Jharkhand Assembly Election 2019: चौथे विधानसभा में पहली बार चार विधायकों ने गंवाई सदस्यता
सदस्यता गंवाने वाले इन चार विधायकों ने अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा लेकिन दो को ही सफलता मिली।
रांची, राज्य ब्यूरो। चौथी विधानसभा (2014-19) खास तौर उन चार विधायकों के लिए भी याद किया जाएगा जिन्हें कानूनी दबिश के कारण अपनी विधायकी गंवानी पड़ी। अलग-अलग मामलों में चारों को दो वर्ष से अधिक की कैद हुई और फिर परिणाम यह निकला कि चुनाव के माध्यम से नए विधायक तय हुए। इसके लिए भी चारों विधायकों ने अपनी-अपनी पत्नी को मैदान में उतारा लेकिन सफलता महज दो को मिली। दो निवर्तमान विधायक की पत्नी चुनाव हार गईं।
आजसू विधायक कमल किशोर भगत को डॉ. केके सिन्हा के आवास पर हुई मारपीट के मामले में सजा हुई, जिसके बाद उनकी विधायकी छिन गई। भगत पर हत्या की कोशिश का आरोप सत्यापित होने के बाद कोर्ट से सात साल की सजा सुनाई गई। इसके बाद खाली हुई सीट पर कमल किशोर भगत ने पत्नी नीरू शांति भगत को मैदान में उतारा लेकिन कांग्रेस के सुखदेव भगत के सामने उनकी एक न चली। नीरू अपने पति की जगह विधायक न बन सकीं।
सिल्ली विधायक अमित महतो को मारपीट के एक मामले में दो साल की सजा सुनाई गई। इसके बाद हुए उपचुनाव में अमित महतो की पत्नी सीमा महतो ने जीत दर्ज की। सीमा महतो ने आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो को हराकर यह चुनाव जीता है।
योगेंद्र प्रसाद को कोयला चोरी के एक मामले में तीन वर्ष की सजा सुनाई गई। सजा सुनाए जाने के साथ ही उनकी विधायकी भी चली गई। इसके बाद उन्होंने पार्टी को इस बात के लिए तैयार कर लिया कि उनकी पत्नी को टिकट दिया जाए। झामुमो ने बबीता देवी को टिकट दिया और वह जीत भी गईं।
इसी विधानसभा के कार्यकाल में निर्दलीय विधायक एनोस एक्का को हत्या के एक मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई गई। इसके बाद एनोस एक्का की जगह पर उनकी पत्नी मेनन एक्का मैदान में उतरी लेकिन कांग्रेस के अमन विक्सल कोंगारी के हाथों उन्हें मुंहकी खानी पड़ी।