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Jharkhand Assembly Election 2019: सारठ में खेती-शिक्षा में मेहरबानी, सेहत-रोजगार की दूर नहीं हुई परेशानी

Jharkhand Assembly Election 2019. डिग्री कॉलेज खुलने से सारठ में उत्साह है। लेकिन सरकारी रकम के खर्च के मुताबिक परिणाम नहीं मिल पाए। विद्यालय अपग्रेड हुए हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 03:03 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 03:03 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: सारठ में खेती-शिक्षा में मेहरबानी, सेहत-रोजगार की दूर नहीं हुई परेशानी
Jharkhand Assembly Election 2019: सारठ में खेती-शिक्षा में मेहरबानी, सेहत-रोजगार की दूर नहीं हुई परेशानी

देवघर, जासं। Jharkhand Assembly Election 2019 - सारठ विधानसभा क्षेत्र। रणधीर सिंह झाविमो के टिकट पर जीते थे और चुन्ना सिंह भाजपा का कमल लेकर हार गए थे। अब रणधीर सिंह भाजपा में है तो चुन्ना झाविमो में। रणधीर सिंह को सारठ में ली गई 4 हजार करोड़ की योजनाओं पर यकीन है, तो चुन्ना सिंह आश्वस्त हैं कि इस बार बेड़ा पार। दरअसल, सारठ में ऐसा बहुत कुछ हुआ है जो भाजपाइयों का उत्साह बढ़ा रहा है।

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पालोजोरी में पहला मॉडल डिग्री कॉलेज बन कर तैयार है। एकाध महीने के बाद पढ़ाई का इंतजाम हो जाएगा। महिला कॉलेज एवं आइटीआइ को स्वीकृति मिल चुकी है। दूसरा पहलू यह भी है कि जितनी सरकारी रकम खर्च हुई है, उसके अनुसार लोगों को लाभ नहीं मिला है। ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल ने 16 माह पहले फुलचुवां से करमा के बीच नाला पर डेढ़ करोड़ की लागत से पुल बना दिया। महज 150 मीटर संपर्क पथ नहीं बनने के कारण आम लोग उस पुल से आवागमन नहीं कर पा रहे हैं।

ऐसी और भी योजनाएं हैं। दरअसल, सारठ की 70 फीसदी से अधिक आबादी खेती बाड़ी पर निर्भर है। बारात में दूसरे इलाके से लोग आते हैं तो सारठ को झारखंड का धान का कटोरा कह कर लोग छाती फुलाते हैं। किसानों पर फोकस करते हुए काम भी हुए हैं। लघु सिंचाई योजना, भूमि संरक्षण, झालको, विधायक मद से 1600 तालाबों का निर्माण व जीर्णोद्धार हुआ है। डीएमएफटी फंड से 100 से अधिक डीप बोरिंग कराई गई है। तीन हजार किसानों को 90 फीसद अनुदान पर पंप सेट और डिलेवरी पाइप दी गई है। पांच हजार मैट्रिक टन क्षमता वाले कोल्ड स्टोरज का निर्माण प्रगति पर है।

50 हजार लीटर क्षमता का मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट का कार्य चल रहा है। गरीब महिलाओं को 9- फीसद अनुदान पर दो-दो दुधारू गाय दिए गए हैं। 22 दुग्ध संग्रह केंद्र खोले गए हैं। किसानों से इतर आम जन के लिए ईस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड (ईसीएल) से पैसा लेकर चितरा में ग्रिड बनवाया गया। सारठ समेत तीन पावर सब-स्टेशन को 33 हजार लाइन से जोड़ा गया है। आठ वृहद ग्रामीण जलापूर्ति योजनाएं भी शुरू की गई हैं। 200 गांवों में शुद्ध पानी देने का लक्ष्य है।

15-15 लाख से 61 गांवों में मिनी ग्रामीण जलापूर्ति योजना को स्वीकृति दिलाई गई है। 10 स्थानों पर हाईमास्क लाइट लगाया गया है। बासुकीनाथ से चितरा तक 750 करोड़ की लागत से रेल लाइन की भी स्वीकृति हो चुकी है। कुछ ऐसी भी समस्याएं हैं जिसके निदान की दिशा में प्रयास किए गए। सफलता नहीं मिली है। विद्यालय अपग्रेड हुए हैं। स्कूलों में शिक्षक नहीं रहते।

