Jharkhand Election Result 2019: इन 10 हॉट सीटों पर देश-दुनिया की नजर, गिरेंगे या बचेंगे बड़े विकेट
Jharkhand Election Result 2019 मुख्यमंत्री पूर्व मुख्यमंत्री सहित तमाम शीर्ष नेताओं से जुड़ी हैं ये सीटें...खूब चर्चा में रही भाई-भाई और बहुओं की भी लड़ाई...जानिए समीकरण
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Election Result 2019 बड़े विकेट की घेराबंदी राजनीतिक लिहाज से काफी मुफीद मानी जाती है। झारखंड विधानसभा चुनाव में इसी फार्मूले पर अमल करते हुए तमाम राजनीतिक दलों ने तगड़ी फिल्डिंग सजाई। नतीजा भी सामने दिखा। राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी अपने-अपने क्षेत्रों में कड़े मुकाबले में उलझे दिखे। भले ही राजनीतिक दल अपने इन शीर्ष नेताओं की जीत के दावे की मुनादी कराते फिर रहे हों लेकिन इस हकीकत से मुंह वे भी नहीं मोड़ सकते।
राज्य के शीर्ष नेताओं से जुड़ी सीटों पर सभी की नजर लगी हुई है। इनमें मुख्यमंत्री रघुवर दास की जमशेदपुर पूर्वी भी शामिल है तो नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन की दुमका और बरहेट भी। आजसू प्रमुख सुदेश महतो की सिल्ली पर भी सबकी नजर है और बाबूलाल मरांडी की धनवार सीट पर भी। झरिया व मांडू जैसी कुछ सीटों की चर्चा की भी अपनी ही वजह है। खूब चर्चा में रही भाई-भाई और बहुओं की भी लड़ाई। ऐसी तमाम चर्चित सीटें जहां चुनाव हो चुके हैं या शुक्रवार को होने वाले हैं पर एक नजर डालते हैं।
जमशेदपुर पूर्वी : जमशेदपुर पूर्वी को 2019 के विधानसभा चुनाव की सबसे हॉट सीट है। यहां मुख्यमंत्री रघुवर दास को खुद उन्हीं की सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने कड़ी चुनौती दी। सरयू का टिकट भाजपा ने काट दिया तो उन्होंने मुखिया के खिलाफ ही बगावत का झंडा बुलंद कर दिया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को पांच ट्रिलियन का जीरो समझाने वाले गौरव वल्लभ भी कांग्रेस के टिकट से यहां से चुनाव लड़े। यहां मतदाताओं ने अपना वोट देकर फैसला सुना दिया है, नतीजों का इंतजार है।
मांडू : मांडू सीट की चर्चा की अपनी अलग ही वजह है। यहां एक ही परिवार के तीन भाइयों ने एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोकी। जय प्रकाश भाई पटेल ने चुनाव की घोषणा के कुछ ही दिन पूर्व तीर कमान छोड़कर कमल थाम लिया। वहीं, बड़े भाई राम प्रकाश भाई पटेल ने तीर कमान थाम भाई को चुनौती दी। चचेरे भाई चंद्रनाथ भाई पटेल भी पीछे नहीं रहे। उन्हें झाविमो ने अपना प्रत्याशी बनाया। यहां जीते कोई भी विधायक घर का ही होगा, ऐसी चर्चा जोरों पर है।
सिल्ली : विधानसभा चुनाव में एनडीए से नाता तोड़ आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने 53 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वे खुद सिल्ली से चुनाव लड़े। सिल्ली ने पिछले चुनाव में उन्हें नकार दिया था। उपचुनाव में भी वे चुनाव नहीं जीत सके थे। हालांकि इससे पहले वे लगातार यहां से जीतते रहे हैं। इस बार उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। प्रतिद्वंद्वी झामुमो की महिला प्रत्याशी सीमा महतो है। दोनों ही दलों ने खूब पसीना बहाया है। सिल्ली का मुकाबला इस बार रोचक रहा। यहां की जीत-हार सुदेश पर सुदेश का खुद का राजनीतिक भविष्य टिका है।
रांची : राजधानी की सीट होने के कारण रांची की अपनी ही बात है। मंत्री सीपी सिंह यहां से एक बार फिर भाजपा के प्रत्याशी बनाए गए। वे लगातार इस सीट से जीतते रहे हैं। इस बार भी उनकी जीत-हार को लेकर दावों का दौर जोरों पर है। राजधानी होने के बावजूद रांची में इस बार भी सबसे कम मतदान हुआ है, जिसने प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ा दी है। झामुमो की महुआ मांझी ने सीपी के समक्ष कड़ी चुनौती पेश की है। आजसू की वर्षा गाड़ी और व्यवसायी तबके का प्रतिनिधित्व करते हुए पूर्व पवन शर्मा ने भी खासी मेहनत की है।
