Jharkhand Assembly Election 2019: अनसुलझी समस्याओं में उलझेगा यहां का समीकरण Gumla Ground Report
Jharkhand Election 2019. गुमला में मौजूदा विधायक से जनता की नाराजगी है तो रघुवर सरकार की तारीफ भी करते हैं। जनता ने कानून व्यवस्था की बेहतर स्थिति को सराहा है।
छत्तीसगढ़-झारखंड सीमा से उत्तम नाथ पाठक। गुमला जिले में माझाटोली शंख मोड़। कल-कल करती शंख नदी पश्चिम से पूरब की ओर मंद रफ्तार में बह रही है। ऊपर बने पुल पर तेज रफ्तार वाहन राज्यों की सीमा सेकेंड में खत्म कर दे रहे हैं। झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित यह शंख नदी ही दोनों राज्यों को विभाजित करती सीमा रेखा बनाती है। पुल के पार करते ही पहुंच जाते हैं छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में। इस पार है झारखंड का अंतिम गांव रायडीह प्रखंड का माझाटोली शंख मोड़।
रायडीह वालों के लिए छत्तीसगढ़ तो जैसे दूसरा राज्य नहीं, उनका पड़ोस का आंगन हो। रोजी-रोटी से लेकर रिश्तेदारियां भी बड़ी संख्या में दोनों तरफ हैं। यहां बड़ी संख्या में बिहार के लोग संयुक्त बिहार के समय से बसे हैं। तकरीबन 70 साल से अधिक से। आपसी भाईचारगी का भी बेहतर नजारा। रामजन्मभूमि मामले पर अभी-अभी फैसला आया है, लेकिन यहां यह चर्चा का विषय नहीं हैं। खासकर हिंदू व मुस्लिम में। आपस में समझदारी इतनी की किस बात को कितना कहा जाए, जिससे दूसरे धर्म की भावना को ठेस न पहुंचे, इसका विशेष ख्याल।
यहां के लोगों का आपस का व्यवहार उन उन्मादी लोगों के लिए नजीर है, जिनके व्यवहार में नियंत्रण न होने का खामियाजा समाज को भुगतना पड़ता है। चुनाव को लेकर बात छिड़ी तो शंख मोड़ पर रहने वाले फिरोज अली, सुनील टोप्पो, गोविंद रजक, राजीव, कमलेश कुमार झा, शैलेश झा ने गुमला के मौजूदा विधायक शिवशंकर उरांव के कार्यों से काफी नाराजगी जताई। स्थानीय समस्याओं, जैसे सार्वजनिक शौचालय व पानी टंकी का निर्माण न करने, जलजमाव की समस्या दूर न करने, कॉलेज न खोले जाने, सड़कों की खराब हालत को लेकर लोग नाराज दिखे।
वहीं, रघुवर सरकार के कार्यों को लोगों ने सराहा। इसमें स्वास्थ्य सेवाओं के साथ 108 एंबुलेंस सेवा व बेहतर विधि व्यवस्था की तारीफ की। शंख मोड़ पर टायर की दुकान चलाने वाले अब्दुल मजीद का कहना था कि रघुवर सरकार ने अच्छा काम किया। जिसका समर्थन शैलश समेत सभी लोगों ने किया। मजीद बोले, सबसे बड़ी बात पहले यहां हमलोग शाम छह बजे के बाद अपनी दुकान बंद कर घर चले जाते थे। नक्सली व उग्रवादियों का ऐसा डर था।
कोई भी किसी भी उग्रवादी संगठन का नाम लेकर पैसे मांगने आ जाता था। लेकिन, अब ऐसा नहीं है। मेहनत कर सुकून से कमा कर रोटी खा सकें, यही बहुत है। इस सरकार में एक अच्छी बात यह हुई कि बाहरी-भीतरी का भेद खत्म हुआ। मेरे बेटे को 2002 में नौकरी इसलिए नहीं मिली, क्योंकि अधिकारी 1932 का खतियान मांग रहे थे। हमने जमीन व घर के कागजात दिए, तो बीडीओ उठाकर फेंक दिया। कहां से लाते 1932 का खतियान। 1932 में मेरा जन्म हुआ ही नहीं, तो हम कहां से लाएं।
बाहरी-भीतरी कहकर भेदभाव इस सरकार ने नहीं किया। लेकिन, मौजूदा विधायक ने हमारे क्षेत्र का विकास नहीं किया। समस्याएं बरकरार हैं। हमलोगों ने चुना है, तो हम ही भुगतेंगे। इस बार वोट करेंगे तो अपने यहां के विकास के लिए, झारखंड के विकास के लिए। क्योंकि, हम जहां रहते हैं, वहीं के समग्र विकास के लिए तो वोट करेंगे।