Bahragora Jharkhand Election Result 2019 LIVE: बहरागोड़ा में समीर जीते, कुणाल को 60 हजार 565 मत के अंतर से हराया
Bahragora Jharkhand Election Result 2019.झामुमो के समीर मोहती ने इतिहास रचा। कोल्हान में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से भाजपा के कुणाल को हराया।
चाकुलिया, पंकज मिश्रा। Bahragora Jharkhand Election Result 2019 यूं तो समीर का शाब्दिक अर्थ हवा होता है, लेकिन बहरागोड़ा विधानसभा में समीर हवा नहीं बल्कि आंधी के रूप में सामने आए। ऐसी आंधी जिसके सामने कोई टिक नहीं पाया। जी हां, हम बात कर रहे हैं झामुमो प्रत्याशी समीर महंती की। जिनकी आंधी में भाजपा प्रत्याशी कुणाल षाड़ंगी समेत सारे प्रत्याशी धराशाई हो गए।
समीर महंती के पक्ष में जनसमर्थन एवं सहानुभूति की लहर मतदान के दिन से ही महसूस हो रही थी, लेकिन यह लहर इतनी जबरदस्त होगी इसका अनुमान शायद समीर महंती को खुद भी नहीं होगा। समीर महंती को 1 लाख 06 हजार 17 मत प्राप्त हुए। वहीं कुणाल को 45452 मत प्राप्त हुए। मतों के अंतर की बात करें तो समीर ने कुणाल को 60 हजार 565 मत के अंतर से हराया। जानकारी के अनुसार वे कोल्हान में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीते।
शुरू से अंत तक बनी रही बढ़त
सोमवार को जमशेदपुर के कोऑपरेटिव कॉलेज परिसर में हुए मतगणना के दौरान पहले चक्र से ही समीर महंती अपने निकटतम प्रत्याशी कुणाल षाड़ंगी पर बढ़त बनाए हुए थे जो अंतिम चक्र तक बरकरार रही। जीत की सुगंध मिलने के साथ ही जमशेदपुर से लेकर चाकुलिया बहरागोड़ा तक झामुमो समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। चाकुलिया स्थित समीर महंती के आवास पर टीवी पर मतगणना का समाचार देख रही उनकी पत्नी नैना महंती, मां छायारानी महंती एवं परिजनों की खुशी का ठिकाना न रहा। जीत सुनिश्चित होते ही मिठाई मनाई गई एवं परिजनों एवं आस-पड़ोस के घरों में बांटी गई।
गांव में दिखा जश्न का माहौल
उधर, कोर्ट से जारी वारंट के कारण भूमिगत चल रहे समीर महंती से मिलने लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। समर्थकों ने माला पहनाकर तथा मिठाई खिला कर उन्हें जीत की बधाई दी। समीर महंती के पैतृक गांव बेंद में भी सोमवार को जश्न का माहौल दिखा। यहां लोग सुबह से ही दम साध कर टीवी से चिपके हुए थे। पल-पल मतगणना का जायजा ले रहे थे। समीर महंती के निर्णायक बढ़त हासिल करने के साथ ही गांव में जश्न का सिलसिला शुरू हो गया। लोगों ने एक साथ होली व दिवाली मना डाली उनके घर के बाहर लोगों का जमावड़ा लगा रहा। संगीत की धुन पर युवा कार्यकर्ता थिरक रहे थे। चहुंओर खुशी एवं उल्लास का माहौल था।
रंग लाया 24 वर्षों का अनवरत संघर्ष
- तीन बार हारने के बाद चौथे प्रयास में विधायक बने समीर महंती
- राजनीतिक जीवन की शुरूआत वर्ष 1996 में झामुमो में शामिल होकर की
चाकुलिया प्रखंड के पश्चिम बंगाल सीमा से सटे बेंद गांव के निवासी समीर महंती ने तीन बार विधानसभा चुनाव हारने के बाद चौथी बार में जीत का स्वाद चखा है। अपनी जीत के साथ ही उन्होंने बहरागोड़ा सीट पर झामुमो की जीत की हैट्रिक भी लगा दी है। लगातार 24 वर्षों के अनवरत संघर्ष के बाद चौथे प्रयास में वे विधायक निर्वाचित हुए। समीर महंती का जन्म बेंद गांव में 23 अप्रैल 1971 को हुआ था। बेंद प्राथमिक विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने चाकुलिया के मनोहर लाल हाई स्कूल से मैट्रिक पास की। फिर उन्होंने घाटशिला कॉलेज में दाखिला लेकर बीकॉम पास किया।
