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Jharkhand Assembly Election 2019: बहरागोड़ा में सड़कों की स्थिति सुधरी, रेल लाइन की है दरकार

Jharkhand Assembly Election 2019. विधायक कुणाल षडंगी बोले- जमीन पर काम किया है। भाजपा ने कहा- केंद्र व राज्य की योजनाओं से क्षेत्र का विकास हुआ है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 07:30 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 07:30 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: बहरागोड़ा में सड़कों की स्थिति सुधरी, रेल लाइन की है दरकार
Jharkhand Assembly Election 2019: बहरागोड़ा में सड़कों की स्थिति सुधरी, रेल लाइन की है दरकार

बहरागोड़ा (पूर्वी सिंहभूम), [पंकज मिश्रा]। Jharkhand Assembly Election 2019 - झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा तीन राज्यों के त्रिवेणी संगम पर बसा है बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र। एक तरफ बहरागोड़ा को शिक्षितों एवं कृषकों का प्रखंड माना जाता है, दूसरी तरफ चाकुलिया की पहचान औद्योगिक कस्बा के रूप में है। वहीं गुड़ाबांधा प्रखंड पन्ना पत्थर के लिए देश में मशहूर है। बीते साढ़े चार- पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान विधायक कुणाल षडंगी क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहकर विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने की कोशिश करते रहे।

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विपक्षी दल का विधायक होने के कारण उन्हें कई मोर्चों पर खासा जूझना भी पड़ा। क्षेत्र के वर्तमान सांसद तथा पूर्ववर्ती विधायक विद्युत वरण महतो के कार्यकाल में प्रारंभ लगभग सभी सड़कों का निर्माण कार्य बीते तीन-चार वर्षों में पूरा हो गया। इनमें चाकुलिया की जीवन रेखा कही जाने वाली धालभूमगढ़- चाकुलिया- बेंद सड़क, चाकुलिया- मटिहाना सड़क, केरुकोचा- शीशाखून सड़क तथा पिताजुड़ी- गुड़ाबांधा सड़क शामिल है। बहरागोड़ा को रेलवे से जोडऩे को लेकर विधायक ने हाथ-पांव तो जरूर मारे लेकिन यह अभी भी दूर की कौड़ी बना हुआ है।

चाकुलिया से बहरागोड़ा होते हुए ओडिशा के बुड़ामारा तक रेल लाइन बिछाना इस क्षेत्र के लोगों की दशकों पुरानी मांग है। वर्तमान विधायक के पिता एवं तत्कालीन विधायक डॉ दिनेश षाड़ंगी ने उस समय के रेल मंत्री लालू यादव से मिलकर इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने का काम किया था, लेकिन बाद में उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल व रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं के मामले में कोई बहुत बड़ी योजना तो नहीं आई पर ग्रामीण स्तर पर छोटी-छोटी योजनाएं जरूर क्रियान्वित हुईं।

कुणाल षड़ंगी के कार्यकाल की खासियत यह रही कि वे क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे। कोई भी घटना- दुर्घटना होने पर सबसे पहले पहुंचने का प्रयास करना तथा लोगों के निजी सुख-दुख में शामिल होने पर उनका विशेष जोर रहा। उन्होंने निजी स्तर पर कई स्वास्थ्य शिविर, प्रतिभा सम्मान समारोह तथा लक्ष्य महोत्सव जैसे मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित करवााए।

मुख्य प्रतिद्वंद्वी एवं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी के साथ सामाजिक कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर शह मात का खेल लगातार चलता रहा। चाकुलिया के ऐतिहासिक एयरपोर्ट को चालू कर यहां कार्गो सेवा शुरू करने को लेकर भी विधायक ने प्रयास किया पर अपेक्षित सफलता नहीं मिली। अलबत्ता जमशेदपुर से नजदीक होने के कारण चाकुलिया से सटे धालभूमगढ़ में नए एयरपोर्ट निर्माण को मंजूरी मिल गई।

पांच बड़े मुद्दे

1. बहरागोड़ा को रेलवे से जोडऩा : बहरागोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बसा हुआ है। इसलिए यहां सड़क आवागमन की सुविधा तो है पर रेलवे की कमी यहां के लोगों को दशकों से खल रही है।

कुणाल : बहरागोड़ा को रेलवे से जोडऩे का जो तैयार हुआ था उसे आर्थिक रूप से नुकसानदेह बता कर उसकी फाइल रेलवे ने बंद कर दी थी। विधानसभा में तीन बार मैंने यह मामला उठाया तब जाकर दोबारा सर्वे किया गया।

गोस्वामी : बीते 5 वर्षों में बहरागोड़ा को रेलवे से जोडऩे की दिशा में कुछ भी काम नहीं किया गया। सिर्फ अखबारों में बयानबाजी कर सर्वे के नाम पर विधायक लोगों को गुमराह करते रहे। जमीन पर 1 इंच भी मामला आगे नहीं बढ़ पाया।

