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Jharkhand Election Result 2019: राहुल ने शुरुआती समां बांधा तो प्रियंका सफलता के डंके पीट गई

Jharkhand Election Result 2019 अनुशासन की बदौलत कांग्रेस ने झारखंड चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया। पार्टी नेतृत्व के प्रति अपार विश्वास और अनुशासन प्रदेश कांग्रेस की टीम ने दिखाया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 09:14 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 10:40 AM (IST)
Jharkhand Election Result 2019: राहुल ने शुरुआती समां बांधा तो प्रियंका सफलता के डंके पीट गई
Jharkhand Election Result 2019: राहुल ने शुरुआती समां बांधा तो प्रियंका सफलता के डंके पीट गई

रांची, [आशीष झा]। झारखंड विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय कांग्रेस के शासन और प्रदेश कांग्रेस के अनुशासन को सफलता का पूरा श्रेय जाता है। केंद्र से समर्पित टीम को झारखंड की जिम्मेदारी दी गई तो यहां की टीम ने भी अनुशासन का परिचय देते हुए अक्षरश: निर्देशों का पालन किया। इतना ही नहीं, स्थानीय नेताओं को निर्णयों में पूरी छूट दी गई। प्रत्याशी चयन में भी पारदर्शिता बरती गई और तमाम ऐसी बातों से ही कांग्रेस ने अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन तक पहुंचने में सफलता पाई। 16 सीटों पर जीत का अनुमान स्वयं कांग्रेस के सीनियर नेता भी नहीं लगा पा रहे थे, हालांकि एक दर्जन सीटों पर जीत को लेकर आश्वस्त थे।

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कांग्रेस में जीत को लेकर किए गए परिश्रम का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी ने लगातार 40 दिनों तक प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भ्रमण कर पार्टी प्रत्याशियों को मजबूत करने का काम किया। चयन से लेकर उम्मीदवारों की जीत तक में आरपीएन सिंह की अहम भूमिका रही। उन्होंने स्थानीय नेतृत्व को प्रत्याशियों को चुनने में भी फ्री हैंड दिया जिसका फल देखने को मिल रहा है। उनके साथ ही सह प्रभारी उमंग सिंघार लगातार 35 दिनों तक झारखंड में सक्रिय रहे, जबकि चुनाव को लेकर बनाए गए विशेष को-आर्डिनेटर अजय शर्मा ने अपनी अहम जिम्मेदारी निभाई।

उमंग सिंघार मध्य प्रदेश में मंत्री होने के बावजूद एक महीने से अधिक समय के लिए झारखंड के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक में सक्रिय रहे। उन्होंने माइक्रो लेवल प्लानिंग कर उम्मीदवारों को जीत का मंत्र दिया और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में पार्टी की धारदार उपस्थिति दर्ज कराई। चुनाव को लेकर बनाए गए विशेष को-ऑर्डिनेटर अजय शर्मा ने भी लगातार परिश्रम किया है।

इतना ही नहीं मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजस्थान से सचिन पायलट, राज बब्बर, शत्रुघ्न सिन्हा आदि नेताओं ने भी छोटी-बड़ी कई सभाएं की थीं। इनके अलावा राज्य में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने एक साफ-सुथरा नेतृत्व का परिचय दिया और सभी कार्यकारी अध्यक्षों को काम करने की पूरी छूट दी। इनमें से कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर और कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने लगातार सक्रियता दिखाई। ठाकुर ने संथाल परगना प्रमंडल की जिम्मेदारी बखूबी निभाई तो प्रदेश में भी उनकी सक्रियता दिखी। इनके अलावा प्रदेश प्रवक्ताओं लाल किशोरनाथ शाहदेव, आलोक कुमार दुबे और राजीव रंजन प्रसाद सरीखे नेताओं ने नियमित तौर पर भाजपा शासन के प्रति आक्रामक रुख अख्तियार कर प्रदेश सरकार की नीतियों को सवालों के घेरे में घेरने का काम किया।

राहुल ने शुरुआती समां बांधा तो प्रियंका सफलता के डंके पीट गई

पहल चरण में प्रचार करने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी में से कोई सीनियर नेता झारखंड नहीं पहुंचा। इस दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेन बघेल और उनकी टीम के सदस्यों ने प्रचार का जिम्मा उठाया। लेकिन, दूसरे चरण में राहुल गांधी ने आकर मोर्चा संभाला और चौथे चरण तक के प्रचार अभियान में सक्रिय रहे। इस दौरान राहुल ने पांच सभाएं कीं जिनमें एक झामुमो प्रत्याशी के लिए रहा। राहुल जहां भी गए वहां और अगल-बगल की सीटों पर कांग्रेस ने अधिसंख्य सीटें जीतकर उन्हें तोहफा दिया है। अंतिम चरण में प्रियंका गांधी कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम का प्रचार करने पहुंची और उन्होंने शानदार जीत हासिल कर प्रियंका को भी प्रदेश कांग्रेस की ओर से एक तोहफा दिया।


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