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Jharkhand Election 2019: जवानों से नहीं हो रहा जानवरों जैसा सलूक, रांची डीसी ने कंपनी कमांडर के आरोपों को नकारा

Jharkhand Election 2019 सीआरपीएफ कंपनी कमांडर द्वारा लगाये आरोप पर डीसी ने कहा कि जांच में सबकुछ सामान्य मिला है और आरोप निराधार है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 08:53 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 08:53 AM (IST)
Jharkhand Election 2019: जवानों से नहीं हो रहा जानवरों जैसा सलूक, रांची डीसी ने कंपनी कमांडर के आरोपों को नकारा
Jharkhand Election 2019: जवानों से नहीं हो रहा जानवरों जैसा सलूक, रांची डीसी ने कंपनी कमांडर के आरोपों को नकारा

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 झारखंड में विधानसभा चुनाव संपन्न कराने आए अद्र्धसैनिक बलों से जानवरों जैसा सलूक किए जाने के सीआरपीएफ कंपनी कमांडर के आरोपों को रांची के डीसी ने जांच के बाद खारिज किया है। सीआरपीएफ की 222 बटालियन की गोल्फ कंपनी के कमांडर चुनाव ड्यूटी में लगे जवानों को खाने-पीने और रहने की समुचित सुविधा नहीं दिए जाने का जिक्र करते हुए कहा था कि जवानों को आग बुझाने वाला पानी पीने के लिए दिया जा रहा है। सीआरपीएफ के दिल्ली मुख्यालय व राज्य के अधिकारियों को पत्र लिखकर कमांडर ने कहा था कि यहां जवानों से जानवर जैसा सलूक किया जा रहा है। इन आरोपों की डीसी ने मंगलवार को जांच कराई। डीसी राय महिमापत रे के अनुसार जांच में आरोप निराधार निकले है। वहां व्यवस्था सामान्य मिली है।

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रविवार रात हुई थी अव्यवस्था

कंपनी कमांडर ने अपने लिखित आरोपों में रविवार की रात खेलगांव में हुई अव्यवस्था का जिक्र किया है। इसपर जिला प्रशासन के अधिकारी तर्क देते हैं कि कंपनी कमांडर व उनके जवानों की खेलगांव में आने का पूर्व प्रस्तावित कोई योजना नहीं थी। रविवार की रात वे बिना सूचना व बिना वरीय अधिकारियों से संपर्क किए आ गए थे, जिसके चलते उन्हें थोड़ी परेशानी हुई। सोमवार की सुबह सभी बोकारो के लिए रवाना हो गए थे।

क्या था कंपनी कमांडर का आरोप

कंपनी कमांडर ने लिखित शिकायत में बताया है कि 7 दिसंबर को वे और उनकी बटालियन के जवान दूसरे फेज का चुनाव संपन्न कराकर लौटे तो उन्हें स्थानीय सहायता व पानी तक नहीं मिला। वे रविवार को 200 किलोमीटर की दूरी तय कर रांची पहुंचे, जिसमें 17 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था। वे सीआरपीएफ की गोल्फ कंपनी को कमांड कर रहे हैं, जिसमें सीआरपीएफ के 100 ट्रूप्स हैं। जब वे रविवार की रात जवानों के साथ खेलगांव कांप्लेक्स पहुंचे तो वहां खाने व पीने की पानी की व्यवस्था नहीं थी। एसपी सिटी से शिकायत करने पर वाटर कैनन मिला। उस वाटर कैनन का पानी आग बुझाने आदि में उपयोग में लाया जाता है। ट्रूप्स के पास इस पानी के उपयोग के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वे भूखे थे, भोजन में विलंब हो गया था। वे केवल खिचड़ी ही बना पाए और आधी रात में खिचड़ी खाई। जवानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया गया। उनकी गरिमा का भी कोई ख्याल नहीं किया गया।

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