Jharkhand Assembly Election 2019 : वोट करेंगे नक्सली के माता-पिता,चाह रहे राज्य का विकास
Jharkhand Assembly Election 2019. नक्सली के माता-पिता वोट करेंगे। सरेंडर कर चुके माओवादियों के परिजनों ने भी बताया वोट का महत्व।
जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव/भूदेव मार्डी। Jharkhand Assembly Election 2019 चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है। देश के हर वयस्क नागरिक को चुनाव में मत देने का अधिकार है। हर जागरूक मतदाता कुछ आशा और एजेंडे पर वोट करता है। मतदाताओं को बरगलाने की कोशिश करनेवालों से सावधान रहने की जरूरत है। लाभकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंचना दुर्भाग्यपूर्ण है।
ये बातें हार्डकोर माओवादी महाराज प्रमाणिक के माता-पिता ने दैनिक जागरण से बातचीत में कही। सरायकेला-खरसावां जिले के ईचागढ़ प्रखंड के दारुदा निवासी महाराज प्रमाणिक के माता-पिता हर चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इस चुनाव में भी करेंगे। दोनों ने कहा कि पूरे राज्य के साथ अपने गांव-समाज का विकास हो, इस उम्मीद को लेकर मतदान करते हैं। सभी लोगों की अपनी-अपनी विचारधारा है। चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि व सरकार को मतदाताओं की भावना की कद्र करनी चाहिए।
महाराज प्रमाणिक के पिता जरासिंधु प्रमाणिक।
सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लिए कुख्यात रहा जियान
पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल के गुड़ाबांधा थाना क्षेत्र में स्थित यह वही जियान है जो सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लिए 1995 से 2016 तक झारखंड समेत देश में चर्चा में रहा। इस गांव के ही हार्डकोर नक्सली कान्हू मुंडा और उसके दस्ते ने पुलिस व प्रशासन की नाक में दम कर रखा था। कान्हू मुंडा ने अपने दस्ते के 12 सदस्यों के साथ 15 फरवरी 2017 को जमशेदपुर के गोलमुरी पुलिस लाइन में झारखंड के सरेंडर नीति के तहत आत्मसमर्पण कर दिया था। उस समय प्रशासन की ओर से कई वादों को पूरा करने की बात कही गई थी। नियमानुसार सरकारी योजनाओं का लाभ देने की बात कही तो गई थी लेकिन आज तक यह वादा पूरा नहीं हुआ। इसके बावजूद इनके परिजन व जेल से बाहर आ चुके माओवादी दस्ते के सदस्य संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन करने की बात कह रहे हैं। कह रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में वोट जरूर करेंगे। झारखंड के विकास के लिए वोट करेंगे। साथ ही साथ लोगों से अपील भी कर रहे हैं कि वे लोग भी वोट जरूर करें। प्रस्तुत है जियान में रहने वाले माओवादियों के परिजनों और माओवादी होने के आरोप में सरेंडर कर चुके ग्रामीणों की यह है सोच :-
भुगलू के बेटे का नामांकन नहीं हुआ, घर भी नहीं मिला
जेल से छूटे भुगलू सिंह के पिता जगन्नाथ सिंह, माता भारती सिंहव पुत्र छविलाल।
एक सप्ताह हुआ कान्हु मुंडा के साथ आत्मसमर्पण करने वाला माओवादी भुगलू सिंह जेल से निकला। वह घर की परिस्थिति को देख दंग रह गया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। उसने कहा कि वह भी मतदान करेगा। भुगलू की मां भारती संह व पिता जगन्नाथ सिंह ने कहा कि भुगलू के बेटे छवि लाल सिंह का नामांकन कक्षा आठ में आज तक नहीं हो पाया। इसके लिए वे कई लोगों से अनुरोध कर चुकी है। लेकिन प्रशासन द्वारा घर देने तथा शौचालय बनवाकर देने का वादा अब तक पूरा नहीं किया गया। इसका अफसोस है। तीन साल में ये वादा पूरा न होना व्यवस्था की दर्शाता है। कहती हैं, वोट तो वे हर हाल में देंगे। यह हमारा अधिकार है।
मां के सहारे पढ़ती है बेटियां, मतदान को लेकर उत्साहित
जेल से छूटे भुगलू सिंह के पिता जगन्नाथ सिंह, माता भारती सिंहव पुत्र छविलाल।
माओवादी कान्हू मुंडा के पिता योगेश्वर मुंडा की तबीयत खराब है। बात करने पहुंची जागरण टीम से पिता ने कहा कि कान्हू की पत्नी आंगनबाड़ी सेविका बैशाखी मुंडा खेत में काम करने गई है। वह अपनी मेहनत से बेटियों को पढ़ा रही है। दोनों एमएससी की पढ़ाई कर रही हैं। बड़ी बेटी जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज जबकि छोटी धनबाद से। बेटियों ने कहा कि वे फोटो खिंचवाना नहीं चाहती, शांति से जीना चाहती है। मतदान करने की उम्र हो चुकी है इसलिए वोट देने जरूर जाएंगी क्योंकि मतदान का महत्व समझती हैं। व्यवस्था सेे शिकायत है लेकिन नई सरकार से भरोसा भी।
कभी ली जाती थी खोज-खबर, अब भुला दिया गया जियान
माओवादी होने के आरोप में सरेंडर कर चुके चुनु मुंडा (फुल टी शर्ट पहने हुए), उसके बगल में खाली बदन में चुनु का चाचा सुकरा मुंडा, चचेरा भाई गंजी में अजीत मुंडा।
जियान के चुनु मुंडा ने भी हार्डकोर माओवादी कान्हू मुंडा के साथ सरेंडर किया था। उसके खिलाफ मामला दर्ज नहीं होने के कारण तत्काल छोड़ दिया गया। चुनु मंडा गांव में ही खेतीबारी कर जीविकोपार्जन करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से मुर्गी पालन करने में सहयोग का आश्वासन दिया गया था जो पूरा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जब अनूप टी मैथ्यू एसएसपी थे तब प्रशासनिक अमला जियान आता था, पर अब कोई नहीं आता। वोट पहले भी देते थे, इस बार भी देंगे। पूरा गांव वोट देता है।