झामुमो से राजनीतिक जीवन की शुरुआत
ढ़ाई पूरी करने के बाद समीर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत वर्ष 1996 में झामुमो में शामिल होकर की। उनके पिता भवेश चंद्र महंती शिक्षक थे जबकि मां छाया रानी महंती गृहणी है। बड़े भाई मलय महंती व्यवसायी हैं। समीर की पत्नी नैना महंती भी गृहणी है। 5 वर्षीय पुत्री साक्षी महंती उनकी एकमात्र संतान है। बालू लदे ट्रैक्टर को जबरन छुड़ाने के मामले में आरोपी समीर महंती पर जब कोर्ट ने गैर जमानती वारंट निर्गत कर दिया तो वे चुनाव से करीब 15 दिन पहले भूमिगत हो गए। इस दौरान उनकी बुजुर्ग मां एवं पत्नी ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली। इससे जनमानस में समीर के प्रति सहानुभूति की लहर व्यापक होती गई।
रही जुझारू नेता की छवि
विदित हो कि राजनीतिक जीवन शुरू करने के बाद से ही समीर महंती की छवि एक संघर्षशील एवं जुझारू नेता के रूप में रही है। जन समस्याओं को लेकर वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे। इस क्रम में भ्रष्टाचार व अन्य मामलों को लेकर कई बार उनकी सरकारी पदाधिकारियों से भिड़ंत भी हुई। जिसके फलस्वरूप उनके ऊपर एक दर्जन से अधिक मामले भी दर्ज हुए। समीर 8 वर्षों तक झामुमो के प्रखंड अध्यक्ष रहे। वर्ष 2005 में उन्होंने झामुमो से टिकट का दावा ठोका। लेकिन पार्टी ने उनकी बजाय विद्युत वरण महतो को मैदान में उतारा। इससे नाराज समीर पार्टी बदल कर आजसू में शामिल हो गए तथा चुनाव लड़ा। इसमें उन्हें करीब 10,000 मत मिले।
वर्ष 2009 में आजसू के टिकट पर ही मैदान में
वर्ष 2009 में समीर दोबारा आजसू के टिकट पर ही मैदान में उतरे लेकिन इस बार भी उन्हें लगभग 12000 मतों से संतोष करना पड़ा वर्ष 2014 में झारखंड विकास मोर्चा से टिकट लेकर समीर एक बार फिर मैदान में कूदे तथा लगभग 42000 वोट लाकर अपनी बढ़ती राजनीतिक हैसियत का अहसास करा दिया। जीत की आस में समीर महंती ने भाजपा का दामन थामा तथा खूब मेहनत की। लेकिन चुनाव के ठीक पहले झामुमो विधायक कुणाल षडंगी के भाजपा में शामिल हो जाने से समीर को एहसास हो गया कि यहां टिकट मिलना संभव नहीं है। लिहाजा उन्होंने मौके की नजाकत को समझते हुए एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी झामुमो का दामन थाम लिया और आखिरकार 24 वर्षों के संघर्ष के बाद रिकॉर्ड मतों से विधायक निर्वाचित हुए।
चार दशक बाद चाकुलिया से कोई बना विधायक
वैसे तो समीर महंती की शानदार जीत से पूरे बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में खुशी का माहौल है, लेकिन चाकुलिया प्रखंड के लोगों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। सबसे अधिक खुशी समीर महंती के पैतृक गांव बेंद के लोगों में नजर आ रही है। दरअसल इसका कारण भी है। चाकुलिया प्रखंड का कोई व्यक्ति चार दशक के बाद विधायक निर्वाचित हुआ है। इससे पूर्व कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1970 