गांवों के लोगों की यह आम शिकायत है। उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत से आम जन नाखुश दिखते हैं। उप स्वास्थ्य केंद्र में आम तौर पर डाक्टर नहीं आते। किस्मत से डाक्टर मिल गई तो दवाएं नहीं मिलेंगी। एक और बात, अगर कोई सारठ शहर में आता है तो स्वच्छ भारत मिशन चलने के बावजूद कोई सामुदायिक शौचालय नहीं मिलेगा, न यात्रियों के लिए यात्री शेड।

जनप्रतिनिधि के मायने का लोगों को अहसास कराया

पहले यहां दो नेताओं के बीच दोस्ताना संघर्ष होता था। इसे तोड़ दिया गया है। जनप्रतिनिधि क्या होते हैं? जनता को अब अहसास हुआ है। हर जाति एवं वर्ग के लोगों का ख्याल रख कर विकास के काम किए गए हैं। सड़कों का जाल बिछ चुका है। विधायक बना था तो शिक्षा, बिजली, पेयजल, सिंचाई, सड़क समेत अनेक तरह की समस्याएं विरासत में मिली थी। युद्ध स्तर पर काम किया गया। डिग्री कॉलेज, आइटीआइ, महिला कॉलेज, कोल्ड स्टोरेज, मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट, बिजली ग्रिड, पावर सब स्टेशन बनाने जैसे कई काम किए गए हैं। -रणधीर सिंह, भाजपा विधायक, सारठ।

जितना बोल रहे उतना करते तो स्वर्ग बन जाता

विधायक की कार्यशैली ऐसी है कि आम लोग उनके खिलाफ बोलना नहीं चाहते। जो उनके खिलाफ बोलता है, उसे सार्वजनिक तौर पर बेइज्जत करने की कोशिश करते हैं। प्रचारित किया जा रहा है कि हर गांव में काम किया गया है। पता कर लीजिए। अधिक योजनाएं लेने का मकसद जनहित नहीं, कमीशनखोरी है। यदि इतना काम हुआ है तो इलाका स्वर्ग हो जाना चाहिए। अफसरशाही हावी हो चुकी है। किसान हताश और निराश हैं। जनता की आवाज को सरकारी तंत्र के माध्यम से दबाया जा रहा है। वोट खरीदने की कोशिश कतई कामयाब नहीं होगी।  -चुन्ना सिंह, विपक्षी नेता, झाविमो।

मतदाताओं का मिजाज

बिजली के क्षेत्र में जितना काम हुआ है, उसके अनुरूप लोगों को बिजली नहीं मिल रही है। ब्रेकडाउन बड़ी समस्या है। सरकारी राशि के खर्च का पूरा लाभ जनता को नहीं मिल रहा है। -5:10 -कुणाल सिंह, नौकरीपेशा, बाभनगामा।

सिंचाई के नाम पर कितना खर्च हुआ होगा, अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। किसानों को लाभ नहीं हुआ है। फसल बीमा की राशि अभी तक नहीं मिली है। बिजली भी नहीं रहती। -5:10 -चंद्र किशोर राय, सेवानिवृत्त शिक्षक, बेहरा।

जनता की हर समस्या पर विधायक गंभीर रहते हैं। दुख दर्द में खुल कर सहयोग करते हैं। मंत्री होने के नाते क्षेत्र में जम कर काम भी कराए हैं, चाहे कोई क्षेत्र हो। -9/10 -विष्णु भोक्ता, व्यवसायी, मंझली मैटेरिया।

सिंचाई के नाम पर तालाब, चेकडैम, डीप बोरिंग तो हुआ है। किसानों को उतना लाभ नहीं हुआ। बीपीएल महिलाओं को दुधारू गांव देने की योजना विफल है। -5/10 -अनुज कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता, पथहरडा।

जनता के लिए 18 से 20 घंटे काम करते हैं। बीमार व लाचार की मदद करते हैं। पुल, सड़क, बिजली, कोल्ड स्टोरेज, डिग्री कॉलेज, मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट की योजना लाए हैं। -8/10 -टिंकू कुमार सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता, अंबाकनाली।

योजनाओं में बड़े पैमाने पर लूट है। लोगों में कानून का भय नहीं है। बिना पैसे के काम नहीं होता। हालांकि, मंत्री शादी, भोज, बीमारी, दुर्घटना में दिल खोल सहयोग करते हैं।  -6/10 -आशीष गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, सारठ बाजार।

