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Jharkhand Assembly Election 2019: खूंटी में शहर से उतरते ही पथरीली होती जाती है विकास की सड़क

Jharkhand Assembly Election 2019. खूंटी में माओवादी नक्सलियों के साथ-साथ कई छोटे-बड़े आपराधिक संगठन इलाके में सक्रिय रहे जिन्होंने विकास कार्यों को लगातार बाधित किया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 06:37 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 06:37 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: खूंटी में शहर से उतरते ही पथरीली होती जाती है विकास की सड़क
Jharkhand Assembly Election 2019: खूंटी में शहर से उतरते ही पथरीली होती जाती है विकास की सड़क

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 - खूंटी विधानसभा क्षेत्र राज्य के उन चंद वीआइपी इलाकों में शामिल है जहां के विधायक को प्रदेश में दो बार मंत्री बनने का अवसर मिला है। कई इलाकों में उनका काम भी दिखता है लेकिन शहर से गांव की ओर निकलते ही सरपट दौडऩेवाली सड़कें पथरीली होने लगती हैं। जंगलों में स्थिति कहीं-कहीं बहुत खराब है। काम जितना हुआ है उससे कहीं अधिक की दरकार है और रफ्तार भी बढ़ानी होगी।

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क्षेत्र के पिछड़ापन का कारण राजनीतिक तो है ही, इसकी आपराधिक और नक्सल पृष्ठभूमि भी है। माओवादी नक्सलियों के साथ-साथ कई छोटे-बड़े आपराधिक संगठन इलाके में सक्रिय रहे जिन्होंने विकास कार्यों को लगातार बाधित किया। कुछ दिनों पूर्व तक पत्थलगड़ी करनेवाली टीम भी इलाके में सक्रिय थी लेकिन उनकी सक्रियता कम हुई है। विधायक के तौर पर नीलकंठ सिंह मुंडा अब ग्रामीण इलाकों में अधिक दिख रहे हैं। नियमित तौर पर किसी न किसी गांव में जाते हैं।

छोटे से शहर में उनका तो लगभग घर-घर घूमा हुआ है। प्राकृतिक तौर पर संपन्न खूंटी में शहरी क्षेत्र छोटा है और ग्रामीण इलाका कहीं बड़ा। शहर में आते-जाते आपको चकाचक सड़कें मिलेंगी लेकिन गांवों में स्थिति ऐसी नहीं है। शहर में अस्पताल, स्कूल, कॉलेज आदि जरूरतों के हिसाब से दुरुस्त हैं लेकिन गांवों में कहीं न कहीं अनदेखी हुई है। इसी प्रकार एक बड़ी ग्रामीण आबादी रोजगार के लिए दर-दर भटकने को विवश हैं।

बड़े पैमाने पर ग्रामीण नियमित तौर पर अगल-बगल के जिलों से लेकर महानगरों तक पलायन करते हैं और कई बार मानव तस्करी के भी शिकार बनते हैं। इसे रोकने के प्रयास अब शुरू होते दिख रहे हैं और पिछले कुछ दिनों में यहां के लोगों को कौशल विकास के माध्यम से रोजगार भी मिला है। बरसात पर आधारित खेती को चाहकर भी यहां के कृषक आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। सिंचाई की सुविधाएं कुछ क्षेत्रों में ही सीमित है और इसी कारण पूरा इलाका साल में एक फसल पर आश्रित है।

मैं तो रात के एक बजे भी आता हूं, कहां है अपराध

खूंटी में अपराध कम हुआ है और दहशत तो कहीं कम। लोग खूंटी शाम होने के बाद आना-जाना नहीं करते थे लेकिन अब तो मैं रात के एक बजे भी खूंटी चला आता हूं। दो दशक के राजनीतिक जीवन में समस्याओं को लगातार कम करने की कोशिश करता रहा हूं और इसके गवाह इलाके के लोग हैं। सड़क निर्माण मंत्री और अब ग्रामीण विकास मंत्री के तौर पर भी बहुत काम किए लेकिन विधायक के तौर पर मेरे काम की जानकारी आप किसी से ले सकते हैं।

जलापूर्ति के निदान को लेकर व्यापक पैमाने पर कार्यक्रम चल रहे हैं। समय के साथ यह समस्या भी कम हो रही है। लोगों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से विकल्प दिए जा रहे हैं। सिंचाई के लिए डोभा, तालाब और नहरों पर काम किया गया है। -नीलकंठ सिंह मुंडा, विधायक।

शाम के बाद अपराधियों के हवाले हो जाता है इलाका

पूरा इलाका शाम होने के बाद ही अपराधियों के हवाले हो जाता है। अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां कोई वारदात हो जाए तो पुलिस भी जाने से कतराती है। इलाके में काम कुछ ही इलाकों में दिखता है। ग्रामीण इलाकों की तो घोर अनदेखी हुई है। जलसंकट की सुध लेनेवाला कोई नहीं है। पुरानी बोङ्क्षरग में मोटर लगाकर समाधान की कोशिश की गई जो पूरी तरह विफल है। ग्रामीण आबादी अभी तालाबों और डोभा पर निर्भर है। सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। -रामकृष्णा चौधरी, कांग्रेस जिलाध्यक्ष।

5 बड़े मुद्दे : कितने खरे उतरे विधायकजी

1. जलसंकट-जलापूर्ति

शहरी इलाकों से लेकर गांवों तक में जलसंकट के कारण लोगों की स्थिति दयनीय है। कई इलाकों में लोग डोभा, तालाब और छोटी नदियों का पानी पीते हैं। गर्मियों में तो स्थिति और भी खराब हो जाती है। क्षेत्र के सभी प्रखंडों में जलस्तर नीचे जाने से संबंधित आंकड़े दर्ज हुए हैं।