के दशक में स्वर्गीय शिबू रंजन खां विधायक बने थे। आगे चलकर वे बिहार राज्य में पेयजल व स्वच्छता मंत्री भी बने थे। उनके बाद से चाकुलिया प्रखंड का कोई व्यक्ति विधायक नहीं बन सका। इस बीच बहरागोड़ा निवासी विष्णुपद घोष, देवीपद उपाध्याय, डॉ दिनेश षाड़ंगी, जमशेदपुर निवासी विद्युत वरण महतो एवं 2014 में बहरागोड़ा के ही कुणाल षडंगी विधायक बने। अब समीर महंती के विधायक बनने से बहरागोड़ा के साथ-साथ चाकुलिया क्षेत्र के लोगों में भी त्वरित गति से विकास होने की उम्मीद जगी है।
चाकुलिया में कॉलेज पहली प्राथमिकता : समीर
विधायक निर्वाचित होने के बाद दैनिक जागरण से बातचीत में समीर महंती ने कहा कि विधायक के तौर पर वे लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करेंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी आधारभूत सुविधाओं को धरातल पर उतारने की हर संभव कोशिश करूंगा। समीर ने कहा कि चाकुलिया में डिग्री कॉलेज तथा बहरागोड़ा में महिला कॉलेज खोलना मेरी पहली प्राथमिकता होगी। चिकित्सा के क्षेत्र में बंगाल एवं उड़ीसा पर लोगों की निर्भरता खत्म हो तथा स्थानीय स्तर पर बेहतर इलाज हो इसकी व्यवस्था करूंगा। सरकारी कार्यालयों को दलालों एवं चमचों से मुक्त कराने का प्रयास करूंगा। भ्रष्टाचार रूपी वायरस के खात्मे के लिए पहल करूंगा। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय पार्टी के हर एक कार्यकर्ता एवं पूरे बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र की जनता को देते हुए कहा कि यह चुनाव मैंने नहीं बल्कि जनता ने खुद लड़ा है। चुनाव से पहले विरोधियों ने षड्यंत्र के तहत मुझे जेल भेजने तथा प्रताडि़त करने का भरपूर प्रयास किया। जिसके चलते मुझे भूमिगत होना पड़ा। चुनाव से ठीक पहले मेरे भतीजा एवं भांजा को पुलिस ने थाने में बिठा लिया। विरोधियों द्वारा मुझे हर तरफ से परेशान किया गया लेकिन जनता ने सभी को माकूल जवाब दे दिया।
गैरजमानती वारंट के बाद पत्नी ने संभाली कमान
बालू लदे ट्रैक्टर को जबरन छुड़ाने के मामले में आरोपी समीर महंती पर जब कोर्ट ने गैर जमानती वारंट निर्गत कर दिया तो वे चुनाव से करीब 15 दिन पहले भूमिगत हो गए। इस दौरान उनकी बुजुर्ग मां एवं पत्नी ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली। इससे जनमानस में समीर के प्रति सहानुभूति की लहर व्यापक होती गई। विदित हो कि राजनीतिक जीवन शुरू करने के बाद से ही समीर महंती की छवि एक संघर्षशील एवं जुझारू नेता के रूप में रही है। जन समस्याओं को लेकर वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे। इस क्रम में भ्रष्टाचार व अन्य मामलों को लेकर कई बार उनकी सरकारी पदाधिकारियों से भिड़ंत भी हुई। जिसके फलस्वरूप उनके ऊपर एक दर्जन से अधिक मामले भी दर्ज हुए। समीर 8 वर्षों तक झामुमो के प्रखंड अध्यक्ष रहे। वर्ष 2005 में उन्होंने झामुमो से टिकट का दावा ठोका। लेकिन पार्टी ने उनकी बजाय विद्युत वरण महतो को मैदान में उतारा।
तब बदल लिया पाला