धनवार : झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी की उपस्थिति ही इस सीट को हॉट बनाए हुए है। बाबूलाल का सीधा मुकाबला माले के राजकुमार यादव और भाजपा के लक्ष्मण प्रसाद सिंह से हुआ है। बाबूलाल पिछला चुनाव यहां से चुनाव नहीं जीत सके थे। कोडरमा संसदीय सीट जिसके अंतर्गत धनवार विधानसभा आती है वहां से भी वे चुनाव हार चुके हैं। बाबूलाल की जीत-हार पर सिर्फ उनका ही नहीं उनकी पार्टी का वजूद भी टिका हुआ है।
डालटनगंज : पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी की पिस्तौल डालटनगंज में चमकी तो चर्चा दिल्ली तक हुई। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े त्रिपाठी की रिवाल्वर का जोर चला या भाजपा के आलोक चौरसिया को जनता का समर्थन मिला सभी की निगाहें इस पर लगी हुई हैं। पहले चरण में इस सीट पर हुए चुनाव के बवाल ने ही इस सीट को हॉट बना दिया है।
चक्रधरपुर : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को भगवान राम का आशीर्वाद मिलेगा या लोकसभा चुनाव की तरह वे औंधे मुंह गिरेंगे यह चर्चा पूरे प्रदेश में जोरों पर है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने लक्ष्मण की जीत सुनिश्चत करने के लिए यहां हुई जनसभा में राम मंदिर का जिक्र कई बार किया। झामुमो ने यहां अपने मौजूदा विधायक शशिभूषण सामद को हटाकर सुखराम उरांव को टिकट दिया तो सामद ने झाविमो का दामन थाम लिया। अब इस रोचक मुकाबले में कौन किस पर भारी पड़ा सबकी निगाहें इस पर टिकी हुईं हैं।
दुमका : दुमका में विधानसभा चुनाव दो लोगों के बीच नहीं होकर दो बड़े सपनों के बीच है। एक उम्मीदवार हैं हेमंत सोरेन जिन्हें लेकर माना जा रहा है कि उनकी जीत हुई और विपक्ष को बहुमत मिला तो उनके लिए मुख्यमंत्री का पद प्राप्त करना आसान होगा। उनके खिलाफ मैदान में डटे हैं वर्तमान मंत्रिमंडल की सदस्य डॉ. लुइस मरांडी। मरांडी को लेकर माना जा रहा है कि उनकी जीत हुई और भाजपा की सरकार बनी तो एक बार फिर उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। मुकाबला रोचक है। पिछला चुनाव लुइस जीत चुकी हैं और यहां से हाल में ही झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को लोकसभा चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
बरहेट : पिछल चुनाव में बरहेट विधानसभा से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लाज बची थी। सोरेन अपनी सीट दुमका से चुनाव हार गए थे लेकिन बरहेट से जीतकर उन्हें विधानसभा में जाने का मौका मिला। यहां इस बार मुकाबला रोचक हो चुका है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा प्रत्याशी सीमोन मालतो का प्रचार करने पहुंच चुके हैं।
झरिया : झरिया के पूर्व विधायक सूरजदेव सिंह का परिवार कई हिस्सों में बंटकर आपस में ही लड़ रहा है। यहां सूरजदेव सिंह की बहू और संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह भाजपा के टिकट पर तो उनके भाई राजनारायण सिंह की बहू और स्व. नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह कांग्रेस के टिकट पर एक-दूसरे के सामने मोर्चा खोले हुए हैं। पिछले चुनाव में संजीव और नीरज आमने-सामने थे जिसमें संजीव को जीत मिली थी। कुछ महीनों बाद 67 गोलियां मारकर नीरज की हत्या कर दी गई थी और इसके बाद पारिवारिक झगड़ा और बढ़ गया है।