Jharkhand Assembly Election 2019: झारखंड में जदयू को नीतीश नहीं, 'नीतीश मॉडल' का भरोसा
Jharkhand Assembly Election 2019. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले चरण के लिए समय नहीं निकाल सके। इसमें पूर्व मंत्री सहित एक दर्जन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे।
रांची, राज्य ब्यूरो। लोकसभा चुनाव के समय से ही सभी सीटों से अकेले चुनाव लडऩे का ढोल पीट रहे जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रत्याशियों को अपने सबसे बड़े स्टार प्रचारक का ही साथ चुनाव में नहीं मिल रहा है। पहले चरण की सीटों पर मतदान संपन्न हो गया। इस चरण में पूर्व मंत्री सुधा चौधरी सहित पार्टी के एक दर्जन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे।
दूसरे दलों के स्टार प्रचारकों का लगातार दौरा हो रहा था, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार इस चरण में अपने प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार के लिए समय नहीं निकाल सके। नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए झारखंड जाने की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद प्रत्याशियों को भरोसा था कि नीतीश चुनाव प्रचार के लिए जरूर आएंगे।
पार्टी ने 48 सीटों पर अपने प्रत्याशी दिए हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि नीतीश इस विधानसभा चुनाव में अपना जोर लगाएंगे। पार्टी प्रत्याशियों में दो पूर्व मंत्री सुधा चौधरी (छतरपुर) तथा लालचंद महतो (डुमरी) चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू स्वयं दो सीटों मझगांव और शिकारीपाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा था कि नीतीश कम से कम इन बड़े नेताओं के प्रचार में जरूर आएंगे।
प्रदेश पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सूची में उनका नाम सबसे ऊपर भी रखा है। नीतीश के नहीं आने के सवाल पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता निखिल मंडल ने कहा कि चुनाव से पहले नीतीश रांची में कार्यक्रम कर मार्गदर्शन दे चुके हैं। पार्टी नीतीश मॉडल को लेकर जनता के बीच जा रही है।
भले ही नीतीश कुमार चुनाव प्रचार के लिए समय नहीं निकाल पाए हैं, लेकिन पार्टी के कई मंत्री, सांसद और विधायक यहां लगातार कैंप कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों में पार्टी ने कई सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि वहां भी नीतीश कुमार चुनाव प्रचार में नहीं गए थे।
झारखंड में पार्टी ने लगातार खोया है जनाधार
कभी झारखंड में जदयू के पास पांच-पांच विधायक होते थे। वर्ष 2009 में विधायकों की संख्या घटकर दो हो गई। 2014 के विधानसभा चुनाव में तो पार्टी का खाता ही नहीं खुला। इसी साल संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी ने भाजपा को समर्थन देकर अपना प्रत्याशी नहीं दिया था। लेकिन, विधानसभा चुनाव अकेले लडऩे की घोषणा कर दी थी। सच यह है कि भाजपा ने झारखंड में जदयू को कोई तवज्जो ही नहीं दी।