2. बेरोजगारी की समस्या : राज्य के अन्य हिस्सों की तरह बहरागोड़ा में भी बेरोजगारी की समस्या लगातार बनी हुई है। क्षेत्र के युवाओं का रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन जारी है।

कुणाल : बहरागोड़ा में डेढ़ सौ एकड़ जमीन आदित्यपुर स्थित आयडा के एक्सटेंशन सेंटर के तौर पर चिन्हित की गई है। इसमें विभिन्न तरह के थर्मोकोल, ई वेस्ट मैनेजमेंट, पेपर मिल आदि प्लांट लगेंगे, जहां युवाओं को रोजगार मिलेगा।

गोस्वामी : मोमेंटम झारखंड के बावजूद कोई उद्योग बहरागोड़ा क्षेत्र में नहीं लगा। विधायक की लापरवाही के कारण अमूल फैक्ट्री इचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के चौका चला गया। स्थानीय युवा रोजगार के लिए हाथ मलते रह गए।

3. बदहाल बिजली : बदहाल बिजली के कारण एक तरफ जहां औद्योगिक कस्बा चाकुलिया में चावल उद्योग की कमर टूट चुकी है, वहीं दूसरी तरफ धान का कटोरा कहे जाने वाले बहरागोड़ा के किसान सिंचाई से वंचित हो जा रहे हैं।

कुणाल : बिजली के क्षेत्र में बहरागोड़ा को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डेढ़ साल में पावर ग्रिड बनकर तैयार हो चुका है। चाकुलिया के बालीबांध सब स्टेशन को चालू कराने का प्रयास भी लगातार जारी है। अक्टूबर में यह भी शुरू हो जाएगा।

गोस्वामी : बीते 5 वर्षों के अपने कार्यकाल में विधायक एक सब स्टेशन बालीबांध को चालू नहीं करा पाए। विद्युतीकरण के क्षेत्र में जो भी काम हुआ है वह राज्य सरकार की देन है। विधायक के प्रयास से यहां कुछ भी नहीं हुआ है।

4. स्वास्थ्य सुविधा का अभाव : झारखंड गठन के 19 वर्षों बाद भी स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल या ओडिशा की शरण में जाना पड़ता है।

कुणाल : बहरागोड़ा में ट्रॉमा अस्पताल तथा चाकुलिया में सीएचसी चालू हुआ, जिससे मरीजों को राहत मिली है। शंकर नेत्रालय समेत देश के विशिष्ट अस्पतालों एवं चिकित्सकों की सुविधा मुहैया करने के लिए कई शिविर लगाया, जिसका लाभ क्षेत्र के लोगों को मिला।

गोस्वामी : बहरागोड़ा का ट्रामा सेंटर सिर्फ ओपीडी तक सीमित रह गया है। विधायक द्वारा निजी अस्पताल के लिए कोई पहल नहीं की गई। चाकुलिया में सीएचसी के उद्घाटन समारोह में हंगामा कर उन्होंने जता दिया कि उनकी मानसिकता गरीब विरोधी हैं।

5. चाकुलिया में ओवरब्रिज : चाकुलिया के पश्चिमी रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज निर्माण की मांग दशकों पुरानी है। ओवरब्रिज के अभाव में न केवल लोगों के समय का नुकसान होता है बल्कि आए दिन जाम की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।

कुणाल : ओवरब्रिज का निर्माण केंद्र व राज्य दोनों का सामूहिक विषय है। इसके निर्माण की बाधाएं दूर हो चुकी हैं। रेलवे भी इसकी घोषणा कर चुका है। यहां 'यू' आकार के ओवरब्रिज के निर्माण का प्रस्ताव है जिसपर जल्द काम शुरू होगा।

गोस्वामी : ओवरब्रिज निर्माण की दिशा में विधायक द्वारा समुचित पहल नहीं किए जाने के कारण यह मामला बीते 5 वर्षों से लटका हुआ है। स्थानीय सांसद के प्रयास से अब जाकर इसका मार्ग प्रशस्त हुआ है।

आमने-सामने

विपक्ष में रहने के बावजूद दी विकास को गति : कुणाल

विपक्ष का विधायक रहने के बावजूद मेरे कार्यकाल में विकास कार्यों को तेजी से अंजाम दिया गया। जब मैं विधायक निर्वाचित हुआ था तब जर्जर सड़कों के कारण चाकुलिया की हालत टापू जैसी थी। आज बहरागोड़ा व चाकुलिया की सभी सड़कें चकाचक कर रही हैं। बीते 5 वर्षों में आईटीआई, पॉलिटेक्निक कॉलेज, चाकुलिया नगर पंचायत में पेयजल आपूर्ति योजना, डीएमएफटी की निधि से ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल योजनाओं को मंजूरी मिली और धरातल पर काम हुआ।

