Jharkhand Assembly Election 2019 : आसान नहीं झामुमो के किले में सेंधमारी Saraikela news
Jharkhand Assembly Election 2019. सरायकेला में भाजपा हर चुनाव में झामुमो को कड़ी टक्कर तो देती है लेकिन जीत का सपना पूरा नहीं होता।
सरायकेला, प्रमोद सिंह। Jharkhand Assembly Election 2019 छऊ कला के लिए प्रसिद्ध सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से झामुमो का किला गिराना अब भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। भाजपा को यहां एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा। झामुमो ने यह सीट वर्ष 1985 में भाजपा से जीत ली थी। वर्ष 1990 में झामुमो से कृष्णा मार्डी जीते। वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में कृष्णा मार्डी सिंहभूम सीट से चुनाव लड़े और सांसद बने। वर्ष 1991 के उपचुनाव में कृष्णा मार्डी ने अपनी पत्नी मोती मार्डी को झामुमो से उतार दिया।
झामुमो में रहते हुए चंपई सोरेन बागी हो गए। निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतर गए। मोती मार्डी को उन्होंने हरा दिया। वर्ष 1995 में पुन: चंपई सोरेन झामुमो की टिकट पर जीत गए। वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार अनंतराम टुडू ने पांच हजार वोट से चंपई सोरेन को हरा दिया। इसके बाद वर्ष 2005 चंपई सोरेन ने लक्ष्मण टुडू को 880 वोट से हराया। उसके बाद से चंपई सोरेन लगातार जीत रहे हैं। वर्ष 2005 में भाजपा ने अनंतराम टुडू का टिकट काटकर लक्ष्मण टुडू को प्रत्याशी बनाया था। चंपई सोरेन ने लक्ष्मण टुडू को 880 वोट से हरा दिया था। इसके बाद से सरायकेला झामुमो का किला बन गया। वर्ष 2009 में भाजपा के लक्ष्मण टुडू से चंपई सोरेन 3200 वोट से जीते। 2014 में चंपई सोरेन ने भाजपा के गणोश महाली को 1100 वोट से हराया था।
कड़ी टक्कर देती पर जीत नहीं पाती भाजपा
झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में सरायकेला भी शामिल है। सिंहभूम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा इस विधानसभा सीट पर शुरू से ही झारखंड मुक्ति मोर्चा का दबदबा रहा है। यहां पर भाजपा ने झामुमो को हमेशा टक्कर तो दी, लेकिन कभी चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सकी। 2005 में हुए चुनाव में झामुमो के करिश्माई नेता चंपाई सोरेन विधायक चुने गए। वह अगले दो चुनावों 2009 और 2014 में भी यहां से विधायक बने। झारखंड विधानसभा के लिए जब से इस सीट पर चुनाव हो रहे हैं। चंपाई सोरेन को कोई नहीं हरा सका है। सरायकेला-खरसावां जिले का मुख्यालय इसी क्षेत्र में होने के चलते विभिन्न दलों की राजनीतिक गतिविधियां यहीं से संचालित होती हैं। पहले यह हिस्सा पश्चिमी सिंहभूम जिले में आता था। 2001 में सरायकेला खरसावन को स्वतंत्र जिला घोषित किया गया। करीब 300 साल पहले इस इलाके में सरायकेला राजवंश के सिंहदेव का शासन था, उस दौरान की कुछ इमारतें आज भी इस इलाके में अपने गौरवशाली इतिहास को बयान करने के लिए मौजूद हैं।
वर्ष - विधायक (दल)-प्रतिद्वंद्वी (दल) -हार का अंतर
- 2005-चंपई सोरेन (झामुमो)-लक्ष्मण टुडू (भाजपा)- 882
- 2009-चंपई सोरेन (झामुमो)-लक्ष्मण टुडू (भाजपा)-3246
- 2014 -चंपई सोरेन (झामुमो)- गणोश महाली (भाजपा)-1115