Jharkhand Assembly Election 2019: कोल्हान में मजबूत किलेबंदी कर गए रघुवर, चुनाव में दिखेगा असर Insight Report
Jharkhand Assembly Election 2019. दो चरण में असरदार तरीके से कोल्हान प्रमंडल को नापकर सीएम रघुवर दास ने झामुमो के इलाके में व्यापक सेंधमारी में सफलता पाई है।
जोहार यात्रा से प्रदीप सिंह। Jharkhand Assembly Election 2019 मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भाजपा के लिए चुनौती माने जाने वाले कोल्हान प्रमंडल में रविवार को जोहार जन आशीर्वाद यात्रा की पूर्णाहुति की। दो चरणों में हुई यात्रा की शुरूआत बंगाल-ओडिशा की सीमा से सटे बहरागोड़ा से हुई थी। इसका समापन पश्चिम सिंहभूम के चक्रधरपुर में हुआ। ये दोनों विधानसभा सीटें फिलहाल झारखंड मुक्ति मोर्चा के कब्जे में हैं। यही नहीं, कोल्हान प्रमंडल की अधिकांश सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा है। पश्चिम सिंहभूम जिले में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का खाता नहीं खुल पाया था।
हालिया लोकसभा चुनाव में भी सिंहभूम संसदीय सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इन राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर सबसे बड़ी चुनौती झामुमो की किलेबंदी तोडऩे की है। चुनाव पूर्व कुछ विधायक टूटकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसका अहसास झामुमो के शीर्ष नेतृत्व को भी है। अपनी यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यक्रमों में झामुमो समेत अन्य विपक्षी दलों के स्थानीय नेताओं ने पाला बदले। आगामी चुनाव में इसका व्यापक असर दिखेगा। रघुवर दास की कोशिश यही है कि झामुमो का प्रभाव कम हो। यही कारण है कि वे अपनी सभाओं में जमकर झामुमो के शीर्ष नेतृत्व पर आरोप लगाते हैं। लोगों से कहते हैं कि इन्हें जिताने से क्या लाभ हुआ? यह भी अपील करते हैं कि वे जब वोट मांगने आएं तब उनसे हिसाब मांगे।
कोल्हान की यात्रा के पूर्व संताल परगना प्रमंडल की यात्रा के क्रम में भी रघुवर दास के तेवर तल्ख थे। याद कीजिए, साहिबगंज के बरहेट से उन्होंने झामुमो की घेराबंदी शुरू की थी। संताल परगना की राजनीतिक परिस्थिति कोल्हान सरीखी है। रघुवर दास बखूबी समझते हैं कि इन दो प्रमंडल में झामुमो को नुकसान पहुंचाने का व्यापक असर पड़ेगा। लोकसभा चुनाव से इसका आगाज हो चुका है। अपनी परंपरागत सीट दुमका से शिबू सोरेन की हार भाजपा के लिए बड़ी जीत साबित हुई। रघुवर दास यह उन सीटों पर दोहराना चाहते हैं, जहां से झामुमो अक्सर जीत हासिल करती है।
डबल इंजन की सरकार बनते ही चक्रधरपुर बनेगा अलग जिला
रघुवर ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने झारखंड से किया वादा निभाया और झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिया। भाजपा की सोच है, छोटा राज्य होगा तब समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की किरण पहुंचेगी। कोल्हान जैसे पहाड़ी क्षेत्र में प्रखंड दूर-दूर हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए अगर भाजपा को बहुमत मिलता है, सरकार का गठन होता है तो फरवरी 2020 में चक्रधरपुर को अलग जिला का दर्जा दिया जाएगा। कोल्हान यात्रा के अंतिम दिन भी मुख्यमंत्री रघुवर दास झामुमो पर हमलावर रहे।
उन्होंने कांग्रेस को भी निशाने पर रखा। कहा, दोनों पार्टियों का पुराना याराना है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद ने झारखंड की अस्मिता को दो करोड़ रुपये में बेचने का और कांग्रेस ने उसे खरीदने का काम किया। अगर ऐसा नहीं होता तो 1993 में ही झारखंड अलग राज्य बन जाता, लेकिन इनकी नीयत साफ नहीं थी। कांग्रेस और झामुमो का उद्देश्य झारखंड को लूटना है। दुखी मन से बोले, मुझे कोल्हान की गरीबी देखकर पीड़ा होती है। आजादी और अलग राज्य गठन के बाद इन्हें क्या मिला? आदिवासियों के नाम पर राजनीति करने वाली झामुमो के लोग तो खुद अमीर हुए लेकिन जिनके नाम पर राजनीति की, जिनके नाम पर घडिय़ाली आंसू बहाए, उन्हें उनके ही हाल पर छोड़ दिया।