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Himachal Politics : चुनाव तय करेगा कौन बनेगा मंत्री

New minister will decide after election अनिल शर्मा के साथ दूसरी बार ऐसा हुआ है कि मंत्री पद छोड़ना पड़ा हो। अब चुनाव तय करेगा मंत्री कौन बनेगा।

By Edited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 11:10 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 12:06 PM (IST)
Himachal Politics : चुनाव तय करेगा कौन बनेगा मंत्री
Himachal Politics : चुनाव तय करेगा कौन बनेगा मंत्री

शिमला, जेएनएन। ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा का त्यागपत्र मंजूर होने पर प्रदेश सरकार में मंत्री का एक पद खाली हो गया है। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 11 सदस्य रह गए हैं। आदर्श आचार संहिता खत्म होने के बाद प्रदेश मंत्रिमंडल में एक मंत्री बनना तय है। ऐसे में मंत्री बनने के लिए सभी विधायक लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक बढ़त दिलाकर अपनी दावेदारी को मजबूत करेंगे।

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कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी किशन कपूर के लोकसभा चुनाव जीतने की स्थिति में जयराम मंत्रिमंडल में दो मंत्रियों के लिए रास्ता खुल जाएगा। मंत्री बनने की दौड़ में कई वरिष्ठ विधायक कांगड़ा व सिरमौर से भी दावेदारी ठोकेंगे। अनिल शर्मा के साथ दूसरी बार ऐसा हुआ है कि मंत्री पद छोड़ना पड़ा हो। इससे पूर्व 1993-97 में वीरभद्र सरकार में अनिल शर्मा का जबरन इस्तीफा लिया गया था। उस समय सुखराम दूरसंचार घोटाले में दोषी पाए गए थे। राजनीतिक हालात ऐसे थे कि उन्हें सरकारी आवास भी तुरंत खाली करना पड़ा था। पहले पिता के कारण और इस बार पुत्र के कारण अनिल को मंत्री पद छोड़ना पड़ा है। पूर्व कांग्रेस सरकार में ही अनिल शर्मा को पूरा कार्यकाल पूरा करने का मौका मिला था।

अनिल के साथ सिर्फ पीएसओ मंत्री पद छिनते ही अनिल शर्मा से सरकार ने स्टाफ वापस ले लिया है। अब केवल उन्हें विधायक की हैसियत से एक पीएसओ मिलेगा। जैसे ही लोकसभा चुनावों की घोषणा हुई थी, सरकार ने सभी मंत्रियों की फा‌र्च्यूनर कार अपने कब्जे में ले ली थी।

यह है सूरत-ए-हाल

-मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अब अनिल शर्मा भाजपा विधायक दल के साधारण सदस्य रह गए हैं।

-अनिल शर्मा भाजपा सदस्यता छोड़ना चाहें तो भी बतौर विधायक वह कांग्रेस में शामिल नहीं हो सकते। तब उनकी विधानसभा सदस्यता कानूनी दायरे में आने से चली जाएगी।

-भाजपा यदि अनिल शर्मा को पार्टी से निकालती है तो भी उनकी सदस्यता पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसी स्थिति में वह विधानसभा में असंबद्ध सदस्य की हैसियत से बैठ सकेंगे।

- अनिल शर्मा घर में इसलिए बैठे रहेंगे ताकि बेटे आश्रय शर्मा को भाजपा के नकारात्मक चुनाव प्रचार का सामना न करना पड़े।

-भाजपा अनिल शर्मा को पार्टी से इसलिए नहीं निकालेगी ताकि वह पार्टी के व्हिप से बंधे रहें। ऐसे में वह सदन में पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं कर सकते हैं।

अनिल की विधानसभा की सदस्यता को खतरा नहीं

कानूनविद मानते हैं कि अनिल शर्मा के मंत्री पद से त्यागपत्र देने पर उनकी विधानसभा की सदस्यता को कोई खतरा नहीं है। केवल एक शर्त पर ही उनकी सदस्यता जा सकती है यदि अनिल शर्मा भाजपा छोड़ने की स्वयं गलती करते हैं। यदि भाजपा उन्हें पार्टी से बाहर करती है तो ऐसी स्थिति में वह विधानसभा में असंबद्ध (अनअटैच) सदस्य के तौर पर बैठेंगे और कार्यकाल पूरा करेंगे। यदि वह चाहें तो किसी भी दल के प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार कर सकते हैं। भाजपा भी चाहे तो अनिल शर्मा को पार्टी से बर्खास्त कर सकती है लेकिन ऐसा भाजपा करेगी नहीं। उस स्थिति में वह आजाद हो जाएंगे और फिर वह पार्टी व्हिप के दायरे में नहीं आएंगे। ऐसा कभी होता है कि कोई मुख्यमंत्री अपने मंत्री की सरेआम बेइज्जती करे।

अब तो अनिल शर्मा के पास दो ही रास्ते थे कि बेइज्जती करवाकर मंत्री पद पर बने रहते या स्वाभिमान बरकरार रखते हुए मंत्री पद छोड़ते जैसा उन्होंने किया है। भाजपा अपनी सरकार के मंत्री की सरेआम बदनामी कर रही थी। चुनाव तो होते रहते हैं मगर मंत्री के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए। - कुलदीप सिंह राठौर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष।

ठीक हुआ कि अनिल शर्मा ने मंत्री पद छोड़ दिया है। लेकिन वह भाजपा विधायक हैं। प्रत्येक भाजपा विधायक की जिम्मेदारी है कि पार्टी के लिए काम करे। - सतपाल सिंह सत्ती, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष।


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