऐसा नहीं हो सकता। राजनीति में शह-मात का खेल चलता है। यह उस दल की काबिलियत पर निर्भर करता है कि वह राजनीति में टिक पाता है या नहीं। नीति और निर्णय ही पार्टी को ऊपर या नीचे ले जाता है।