इससे नाराज समीर पार्टी बदल कर आजसू में शामिल हो गए तथा चुनाव लड़ा। इसमें उन्हें करीब 10,000 मत मिले वर्ष 2009 में समीर दोबारा आजसू के टिकट पर ही मैदान में उतरे लेकिन इस बार भी उन्हें लगभग 12000 मतों से संतोष करना पड़ा वर्ष 2014 में झारखंड विकास मोर्चा से टिकट लेकर समीर एक बार फिर मैदान में कूदे तथा लगभग 42000 वोट लाकर अपनी बढ़ती राजनीतिक हैसियत का अहसास करा दिया। जीत की आस में समीर महंती ने भाजपा का दामन थामा तथा खूब मेहनत की। लेकिन चुनाव के ठीक पहले झामुमो विधायक कुणाल षडंगी के भाजपा में शामिल हो जाने से समीर को एहसास हो गया कि यहां टिकट मिलना संभव नहीं है। लिहाजा उन्होंने मौके की नजाकत को समझते हुए एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी झामुमो का दामन थाम लिया और आखिरकार 24 वर्षों के संघर्ष के बाद रिकॉर्ड मतों से विधायक निर्वाचित हुए।
चार दशक बाद चाकुलिया से कोई बना विधायक
वैसे तो समीर महंती की शानदार जीत से पूरे बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में खुशी का माहौल है, लेकिन चाकुलिया प्रखंड के लोगों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। सबसे अधिक खुशी समीर महंती के पैतृक गांव बेंद के लोगों में नजर आ रही है। दरअसल इसका कारण भी है। चाकुलिया प्रखंड का कोई व्यक्ति चार दशक के बाद विधायक निर्वाचित हुआ है। इससे पूर्व कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1970 के दशक में स्वर्गीय शिबू रंजन खां विधायक बने थे। आगे चलकर वे बिहार राज्य में पेयजल व स्वच्छता मंत्री भी बने थे। उनके बाद से चाकुलिया प्रखंड का कोई व्यक्ति विधायक नहीं बन सका। इस बीच बहरागोड़ा निवासी विष्णुपद घोष, देवीपद उपाध्याय, डॉ दिनेश षाड़ंगी, जमशेदपुर निवासी विद्युत वरण महतो एवं 2014 में बहरागोड़ा के ही कुणाल षडंगी विधायक बने। अब समीर महंती के विधायक बनने से बहरागोड़ा के साथ-साथ चाकुलिया क्षेत्र के लोगों में भी त्वरित गति से विकास होने की उम्मीद जगी है।
चाकुलिया में कॉलेज पहली प्राथमिकता : समीर
विधायक निर्वाचित होने के बाद दैनिक जागरण से बातचीत में समीर महंती ने कहा कि विधायक के तौर पर वे लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करेंगे। शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी आधारभूत सुविधाओं को धरातल पर उतारने की हर संभव कोशिश करूंगा। समीर ने कहा कि चाकुलिया में डिग्री कॉलेज तथा बहरागोड़ा में महिला कॉलेज खोलना मेरी पहली प्राथमिकता होगी। चिकित्सा के क्षेत्र में बंगाल एवं उड़ीसा पर लोगों की निर्भरता खत्म हो तथा स्थानीय स्तर पर बेहतर इलाज हो इसकी व्यवस्था करूंगा। सरकारी कार्यालयों को दलालों एवं चमचों से मुक्त कराने का प्रयास करूंगा। भ्रष्टाचार रूपी वायरस के खात्मे के लिए पहल करूंगा। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय पार्टी के हर एक कार्यकर्ता एवं पूरे बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र की जनता को देते हुए कहा कि यह चुनाव मैंने नहीं बल्कि जनता ने खुद लड़ा है। चुनाव से पहले विरोधियों ने षड्यंत्र के तहत मुझे जेल भेजने तथा प्रताडि़त करने का भरपूर प्रयास किया।
बहरागोड़ा विधानसभा किसको कितने मिले मत
प्रत्याशी का नाम - पार्टी का नाम - मिले मत
- समीर कुमार महंती - झामुमो - 1,06,017
- कुणाल षड़ंगी - भाजपा - 45452
- स्वपन महतो - माकपा - 8167
- शांति कुमार महतो - भाकपा - 2249
