Jharkhand Assembly Election 2019: राजनीति में तीसरी पार्टी के दरवाजे पर डाॅ अजय, जानें कितनी बदलेगी झारखंड की राजनीति
भारतीय पुलिस सेवा के तेजतर्रार अफसर रहे डा. अजय कुमार किस्मत के इतने तेज रहे कि नौकरी छोडऩे के बाद कारपोरेट जगत ने हाथोंहाथ लिया। वहां मन नहीं लगा तो राजनीति में एंट्री मार ली।
रांची, [प्रदीप सिंह]। राजनीति में रातोरात कोई स्टार नहीं बनता। इसके लिए मशक्कत करनी पड़ती है। सालों झंडा ढोना पड़ता है। नेताओं के जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगाने पड़ते हैं। लेकिन भारतीय पुलिस सेवा के तेजतर्रार अफसर रहे डा. अजय कुमार किस्मत के इतने तेज रहे कि नौकरी छोडऩे के बाद कारपोरेट जगत ने हाथोंहाथ लिया। वहां मन नहीं लगा तो राजनीति में एंट्री मार सीधे जमशेदपुर से लोकसभा पहुंच गए।
जमशेदपुर में इनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि हर युवा इन्हें आइकान समझता था। वह दौर वहां गैंगवार का था और बतौर पुलिस अधीक्षक उन्होंने फिल्मी अंदाज में कई अपराधियों को ठिकाने लगाए। इसके किस्से आज भी सुने जाते हैं। इसी के बूते जब उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा तो जीत हासिल हुई। लेकिन यह सिलसिला बरकरार नहीं रह पाया। यही से शुरू हुई राजनीति में इनकी अग्निपरीक्षा।
जिस पार्टी झारखंड विकास मोर्चा से इन्होंने राजनीतिक सफर की शुरूआत की, उसे छोड़ कांग्र्रेस में शामिल हो गए। कांग्र्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए और बाद में इन्हें झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। इनके खाते में कोई खास उपलब्धि तो नहीं आई लेकिन विवादों में शुरू से घिरते रहे। अक्सर जब कोई नेता इनका विरोध करता तो ये अपने पुलिसिया करियर के बारे में बताते।
दबंगई दर्शाने के कारण कांग्र्रेस के एक कार्यकर्ता सुनील सिंह ने इनपर मारने की धमकी देने की प्राथमिकी तक दर्ज कराई। बाद में सुलह से मामला सुलझा। ये अंदरुनी बैठकों में भी विवादों से घिरते रहे। सांगठनिक मोर्चे पर फिसड्डी साबित होने के कारण इन्हें हाल ही में कांग्र्रेस आलाकमान ने हटा दिया। उसके बाद से ये नाराज चल रहे थे। इसकी परिणति यह हुई कि इन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन किया, जहां इन्हें झारखंड में आम आदमी पार्टी को मजबूत करने का टास्क सौंपा जा सकता है।