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Jharkhand Assembly Election 2019: बड़ी कठिन है डगर पनघट की...आसान नहीं है विपक्षी महागठबंधन की राह

यहां हर दल का अपनी डफली अपनी राग वाली कहानी है। झामुमो को जहां 45 से ऊपर सीटें चाहिए तो कांग्रेस भी 30 से कम पर तैयार नहीं। बाबूलाल मरांडी भी 20 से कम सीट पर मानने को तैयार नहीं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 07:10 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 10:08 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: बड़ी कठिन है डगर पनघट की...आसान नहीं है विपक्षी महागठबंधन की राह
Jharkhand Assembly Election 2019: बड़ी कठिन है डगर पनघट की...आसान नहीं है विपक्षी महागठबंधन की राह

रांची, [आलोक]। विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े झारखंड में एक बार फिर विपक्षी महागठबंधन संकट में है। जितने दल, उतनी बातें। या यूं कहें सबकी अपनी डफली अपना राग। मोटे तौर पर स्थिति लोकसभा चुनाव की तरह ही पेचीदा दिख रहा है। अब तक की जानकारी के मुताबिक भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव रोकने के नाम पर महागठबंधन की बात लगभग सभी विपक्षी पार्टियों में हो रही है, लेकिन कोई भी इसके स्‍वरूप पर चर्चा करने को आगे नहीं आ रहा। झारखंड की 81 सीटों में से झामुमो जहां 45 सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रहा है, वहीं कांग्रेस किसी भी सूरत में 30 सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं दिख रही।

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पूर्व मुख्‍यमंत्री बाबूलाल मरांडी भी महागठबंधन के नाम पर असहज दिख रहे हैं। वे झाविमो की ओर से 20 सीटों की दावेदारी कर रहे हैं। इधर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के नेता बिहार के पूर्व उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव ने पहले ही 10 से 12 सीटें मांगकर महागठबंधन की राह में टांग अड़ा दी है। राजद के प्रदेश अध्‍यक्ष अभय कुमार सिंह महागठबंधन में चुनाव लड़ने की हिमायत तो कर रहे हैं, लेकिन स्‍वाभिमान से समझौता नहीं करने का दम भी भर रहे हैं।

झारखंड मुक्ति मोर्चा की चुनावी तैयारी तेज

झारखंड में विधानसभा चुनाव के लिए पूरे दमखम से तैयारियों में जुटी सत्‍तारुढ़ भाजपा के खिलाफ अभी मैदान में झारखंड मुक्ति मोर्चा ही नजर आ रही है। पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुआई में सभी 24 जिलों में अभी बदलाव यात्रा चल रही है। इस बीच हेमंत ने मुख्‍यमंत्री रघुवर दास पर सख्‍ती दिखाते हुए उन्‍हें कानूनी नोटिस भी भेजा है। इसके जरिये हेमंत भाजपा विरोधी वोटरों को यह संदेश देना चाहते हैं कि झामुमो में ही भाजपा की मुखालफत की पूरी क्षमता है। इस बीच गाहे-बगाहे उनकी नेतागिरी को खारिज करने से झामुमो भी विपक्षी महागठबंधन को लेकर बहुत आश्‍वस्‍त नहीं दिख रहा है। ऐसे में संभावना यह है कि झामुमो हर हाल में 45 सीओं के दावे पर अड़ा रहेगा।

बदल रहा बाबूलाल का मिजाज

पूर्व मुख्‍यमंत्री और झाविमो सुप्रीमो बा‍बूलाल मरांडी का मिजाज भी महागठबंध के नाम पर बिगड़ रहा है। 25 सितंबर से राज्‍यभर में अपने चुनावी अभियान का आगाज करने जा रहे बाबूलाल के ताजा रूख पर गौर करें तो वे जदयू के अध्‍यक्ष नीतीश कुमार के साथ समझौते का संकेत दे रहे हैं। इधर कांग्रेस का दामन छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्‍वाइन करने वाले डॉ अजय कुमार से भी उनकी नजदीकी है। ऐसे में महागठबंधन के समानांतर नए मोर्चे को भी हवा मिल रही है। जिसमें झाविमो, जदयू और आप मिलकर भाजपा का मुकाबला करेंगे।

कांग्रेस में अब भी ऊहापोह के हालात

देशभर में विपक्षी पार्टियों की अलंबरदार कही जाने वाली कांग्रेस पार्टी की झारखंड इकाई झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर बनने वाले विपक्षी महागठबंधन को लेकर अभी अपने पत्‍ते नहीं खोल रही है। कांग्रेस के नए प्रदेश अध्‍यक्ष रामेश्‍वर उरांव भले महागठबंधन में मिल-जुलकर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं, लेकिन हेमंत सोरेन की दावेदारी को लगातार खारिज कर उन्‍होंने भी अपनी मंशा स्‍पष्‍ट कर दी है। उन्‍होंने कहा है कि इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में नए सिरे से गठबंधन होगा, कोई भी पुराना फॉर्मूला अमल में नहीं लाया जाएगा।

अपनी धुन में मस्‍त है राजद

लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद की बात करें तो बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव की अगुआई में चुनाव में जाने का दम भर रही पार्टी ने पहले ही विपक्षी महागठबंधन की राह में रोड़े खड़े कर दिए हैं। लोकसभा चुनाव में गठबंधन से मिली एक सीट से इतर दो सीटों पर अपने प्रत्‍याशियों को खड़ा कर विपक्षी दलों को ठेंगा दिखाया था। अब विधानसभा की 12 सीटों पर दावेदारी जता रहे राष्‍ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्‍यक्ष अभय कुमार सिंह ने कहा है कि पार्टी कभी अपने स्‍वाभिमान से समझौता नहीं करेगी। नए हालात जिस तरह बन रहे हैं उसमें साफ है कि राजद बहुत आसानी से कमतर सीटों पर नहीं मानेगा।


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