- दुर्गापद घोष - निर्दलीय - 2049
- हरमोहन महतो - झाविमो - 805
- कृतिबास मंडल - निर्दलीय- 801
- बरहा मुर्मू - निर्दलीय - 688
- बिरम सिंह टोपनो - अंबेडकर पार्टी ऑफ इंडिया - 661
- कुलविंदर सिंह - तृणमूल कांग्रेस - 575
- अजय कुमार मिश्रा - निर्दलीय - 540
- विश्वजीत सरकार - निर्दलीय - 493
- आशा रानी पाल -एसयूसीआई - 366
- कृष्ण चंद्र जाना - आमरा बांगली - 357
तीसरे चरण की स्थिति
1 . कुणाल षाड़ंगी, भाजपा- 3228
2. कुलविन्दर सिंह, ऑल इंडिया तृणमूल कॉन्ग्रेस- 57
3. सनत कुमार महतो, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- 176
4. समीर कुमार मोहंती, झामुमो- 13416
5. स्वपन कुमार महतो, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मार्कसिस्ट)-949
6. हरमोहन महतो, झाविमो(प्र)- 96
7. आशारानी पाल, सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया(कम्यूनिस्ट)- 51
8. कृष्णा चंद्र जाना, आमरा बंगाली पार्टी- 34
9. बिराम सिंह तोपनो, अम्बेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया- 73
10. अजय कुमार मिश्रा, निर्दलीय- 40
11. कृतिवास मंडल, निर्दलीय- 109
12. दुर्गापद घोष, निर्दलीय- 256
13. बाढ़ा मुर्मू, निर्दलीय- 73
14. विश्वजीत सरकार, निर्दलीय- 49
नोटा- 165
पहले चरण की स्थिति
1. कुणाल षाड़ंगी, भाजपा- 1346
2. कुलविन्दर सिंह, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस- 23
3. सनत कुमार महतो, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- 88
4. समीर कुमार मोहंती, झामुमो- 6730
5. स्वपन कुमार महतो, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मार्कसिस्ट)- 410
6. हरमोहन महतो, झाविमो(प्र)- 55
7. आशारानी पाल, सोशलिस्ट युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया(कम्यूनिस्ट)- 28
8. कृष्णा चंद्र जाना, आमरा बंगाली पार्टी- 21
9. बिराम सिंह तोपनो, अम्बेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया- 38
10. अजय कुमार मिश्रा, निर्दलीय- 18
11. कृतिवास मंडल, निर्दलीय- 48
12. दुर्गापद घोष, निर्दलीय- 107
13. बाढ़ा मुर्मू, निर्दलीय- 30
14. विश्वजीत सरकार, निर्दलीय- 19
नोटा- 84
सीट की गणना कितने राउंड
- बहरागोड़ा : 264 : 14 : 19
बहरागोड़ा के प्रत्याशी
1.कुणाल षड़ंगी (भाजपा) : कमल फूल
2.समीर कुमार महंती (झामुमो) : तीर-धनुष
3.कुलविंदर सिंह (तृणमूल कांग्रेस) : घास-फूस
4.स्वपन कुमार महतो (कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया-माक्र्सवादी) : हथौड़ा, हंसिया, सितारा
5.सनत कुमार महतो (कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया) : हंसिया-बाली
6.हरमोहन महतो (झाविमो) : कंघी
7.आशारानी पाल (सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया, कम्यूनिस्ट) : कांच का गिलास
8.कृष्णचंद्र जाना (आमरा बंगाली) : बैट्री टॉच
9.विराम सिंह टोपनो (आंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया) : कोट
10. अजय कुमार मिश्रा (निर्दलीय) : फूलगोभी
11. कृतिवास मंडल (निर्दलीय) : हंडी
12. दुर्गापद घोष (निर्दलीय) : पेंसिल बॉक्स
13. बाढ़ा मुर्मू (निर्दलीय) : एयरकंडीशनर
14. विश्वजीत सरकार (निर्दलीय) : अलमारी