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Jharkhand : सिंहभूम सीट पर जेल से चुनाव जीते थे लक्ष्मण गिलुवा और कृष्णा मार्डी

Lok Sabha Polls 2019. सिंहभूम सीट पर जेल में रहते हुए कृष्णा मार्डी और लक्ष्मण गिलुवा ने जीत दर्ज की थी। कृष्णा मार्डी झामुमो जबकि लक्ष्मण गिलुवा भाजपा के टिकट पर जीते थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 06:48 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 06:48 PM (IST)
Jharkhand : सिंहभूम सीट पर जेल से चुनाव जीते थे लक्ष्मण गिलुवा और कृष्णा मार्डी
Jharkhand : सिंहभूम सीट पर जेल से चुनाव जीते थे लक्ष्मण गिलुवा और कृष्णा मार्डी

चक्रधरपुर, [दिनेश शर्मा]। सिंहभूम लोकसभा सीट पर जेल में रहते हुए कृष्णा मार्डी और लक्ष्मण गिलुवा ने जीत दर्ज की थी। कृष्णा मार्डी झामुमो के टिकट पर जबकि लक्ष्मण गिलुवा भाजपा के टिकट पर जीते थे।

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1991 का चुनाव कृष्णा मार्डी ने जेल में रहते हुए जीता था। नामांकन के दौरान हिंसक संघर्ष के बाद पुलिस ने कृष्णा मार्डी और कांग्रेस प्रत्याशी विजय सिंह सोय को दर्जनों समर्थकों के साथ गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मतदान के दिन दोनों मुख्य प्रत्याशी जेल में थे। झामुमो प्रत्याशी कृष्णा मार्डी ने विजय सिंह सोय को 46,180 मतों से पराजित किया था।

जेल से जीते, शपथ लेने के बाद भेज दिए गए जेल

1999 में सांसद बनने वाले लक्ष्मण गिलुवा चुनाव के समय जेल में बंद थे। हालांकि जल्द ही जमानत पर जेल से निकले। चंद माह पश्चात शपथ लेकर दिल्ली से लौटने के बाद पुलिस ने विजय सिंह सोय हत्याकांड में लक्ष्मण गिलुवा को जेल भेज दिया। लगभग तेरह माह जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर जनसेवा के लिए बाहर निकले। गिलुवा ने 1995 का विधानसभा चुनाव भी जेल से ही लड़कर जीता था। 

कोर्ट तक गया था मधु कोड़ा का मामला 

2009 में निर्दलीय के रूप में चुनाव जीतने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर पैसे के बल पर चुनाव लडऩे का आरोप लगा था। यह मामला कोर्ट तक गया। विभिन्न स्तरों पर जांच पर हुई। कई मामलों के आरोपी रहे सुखराम उरांव वर्ष 2004 में आजसू के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। जबकि वर्ष 2005 में वे चक्रधरपुर विस क्षेत्र से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत चुके हैं।

राजनीतिक दलों ने दी दागदार चेहरों को तरजीह

सिंहभूम में दागदार चुनावी इतिहास की शुरुआत 1991 में चाईबासा में झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रत्याशी कृष्णा मार्डी एवं कांग्रेस प्रत्याशी विजय सिंह सोय के समर्थकों के बीच खूनी संघर्ष से हुई थी। इस चुनाव में प्रत्याशियों एवं उनके समर्थकों को अपराध की दुनिया से अपने रिश्तों को सार्वजनिक करने में तनिक भी झिझक नहीं हुई। यहीं वह मौका था जब राजनीतिक दलों ने भी डंके की चोट पर दागदार चेहरों को मैदान में उतारा। 


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