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Jharkhand Election 2019: साथ चलने की तैयारी, लेकिन शक के घेरे में वफादारी; जानें हाल-ए-महागठबंधन

Jharkhand Election 2019 विपक्षी महागठबंधन के दलों में आपस में इस बात की भी शंका की जा रही है कि जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से समझौता कौन और कैसे कर सकता है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 02:33 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 08:39 AM (IST)
Jharkhand Election 2019: साथ चलने की तैयारी, लेकिन शक के घेरे में वफादारी; जानें हाल-ए-महागठबंधन
Jharkhand Election 2019: साथ चलने की तैयारी, लेकिन शक के घेरे में वफादारी; जानें हाल-ए-महागठबंधन

रांची, [जागरण स्‍पेशल]। महाराष्‍ट्र और हरियाणा में भाजपानीत सरकार के गठन की तैयारियों के बीच अब झारखंड में चुनाव की तारीखों की घोषणा का इंतजार पक्ष-पक्ष शिद्दत से कर रहा है। सत्‍ता पक्ष भाजपा जहां इस बार मुख्‍यमंत्री रघुवर दास की अगुआई में एक बार फिर से चुनावी मैदान में जाने को बेकरार है। वहीं विपक्ष की ओर से तैयारी की बात तो खूब की जा रही है, लेकिन अब तक किसी चेहरे पर दांव नहीं लगाया गया है। इससे उलट विपक्षी दलों में अब भी नफा-नुकसान का आकलन ही किया जा रहा है। भाजपा विरोधी वोटों के बिखराव के नाम पर बनने वाले महागठबंधन को लेकर तमाम दल एक-दूसरे को शक की नजर से देख रहे हैं। अधिक से अधिक सीटें पाने की लालसा भी नेताओं के भाषणों में खुलकर स्‍पष्‍ट हो रही है।

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झारखंड के राजनीतिक परिदृश्‍यों पर नजर डालें तो ताजा सूरत-ए-हाल बता रही है कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं है। 81 सीटों वाले झारखंड विधानसभा के लिए सबसे बड़े विपक्षी दल के तौर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा बीसियों बार 45 सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी कर चुका है। जबकि कांग्रेस भी 35 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है।

पूर्व मुख्‍यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा भी ज्‍यादा से ज्‍यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्‍छा जाहिर कर चुका है। बाबूलाल ने तो सरकार बनने पर छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने तक की घोषणा कर दी है। छोटे दल राजद और वामपंथी पार्टियां भी उन्‍हें किसी लिहाज से कमतर आंकने की भूल नहीं करने की नसीहत दे चुके हैं। ऐसे में महागठबंधन में अभी गांठ ही गांठ नजर आ रहा है, यह कोई नहीं जानता कि ये गांठें कब खुलेंगी।

5 प्‍वाइंट्स में जानिए झारखंड के विपक्षी महागठबंधन का हाल

  1. विपक्षी महागठबंधन में किसी भी पार्टी को दूसरे पर भरोसा नहीं है। सभी अधिक से अधिक सीटों की जिद पर अड़े हैं। इन दलों के बीच इस बात की भी शंका की जा रही है कि जीतने के बाद भाजपा से कौन सी पार्टी समझौता कर सकती है।
  2. कांग्रेस, राजद और वामपंथी दलों ने अब तक कभी भी भाजपा से समझौता नहीं किया है। जबकि झामुमो सरकार गठन के लिए बीजेपी से सांठ-गांठ कर चुका है। बाबूलाल की पार्टी झाविमो के विधायक तो लगातार दो बार अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए।
  3. विपक्षी महागठबंधन में कोई एक-दूसरे पर जरा भी विश्वास करने को तैयार नहीं है। इस लिहाज से भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा रोकने के नाम पर बनने वाला महागठबंधन आकार लेने से पहले ही धराशायी होता दिख रहा है।
  4. सीटों को लेकर महागठबंधन में जिच बनी हुई है। झामुमो 40 से कम सीटों पर मानने को तैयार नहीं है। कांग्रेस भी अपने सीटिंग विधायक और पिछले चुनाव में जिन सीटों पर उनके प्रत्‍याशी दूसरे नंबर पर थे, वहां के लिए जमकर हाथ-पैर मार रही है। आंकड़े में देखें तो कांग्रेस 25 से 30 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। राजद और वामपंथी पार्टियों की बात करें तो इन हालातों में इनके खाते में सिर्फ 10 सीटें आएंगी।
  5. झामुमो, कांग्रेस, झाविमो, राजद और वामपंथी पार्टियों को मिलाकर पांच हिस्‍से में 81 सीटें बंटनी है। ऐसे में बढ़ी-चढ़ी दावेदारी के चलते झाविमो के खाते में देने को कुछ नहीं बच रहा। झामुमो और कांग्रेस को अपने हिस्से की सीटें कम कर झाविमो को महागठबंधन में शामिल करने का रास्‍ता बचा है। हालांकि, कांग्रेस और झामुमो इसके लिए तैयार नहीं दिख रहा। संभव है कि पांच में एक या दो पार्टी महागठबंधन से बाहर चला जाए।

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