Jharkhand Assembly Election 2019: भाजपा में टास्क पूरा करने पर जोर, टिकट की चर्चा तक नहीं
Jharkhand Assembly Election 2019. टिकट की आस में पिछले दो माह में विभिन्न दलों के नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है। सरकार के मंत्री भी टिकट को लेकर अब तक आश्वस्त नहीं हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 - विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा में सांसदों, मंत्रियों, विधायकों, पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओं ने नित नए टास्क सौंपे जा रहे हैं, लेकिन टिकट की टिकटिक को लेकर खामोशी बनीं हुई है। हर विधानसभा क्षेत्र को लेकर बूथ स्तर की रणनीति तैयार की जा रही लेकिन किस विधानसभा क्षेत्र में संभावित प्रत्याशी कौन होगा, इसे लेकर सस्पेंस की स्थिति बनी हुई है। खुद सरकार के मंत्री तक आश्वस्त नहीं हैं कि उन्हें टिकट मिलेगा या नहीं।
भाजपा में इन दिनों कॉरपोरेट कंपनियों की तर्ज पर एक टास्क पूरा होते ही दूसरे की लिस्ट थमा दी जा रही है। एजेंडा 65 प्लस का है। टिकट की आस में अपने दल बल के साथ राजधानी आए नेताजी हरमू रोड और कांके रोड की परिक्रमा कर एक नया टास्क लेकर फिर वापस अपने क्षेत्र लौट जाते हैं। टिकट की आस में ही पिछले दो माह से विभिन्न दलों के नेताओं ने कमल थामा है।
फिलहाल उन्हें भी अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय होने की नसीहत दी गई है। पार्टी में चुनाव को लेकर टास्क भी कई स्तरों से दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री अपने स्तर से तो बैठकें ले ही रहे हैं। विधानसभा चुनाव के प्रभारी ओम माथुर और सह प्रभारी नंद किशोर यादव भी तमाम अन्य राज्यों का उदाहरण दे चुनावी टिप्स दे रहे हैं। पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के बूथ स्तरीय फार्मूले तो पार्टी के एजेंडे में सबसे ऊपर हैं ही।
अपने पिछले दो दिवसीय दौरे के क्रम में कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा का जोर इसी पर रहा। वहीं, पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने अपने दो दिवसीय दौरे के क्रम में भी चुनाव को लेकर टास्क का पुलिंदा थमा गए हैं। संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह की बैठकें तो जारी हैं ही।
आधा दर्जन विधायक कतार में, टिकट का भरोसा मिले तो भाजपा में हो शामिल
पिछले दो माह में विभिन्न दलों के सैकड़ों नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ली है। वजह कमल का सिंबल ही है इसमें कतई संदेह नहीं लेकिन इनमें से किसी को अब तक भरोसा नहीं मिला है। कांग्रेस, झामुमो के कुछ मौजूदा विधायक भी भाजपा के संपर्क में हैं, लेकिन उनकी शर्त यही है कि पहले पार्टी टिकट का भरोसा दे। इन्हें भरोसा भी दिल्ली का ही चाहिए।