कितने खरा उतरे विधायक

पावर कट से जनता परेशान

चितरा के तिलैया गांव में सब ग्रिड बना है। इसके बावजूद बिजली कटौती व ब्रेकडाउन से जनता परेशान है। बिजली नहीं रहने के कारण पानी का भी संकट होता है। 

रणधीर : बिजली संकट दूर करने के लिए ग्रिड से लेकर सब स्टेशन बनाए गए हैं। भविष्य में लोगों को और निर्बाध बिजली मिलेगी।

चुन्ना : बिजली व्यवस्था सुधारने के नाम पर सरकारी रकम की बंदरबांट की गई है। अगर काम किए तो बिजली में इतनी कटौती क्यों हो रही है।

इलाज का नहीं इंतजाम

सारठ में एक भी ऐसा अस्पताल नहीं है जहां गंभीर रोगियों को बचाया जा सके। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ताले लटके रहते हैं। इलाज के लिए दूसरे शहर जाना होता है। 

रणधीर : जनसंख्या के मुताबिक स्वास्थ्य सुविधा जरूर कम है। फिर भी पहले से स्थिति बेहतर हुई है। ग्रामीणों के एक कॉल पर एंबुलेंस उपलब्ध है।

चुन्ना : कई बार लोगों की शिकायत पर कई स्वास्थ्य केंद्रों में गए हैं। न डाक्टर मिले, न कोई सुविधा दिखी। यहां बीमार जनता भगवान भरोसे है।

सिंचाई की नहीं सुविधा

1600 तालाब बने हैं। सौ स्थानों पर डीप बोरिंग हुई है। कपसाबिंडारी, सिरसिया, महलजोरी समेत कई जगह चेकडैम बने हैं। फिर भी किसान सिंचाई के लिए परेशान हैं।

रणधीर : सिंचाई के लिए अनगिनत योजनाएं ली गईं। किसानों में पंप सेट का भी वितरण हुआ है। सीएम कृषि आशीर्वाद योजना में राशि बंटी है।

चुन्ना : हजारों तालाब बनाने की बात कहते हैं। एक तालाब दिखाएं जिससे किसान पटवन कर रहे हों। योजना की उपयोगिता पर ध्यान नहीं दिया गया।

मुआवजा नहीं मिला लोगों को

सारठ से चितरा के लिए वीरमाझी होकर नई सड़क बनाई गई है। 18 मीटर चौड़ी। लोगों को जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। इसमें 16 मौजा के लोगों की जमीन गई है।

रणधीर : विकास के काम के लिए जिन रैयतों की जमीन ली गई है, उन्हें हर हाल में मुआवजा मिलेगा। इसकी प्रक्रिया में थोड़ा समय लगता है।

चुन्ना : जमीन का अधिग्रहण किए बिना रैयत की जमीन छीन ली गई। अब मुआवजा के लिए रैयत चक्कर लगा रहे हैं। कथनी व करनी में यही फर्क है।

नौकरी के लिए पलायन मजबूरी

गांवों में रोजगार मिलना कम हुआ है। लोग रोजगार के लिए झारखंड के और शहरों के अलावा दिल्ली, मुंबई, चेन्नई तक भाग रहे हैं। पलायन बढ़ रहा है।

रणधीर : मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट, अजय बराज में मछली उत्पादन, चितरा कोलियरी में आउटसोर्सिंग से रोजगार मिले हैं। महिला समूह को स्वरोजगार के लिए पशुधन दिए गए हैं।

चुन्ना : मनरेगा को खत्म किया जा रहा है। गांवों में लोगों का रोजगार छिन गया है। विकल्प के तौर पर रोजगार देने के लिए इस सरकार ने कुछ नहीं किया है।

सारठ विधानसभा क्षेत्र में इतने मतदाता

महिला : 1,25,794

पुरुष : 1,39, 757

कुल : 2,65,553

2014 का विधानसभा चुनाव परिणाम

रणधीर सिंह (झाविमो फिर भाजपा) : 62717

उदयशंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह (भाजपा) : 48816

जीत का अंतर : 13901

विधायक निधि का उपयोग :

वित्तीय वर्ष : खर्च का प्रतिशत

2015-16 : 100

2016-17 : 100

2017-18 : 100

2018-19 : 100

2019-20 : योजनाओं की अनुशंसा की गई है।


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