मंत्री बोले : शहर से लेकर गांवों तक में जलापूर्ति के संसाधन मुहैया कराने की पूरी कोशिश की गई है। कई योजनाएं चालू हैं। पौधारोपण और डोभा के माध्यम से भू-जलस्तर को बचाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है।

कांग्रेस : लोग भगवान भरोसे छोड़ दिए गए हैं। गर्मियों में कुएं और तालाब में भी पानी नहीं मिलता है तो कई इलाकों में लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। आम लोगों की सुध नहीं ली जा रही।

2. उग्रवाद/अपराध

खूंटी में रात की बात तो छोडि़ए दिनदहाड़े हत्याएं आम बात है। बड़े वारदातों के कारण पूरे प्रदेश में इस इलाके को लेकर लोगों के मन में डर का माहौल बना हुआ है। नक्सली ङ्क्षहसा और लूट-डकैती जैसे मामले भी नियमित हो रहे हैं। लोगों के मन में भय का वातावरण बना हुआ है।

मंत्री बोले : अपराध पर बड़े पैमाने पर नियंत्रण पाया जा चुका है। पहले लोग ग्रामीण और जंगली इलाकों में जाने से डरते थे लेकिन यह डर खत्म हो चुका है। वाहनों की संख्या भी बढ़ी है, सड़कें दुरुस्त हुई हैं और देर रात तक आवागमन होता है।

कांग्रेस : अपराध को रोकने में सफलता नहीं मिली है। नक्सली ही नहीं, छोटे-बड़े समूह भी लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। अपराध के आंकड़े कहीं भी कमी की ओर इंगित नहीं कर रहे।

3. खेतों को पानी/सिंचाई

खूंटी में बड़े पैमाने पर लोग कृषि आधारित जीवनशैली अपनाकर जीवनयापन कर रहे हैं। ऐसे में खेतों तक पानी की सुविधा नहीं रहने से किसानों के सामने बड़ी मुसीबत हो जाती है। ऐसे भी झारखंड के किसान एक फसल से ही काम चला रहे हैं।

मंत्री बोले : क्षेत्र में जलछाजन की योजनाएं, डोभा, ट्रेंच कटिंग, तालाब निर्माण आदि योजनाओं से पानी को रोकने का काम चल रहा है। इस बार कम बारिश के कारण लतरातू डैम में पानी नहीं है लेकिन डैम से जुड़े नहर को पक्का कराकर पानी को रोकने की कोशिश की जा रही है। इसी प्रकार तजना नदी को भी भंडरा तक पक्का नहर निर्माण की योजना लगभग 45 करोड़ से पूरी होने जा रही है।

कांग्रेस : सिंचाई की सुविधा इतनी खराब है कि साल में महज एक बार ही खेती हो पा रही है। यहां के किसान चाहकर भी खेती नहीं कर पा रहे हैं। बारिश नहीं होने की स्थिति में एक खेती भी संभव नहीं होती। पिछले दो वर्षों से सूखा पड़ा हुआ है लेकिन कोई सुध नहीं।

4. रोजगार व पलायन

राज्य में रोजगार की तलाश में पलायन करनेवाले सर्वाधिक लोग खूंटी और आसपास के क्षेत्रों से आते हैं। इलाके में रोजगार के अवसरों का घोर अभाव है जिस कारण से यहां के लोगों को महानगरों की ओर पलायन करना पड़ता है और अधिसंख्य वहां जाकर घरेलू मददगार की तरह काम करते हैं।

मंत्री बोले : कौशल विकास के कार्यक्रमों को हम हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में तालाब निर्माण करके युवाओं को सौंपा जा रहा है ताकि इससे वे अपनी आय बढ़ा सकें। इमली प्रोसेसिंग की तीन योजनाएं और औषधीय पौधों की खेती के माध्यम से क्षेत्र में लोगों को वैकल्पिक रोजगार के माध्यम उपलब्ध कराए गए हैं। प्लेसमेंट कंपनियों के माध्यम से भी युवाओं को रोजगार मिल रहा है।

कांग्रेस : यहां के लोगों अपना पेट पालने के लिए बाहर जाने की मजबूरी है। रोजगार के नाम पर मजाक किया गया है। कौशल विकास के नाम पर प्रशिक्षित लोगों को इतनी राशि भी नहीं मिल रही है कि वे महानगरों में अपना जीवनयापन कर सकें।

5. शहरी क्षेत्र में जाम :

खूंटी में कई बार दिन में भी जाम लग जाता है तो शाम के बाद जाम की स्थिति प्रतिदिन देखने को मिलती है। बड़े पैमाने पर व्यावसायिक वाहन यहां से गुजरनेवाले एनएच से होकर आगे जाते हैं और यही जाम का कारण बना हुआ है।

मंत्री बोले : खूंटी शहर से गुजरनेवाले राष्ट्रीय उच्च पथ पर बाईपास निर्माण की योजना कैबिनेट से पास हो चुकी है। इस मामले में हमने यही आग्रह किया था कि जरूरत से अधिक जमीन का अधिग्रहण नहीं हो और इसे स्वीकार कर लिया गया है। बाईपास निर्माण के बाद इलाके में कहीं कोई परेशानी नहीं होगी।

कांग्रेस : जाम से मुक्ति के लिए प्रयास की सिर्फ बातें होती हैं। वर्षों से समस्या बनी हुई है लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा। कई बार एंबुलेंस भी फंस जाते हैं। इसके लिए शीघ्र प्रयास किए जाने की जरूरत है।

पिछला विधानसभा परिणाम

भाजपा : 47032 वोट

झामुमो : 25515

कांग्रेस : 17544

हाल का लोकसभा परिणाम

भाजपा : 51410

कांग्रेस : 72812


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