बहरागोड़ा कॉलेज को मॉडल कॉलेज का दर्जा, बहरागोड़ा आइटीआइ को झारखंड के टॉप 3 आइटीआइ में शुमार करना, सामाजिक सुधार के तहत बाल विवाह पर रोक हेतु कार्यक्रम, बहरागोड़ा को टीवी मुक्त क्षेत्र बनाने हेतु कार्यक्रम, शंकर नेत्रालय एवं देश के नामी-गिरामी चिकित्सकों को बुलाकर उनकी निशुल्क सेवा लोगों के लिए उपलब्ध कराना, दिव्यांगों के बीच ट्राई साइकिल एवं बैसाखी का वितरण जैसे अनगिनत जनहित के कार्य किए गए। मेरे कार्यों को देखते हुए आदर्श युवा विधायक समेत देश-विदेश में अन्य कई पुरस्कार मुझे दिए गए।

केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार के कारण विकास : गोस्वामी

बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में बीते 5 वर्षों में जो भी विकास के कार्य हुए वह केंद्र एवं राज्य की भाजपा सरकार की देन है। इसमें स्थानीय विधायक का कोई योगदान नहीं है। एनएच केंद्र सरकार एवं पीडब्ल्यूडी की सड़कें राज्य सरकार एवं स्थानीय सांसद के कारण बनी। विधायक की निष्क्रियता के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पेयजल व रोजगार जैसे बुनियादी क्षेत्र में कोई ठोस काम नहीं हो सका। न तो बहरागोड़ा में महिला कॉलेज खुल सका और न ही चाकुलिया में डिग्री कॉलेज।

बहरागोड़ा प्रखंड को धान का कटोरा कहा जाता है लेकिन यहां किसानों के लिए न तो कोई कोल्ड स्टोरेज बन सका और न ही कोई फूड प्रोसेसिंग प्लांट ही लग पाया। मोमेंटम झारखंड के कारण राज्य के विभिन्न हिस्सों में रोजगार का सृजन हुआ लेकिन विधायक की लापरवाही से बहरागोड़ा क्षेत्र इससे वंचित रह गया। राशन कार्ड, पेंशन, जमीन का म्यूटेशन जैसे छोटे-मोटे कार्यों के लिए लोग प्रखंड कार्यालय का चक्कर काटते रहे। विधायक अगर सही तरीके से पहल करते तो लोगों को परेशान नहीं होना पड़ता।

आम नागरिकों की राय :

विधायक के कार्यकाल में विकास के काम तो हुए लेकिन किसानों के लिए कोई ठोस पहल नहीं किया गया। सासन से कैमी होते हुए बहरागोड़ा जाने वाली सड़क की मरम्मत भी नहीं हो पाई। -कृष्ण चंद्र पाणिग्रही, समाजसेवी। - 8/10

विधायक ने अपने कार्यकाल में अनेक सड़क, नाली, सामुदायिक भवन का निर्माण किया। गरीब दिव्यांगों को व्हीलचेयर, ट्राई साइकिल आदि भी प्रदान किया। किसानों के लिए भी तत्पर रहे। -शशांक पात्र, किसान। - 9/10

विधायक के तौर पर कुणाल षडंगी का प्रदर्शन अच्छा ही रहा। वे क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे तथा जनता के सुख-दुख में शामिल रहे। विकास को लेकर भी दिलचस्पी दिखाई। -करमचंद पाल, ग्रामीण  - 9/10

विधायक के रूप में कुणाल षडंगी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय तो रहे पर विपक्ष में रहने के कारण अपेक्षित सफलता उन्हें नहीं मिली। न तो कोई बड़ा उद्योग लग पाया और न ही कार्गो एयरपोर्ट ही चालू हो पाया। -दीपक झुनझुनवाला, व्यवसायी - 7/10

वैसे तो अपने कार्यकाल के दौरान विधायक जनता के बीच रहे तथा कई कार्य किए। लेकिन अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए कोई बड़ा काम उन्होंने नहीं किया। -दीपक किस्कू, छात्र - 7/10

विधायक के रूप में कुणाल षडंगी का कार्यकाल सराहनीय रहा। उन्होंने जनहित के कई कार्यों को अंजाम दिया। दोबारा विधायक बनने पर हमसे और बेहतर कार्य की उम्मीद की जाती है। -रवि मुंडा, राजमिस्त्री। - 8/10

इतने हैं मतदाता

महिला मतदाता- 108721

पुरुष मतदाता - 112951

कुल मतदाता - 221672

विधायक निधि का उपयोग

वर्ष 2015- 16 - 100 प्रतिशत

वर्ष 2016- 17-  100 प्रतिशत

वर्ष 2017- 18   100 प्रतिशत

वर्ष 2018 19-   100 प्रतिशत

वर्ष 2019- 20 - 75 फीसद लगभग

विधानसभा चुनाव 2014 का परिणाम

कुणाल षडंगी (झामुमो) : 57973

डा. दिनेशानंद गोस्वामी (भाजपा) : 42618

लोकसभा चुनाव 2019 का परिणाम

विद्युत वरण महतो (भाजपा) : 1,35,421

चंपई सोरेन (झामुमो) : 66,774


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