Jharkhand Assembly Election 2019: कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव के लिए नेता नहीं, कैडर महत्वपूर्ण
Jharkhand Assembly Election 2019. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि राजद के नेता भले ही पार्टी छोड़ गए लेकिन गठबंधन के लिए कैडर महत्वपूर्ण है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 - कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव पार्टी में भी आलोचना झेल रहे हैं। उनके विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि राजद के तमाम बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं लेकिन अध्यक्ष को राजद से ही मोह है। अन्नपूर्णा देवी, मनोज भुइयां, गिरिनाथ सिंह आदि भाजपा में गए तो पूर्व विधायक रामचंद्र सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए। अब दो-तीन नेता बचे हैं जिनको लेकर भी कई प्रकार की बातें चल रही हैं। उस राजद को गठबंधन में शामिल करने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बेचैन हैं। महागठबंधन की तमाम तैयारियों पर उरांव ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता आशीष झा से खुलकर बात की। पेश है बातचीत का अंश :-
राजद के तमाम नेता पार्टी छोड़कर चले गए हैं और अभी भी जा रहे हैं। उसे गठबंधन में शामिल करना कितना कारगर होगा?
-नेता जरूर दूसरे दलों में गए हैं लेकिन कैडर और मतदाता कहीं नहीं गए हैं। चुनाव में यही काम आते हैं और यह अभी भी महागठबंधन के काम आएगा। हमारी कोशिश है इसी के आधार पर एक मजबूत विपक्ष तैयार कर भाजपा को परास्त किया जाए। नेता से कम महत्वपूर्ण कार्यकर्ता भी नहीं हैं।
अगर ऐसा है तो फिर कांग्रेस ने पूर्व राजद विधायक रामचंद्र सिंह को पार्टी में क्यों शामिल कराया?
-हमने तो नहीं कराया। वे दिल्ली में जाकर शामिल हुए। मनिका के पूर्व विधायक लंबे समय से केंद्रीय नेताओं के संपर्क में थे और इसके पीछे कहीं से भी हमारा हाथ नहीं है। हमारा लक्ष्य राजद के कार्यकर्ता और वोटर हैं। हमारी कोशिश होगी कि उन्हें महागठबंधन के पक्ष में ही रखा जाए।
झाविमो लगातार जदयू से संपर्क में है। ऐसे में क्या गठबंधन में सहजता से शामिल रह सकते हैं?
-जदयू तमाम पार्टियों से संपर्क में है। बिहार में भाजपा के साथ होने से वे किसी के दुश्मन तो नहीं हो जाते। कांग्रेस के नेताओं से भी उनकी बात चल रही है। गठबंधन में उनके लिए जगह बनती है कि नहीं, यह तो भविष्य में ही तय होगा लेकिन उनके संपर्क में रहने से हमारे लिए कोई अछूता नहीं रह जाता।
महागठबंधन का कुनबा बढ़ाने की भी तैयारी है क्या?
-लोकसभा चुनाव में जितनी पार्टियां महागठबंधन में थीं वे कम से कम एक साथ रहेंगीं ही। कुछ और पार्टियों के लिए भी जगह निकलेगी तो देखा जा सकता है। कांग्रेस तमाम संभावनाओं को लेकर आगे बढ़ेगी। हमारा भाजपा विरोधी तमाम पार्टियों से कोई बैर तो है नहीं।
वामपंथियों के लिए कितनी सीटें छोड़ेंगे?
-यह फैसला अभी होना है। एक बात तो तय है कि वामपंथी दलों की वह ताकत अब नहीं रही जो कुछ वर्षों पूर्व तक थी। हम नए ढंग से चर्चा के लिए तैयार हैं। उनके प्रभाव क्षेत्र को देखकर जरूर जगह निकालने की कोशिश होगी लेकिन हिस्सेदारी अभी तय नहीं है। सभी मिलकर बात करेंगे।