Move to Jagran APP

Jharkhand Election Result 2019: रघुवर और हेमंत दोनों के सामने इतिहास बदलने की चुनौती

Jharkhand Election Result 2019 दुमका से जुड़ी हेमंत की प्रतिष्ठा यहां जीते तभी होगी असल मायने में जीत। 2009 में फेल हुए थे रघुवर नतीजे बताएंगे इस बार पास होंगे या फेल...

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 21 Dec 2019 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 08:53 PM (IST)
Jharkhand Election Result 2019: रघुवर और हेमंत दोनों के सामने इतिहास बदलने की चुनौती
Jharkhand Election Result 2019: रघुवर और हेमंत दोनों के सामने इतिहास बदलने की चुनौती

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Election Result 2019  झारखंड विधानसभा चुनाव का मतदान खत्म होने के बाद अब जीत-हार को लेकर कयासों का दौर चरम पर है। पलड़ा भाजपा का भारी रहेगा या यूपीए सत्ताधारी दल को झटका देने में कामयाब होगा, इसे लेकर हर कोई सशंकित है। विधानसभा चुनाव के परिणामों को लेकर विभिन्न चैनलों के एक्जिट पोल ने भी अपने फीडबैक के आधार पर जिस तरह के रुझानों की ओर इशारा किया है उसमें भी स्पष्ट तस्वीर नहीं दिखाई दे रही है। सस्पेंस से पर्दा 23 को ही उठेगा।

loksabha election banner

हालांकि, इतना तय है कि यदि भाजपा सत्ता में दोबारा वापसी करती है तो जीत का सेहरा मुख्यमंत्री रघुवर दास के सिर बंधेगा और यदि यूपीए उलटफेर करने में कामयाब रही तो निश्चित तौर पर हेमंत हीरो के तौर पर उभरेंगे। प्रदेश के इन दोनों शीर्ष नेताओं के समक्ष खुद का इतिहास बदलने की भी चुनौती है। 2009 में रघुवर दास भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे और पार्टी ने प्रदेश में उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। नतीजे पार्टी के अनुकूल नहीं रहे थे और भाजपा का आंकड़ा 30 से घटकर 18 पर आ गया था।

10 साल बाद एक बार फिर रघुवर के चेहरे को सामने रखकर चुनाव लड़ा गया है। सत्ता और संगठन की कमान उन्हीं के हाथों में है। रघुवर यदि भाजपा को सत्ता में वापस लाते हैं तो यह बड़ी उपलब्धि तो होगी ही साथ ही वे अपना पुराना कलंक धोने में भी कामयाब रहेंगे।  वहीं, यूपीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हेमंत की असर चुनौती दुमका के गढ़ को वापस पाने की है। यदि हेमंत किसी तरह अपनी टीम के साथ बहुमत के करीब पहुंच भी गए और दुमका हार गए तो यह जीत भी उन्हें सालती रहेगी।

हेमंत वर्ष 2014 में दुमका से चुनाव हार गए थे, बरहेट ने उनकी लाज रखी थी। लोकसभा चुनाव में झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को भी वे दुमका लोकसभा सीट से चुनाव जिताने में कामयाब नहीं रहे थे। इस बार भी वे बरहेट के साथ-साथ दुमका से भी चुनाव लड़े हैं। इस तर्क के साथ कि उन्हें अपनी पार्टी की पिछली हार का हिसाब-किताब चुकाना है। स्पष्ट है कि भाजपा और यूपीए के शीर्ष नेताओं की प्रतिष्ठा इस चुनाव से जुड़ी है। परिणाम बताएंगे कि विकास बनाम बदलाव में किसका पलड़ा भारी रहा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.