Jharkhand Assembly Election 2019: खंडहर ही बयां कर रहा, कभी बुलंद थी सिंदरी की इमारत
महज दो दशक पहले तक सिंदरी को मिनी इंडिया कहा जाता था। झारखंड के इस सबसे सुंदर स्थान में बालीबुड अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री का जन्म हुआ था। 1981 में मिस इंडिया बनी।
धनबाद [डॉ चंदन शर्मा]। सिंदरी का रोहड़ाबांध आंबेडकर चौक। एक तरफ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पोस्ट आफिस। दूसरी ओर एफसीआइ मार्केट कॉम्प्लेक्स। इस विशाल भवन में केवल एक दवा दुकान खुली दिखती है, बाकी सभी दुकानों के दरवाजे बंद, विदेशी शराब की दुकान भी। सुरा की खोज में वहां भटक रहे बलियापुर के संतोष महतो बुदबुदाते हैं, 'सुना था कि नरक में शराब की दुकान गुलजार रहती है। यहां तो विदेशी शराब दुकान में भी ताला लगा है। सच में सिंदरी की सुंदरता खत्म हो गई है। झारखंडी भाषा में सिंदरी का अर्थ है सुंदर। दवा दुकान चला रहे अभिजीत मंडल बताते हैं कि कभी इस मार्केट कॉम्प्लेक्स में रौनक रहती थी। दुकानदारों को सांस लेने की फुर्सत नहीं मिलती थी। एक एक कर सब दुकानें बंद हो चुकी है। शराब की भी। खंडहर ही बयां कर रहे है कि कभी यहां बुलंद इमारत थी।
महज दो दशक पहले तक सिंदरी को मिनी इंडिया कहा जाता था। झारखंड के इस सबसे सुंदर स्थान में बालीबुड अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री का जन्म हुआ था। 1981 में मिस इंडिया बनी। फिर मुंबई सिने जगत में गई। उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक के लोग सिंदरी खाद कारखाना, प्रोजेक्ट डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड (पीडीआइएल) एवं एसीसी सीमेंट कारखाना में नौकरी करने आते थे। 31 दिसंबर 2002 को सिंदरी खाद कारखाना बंद हो गया। पीडीआइएल के गेट में ताला लटक गया तो धीरे धीरे दक्षिण भारत के लोग चले गए। जो रह गए हैं, उनके लिए पेट चलाना मुश्किल। आंबेडकर चौक पर सैलून चलाने वाले राम प्रवेश ठाकुर दुकान के सामने माथे पर हाथ धर कर बैठे हैं।
दुखड़ा सुनाते हैं कि अब दिन भर में आठ दस दाढ़ी बन जाय तो बड़ी बात है। जीवन कठिन है। उनकी दुकान के सामने रिक्शा स्टैंड है। सारे रिक्शे खड़े हैं, उनमें जंग लग चुकी है। राम प्रवेश कहते हैं, जब लोगों का पेट भरना मुश्किल है तो कोई रिक्शा पर कैसे चल सकता है। रिक्शा वाले अब कोयला चुन रहे हैं, झाड़ू मार रहे हैं या सिंदरी छोड़ कर चले गए हैं।
सिंदरी खाद कारखाना की जमीन हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) को दे दी गई है। नया कारखाना लगाने के लिए। सिंदरी खाद कारखाना एवं पीडीआइएल बंद हुआ था तो एकबारगी 36 सौ कर्मचारियों को वीआरएस दे दिया गया था। वीआरएस ले चुके 2 हजार से अधिक कर्मचारी अथवा उनके परिवार के लोग आज भी सिंदरी में हैं। हर्ल में नौकरी की संभावना नहीं दिखती। हर्ल का कारखाना चलने से परोक्ष रोजगार मिल सकता है, बस यही उम्मीद है। मगर कब तक? 2014 के विधानसभा चुनाव के समय वायदा किया गया था कि 2019 के विधानसभा चुनाव तक कारखाना में उत्पादन शुरू हो जाएगा। हुआ नहीं। उम्मीद है कि कारखाना खुलेगा तो कुछ भला तो जरूर होगा।
चूल्हा जलाने को जान जोखिम में डाल चुनती हैं कोयलाः सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में बलियापुर का इलाका आता है। कृषि प्रधान क्षेत्र। बलियापुर सिंदरी के बीच सड़क के किनारे कुछ जगहों पर कोयला खदानों की छाई फेंकी हुई है। गरीबी इतनी है कि सिर्फ घर का चूल्हा जलाने के लिए जान जोखिम में डाल कर गांवों की महिलाएं छाई से बांस की टोकरी में कोयला चुनती हैं। दोपहर एक से शाम पांच बजे तक रोजाना चार घंटे। कोयला चुन रही सिंदरी बस्ती की कल्याणी रजवार कहती हैं, 'कोयला नहीं चुनेंगे तो चूल्हा कैसे जलेगा। आदमी ठेकेदारी में काम करता है। इतनी महंगाई में क्या करें।' उनके साथ एक दर्जन से अधिक महिलाएं कोयला चुन रही है। अचानक छाई भरभरा जाय तो मरने की गारंटी पक्की। चुनाव की बात चलती है तो कहती हैं, जो सबसे अच्छा आदमी है उसी को चुनेंगे।
75 का जोश या 35 का दमः सिंदरी ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां छह प्रत्याशी दावेदारी में है। मतदाता भ्रमित हैं। भाजपा से बागी हुए 76 वर्षीय फूल चंदन मंडल दलबदल कर झामुमो से मैदान में हैं। भाजपा ने युवा चेहरे इंद्रजीत महतो पर दांव खेला है। झारखंड आंदोलनकारी 77 वर्षीय आनंद महतो अलग राज्य बनने के पहले दो दशक तक माक्र्सवादी समन्वय समिति (मासस) विधायक रहे। झारखंड बनने के बाद चुनावी संघर्ष में वे लगातार हार रहे हैं। आनंद महतो की दावेदारी को भाजपाई सिरे से नकारते हुए कहते हैं, अब बुजुर्गों के दिन लद गए हैं। मोदी जी ही नया कारखाना ला रहे हैं, वोट तो उनको ही जाएगा। यहां पहली चुनावी सभा आजसू के सुदेश महतो की हुई है। भाजपा से अलग होने का कारण झारखंड स्वाभिमान को बताकर सुदेश सुर्खियां बटोर चुके हैं। आजसू ने युवा चेहरे मंटू महतो को मैदान में उतारा है। बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो से रमेश राही कंघी लेकर घूम रहे हैं। वहीं जेएमएम से बागी हुए डीएन सिंह आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़़ रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता श्रीराम दुबे दो टूक कहते हैं, सर, इस बार वोटर गलती नहीं करेगा। वे दुष्यंत की इन पंक्तियों को उद्धृत करते हुए सिंदरी के मिजाज को कुछ यूं बयां करते हैं- 'आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख, घर अंधेरा देख तू आकाश के तारे न देख। एक दरिया है यहां पर दूर तक फैला हुआ, आज अपने बाजुओं को देख पतवारें न देख।'