Move to Jagran APP

जानें, आखिर क्‍यों हिमाचल में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्‍यक्ष सुरेश चंदेल ने थामा कांग्रेस का हाथ

Lok Sabha Election 2019 हिमाचल में लोकसभा राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है हमीरपुर में तीन बार के सांसद और भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुरेश चंदेल रातोंरात कांग्रेसी हो गए हैं।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 08:52 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 09:49 AM (IST)
जानें, आखिर क्‍यों हिमाचल में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्‍यक्ष सुरेश चंदेल ने थामा कांग्रेस का हाथ
जानें, आखिर क्‍यों हिमाचल में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्‍यक्ष सुरेश चंदेल ने थामा कांग्रेस का हाथ

धर्मशाला, नवनीत शर्मा। हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है। मंडी इसलिए चर्चा में थी कि पोते समेत सुखराम कांग्रेस में चले गए थे। अब हमीरपुर में तीन बार के सांसद और भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुरेश चंदेल रातोंरात कांग्रेसी हो गए हैं। भाजपा और कांग्रेस के बीच की नो मेंस लैंड पर खड़े चंदेल के लिए आगे जाना ही विकल्प था, क्योंकि निष्ठाएं संदिग्ध हो चुकी थीं। चंदेल भी देशसेवा करना चाहते थे, लेकिन बकौल चंदेल, पार्टी के पास उनके लिए कोई भूमिका नहीं थी। वह कभी समीरपुर यानी धूमल की ओर देख रहे थे और कभी सिराज यानी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर। जेपी नड्डा ने उनकी मुलाकात अमित शाह से भी करवाई थी, लेकिन ‘भूमिका’ तय नहीं हो पाई।

loksabha election banner

चंदेल कह सकते हैं कि वह टिकट के लिए कांग्रेस में नहीं गए हैं, लेकिन आशय साफ है कि उन्होंने दल इसीलिए बदला है क्योंकि उन्हें कांग्रेस संगठन में किसी निश्चित भूमिका का आश्वासन मिला है। देशसेवा और समाजसेवा के इस अध्याय के बीच यह अवश्य दिखा है कि कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए चंदेल दुख का कारण हैं, जिन्हें टिकट भले ही नहीं मिला, सुक्खू के विरोध के बावजूद कांग्रेस में प्रविष्टि अवश्य मिल गई। तीन चार चेहरों और उनके गुटों में बंटी कांग्रेस में फिलहाल चंदेल को मुकेश अग्निहोत्री और कुलदीप सिंह राठौर का सहारा है। आगे का रास्ता उन्हें स्वयं बनाना है, जिसमें वीरभद्र सिंह हैं, रामलाल ठाकुर हैं, स्थानीय स्तर पर बंबर ठाकुर भी हैं। फिलहाल कांग्रेस में ‘आनंद’ पूर्वक प्रवेश पाने वाला भाजपा के खाद पानी से परवान चढ़ा यह पेड़, बरगदों वाली कांग्रेस की जमीन में अपनी जड़ें कैसे फैलाएगा, यह देखना होगा। इस बीच मुख्यमंत्री जितना जोर सबके लिए और खासतौर पर मंडी के लिए लगा रहे हैं, उतना ही अब भाजपा को हमीरपुर में लगाना चाहिए। धूमल स्वयं उन स्थानों तक जा रहे हैं जहां अनुराग नहीं पहुंचे थे।

प्रचार का परिदृश्य

इधर एक सामान्य छवि यह बन रही है कि प्रचार में कांग्रेस अभी काफी पीछे दिखाई दे रही है। वीरभद्र सिंह कह चुके हैं कि उन्हें जो पसंद है, वह उसका ही प्रचार करेंगे। इधर, दुकानों पर झंडे अथवा झंडियां अगर कोई सूचकांक हैं तो कांग्रेस निर्धन दिखाई दे रही है। कर्नल धनीराम शांडिल ने भी शिमला में प्रचार शुरू नहीं किया है। 

चौकीदार चायवाला...

इस पहाड़ी राज्य में मुद्दे गुम हैं। प्रदेश की आर्थिक स्थिति और संसाधन जुटाने, चंडीगढ़ से हिस्सा लेने, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड से हिस्सा लेने, पौंग बांध विस्थापितों को बसाने, प्रदेश को अपने पैरों पर खड़ा करने, हिमालयन रेजिमेंट आदि की बात सब गौण है। सबका एक ही एजेंडा है, प्रतिद्वंद्वी पर वार... बेशक असंसदीय शब्दों का सहारा लेना पड़े।  

ऐसे में त्रिलोकपुर में चाय वाला मैं भी चौकीदार चायवाला का बोर्ड लगा कर बैठा है। उससे पूछा गया कि क्या आप तक योजनाओं का लाभ पहुंचा? उसने जवाब दिया, मुझे तो दिहाड़ी  लगाकर ही भोजन मिलेगा, रही योजनाओं की बात, तो देश सुरक्षित रहेगा, तो योजनाओं का लाभ भी मिल जाएगा...। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.