देवभूमि पर जंग : बागी बोल से भाजपा-कांग्रेस में घबराहट
हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनावी सरगर्मी तेज है। खासतौर पर हिमाचल में बागियों ने भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के लिए मुसीबत खड़ी कर रखी है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। एक बार फिर दो राज्यों में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है। हिमाचल प्रदेश में तो नामांकन भी हो चुका है और गुजरात में अभी राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों के नाम पर माथापच्ची कर रही हैं। हिमाचल में नाम वापस लेने का समय भी निकल चुका है। ऐसे में कई नेता अपनी ही पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के रास्ते में खड़े हैं। यानी तमाम मान मनौव्वल के बावजूद कांग्रेस व भाजपा नामांकन वापस लेने की अवधि खत्म होने तक बागियों को नहीं मना पाईं। दोनों दलों से सात-सात नेता टिकट न मिलने के विरोध में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में डटे हैं। इससे पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ना तय है।
कांग्रेस के सात बागी
मंडी जिले के द्रंग में पूर्ण ठाकुर ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है। कांग्रेस के कद्दावर नेता और कैबिनेट मंत्री कौल सिंह ठाकुर अपने ही चेले पूर्ण ठाकुर को नहीं मना पाए हैं। पूर्ण सिंह अपने राजनीतिक गुरु को कैसी टक्कर देते हैं यह तो चुनाव नतीजे आने पर ही पता चलेगा। पूर्व मंत्री सिंघी राम भी बागी हो गए हैं और वह रामपुर चुनाव लड़कर कांग्रेस के मनसा राम के लिए मुसीबतें खड़ी करेंगे। यह नहीं कांग्रेस सरकार मंत्री रहे अनिल शर्मा इस बार भाजपा के टिकट पर मंडी से चुनावी मैदान में हैं और कांग्रेस उम्मीदवार चंपा ठाकुर उन्हें टक्कर देंगी।
5 बागियों ने कांग्रेस नेतृत्व की बात मानी
हालांकि चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए अच्छी खबर यह है कि कांग्रेस पांच बागियों को मनाने में सफल रही है। इनमें नाचन से संजू डोगरा, भोरंज से प्रेम कौशल, ऊना से राजीव गौतम, मनाली से प्रेम शर्मा व बिलासपुर से तिलकराज शर्मा शामिल हैं।
भाजपा के लिए 7 मुसीबतें
राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा एड़ी-चोटी का जोर लगाकर देवभूमि हिमाचल में सत्ता पर काबिज होने के लिए मेहनत कर रही है। पिछला इतिहास भी भाजपा के पक्ष में है, क्योंकि पिछले 9 चुनावों से इस राज्य में कभी भी सत्तारूढ़ पार्टी पर जनता ने भरोसा नहीं दिखाया है। लेकिन 'अनुशासित पार्टी' में भी कुछ बागी नेता हैं और वे चुनावी मैदान से हटने को तैयार नहीं हैं।
कांगड़ा जिले के पालमपुर विधानसभा क्षेत्र में प्रवीण शर्मा ने नामांकन वापस न लेकर अपने राजनीति गुरु शांता कुमार की बात नहीं मानी। प्रवीण को मनाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा भी पहुंचे थे। फतेहपुर सीट पर बलदेव ठाकुर चुनाव लड़कर भाग्य आजमाना चाहते हैं। ऐसे में जिला कांगड़ा में दो स्थानों पर भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। चंबा शहर की सीट से भाजपा के विधायक बीके चौहान भी चुनाव मैदान से हटने को तैयार नहीं हुए। चौहान पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी पवन नैयर के खिलाफ मैदान में जंग लड़ने के लिए तैयार हैं।
गुजरात अभी बाकी है
गुजरात में 9 और 14 दिसंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव की घोषणा से काफी पहले ही शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस को झटका दे दिया था। कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके एक बार फिर से भाजपा में शामिल होने की बातें कहीं जा रही थीं, लेकिन उन्होंने दोनों पार्टियों से किनारा कर लिया। उन्होंने जन विकल्प मोर्चा नाम से एक अलग मोर्चा बना लिया और घोषणा की है कि उनका दल विधानसभा चुनाव लड़ेगा। उधर पाटीदार आंदोलन से निकलकर भाजपा में शामिल होने वाले नरेंद्र पटेल और निखिल सवानी ने पार्टी पर आरोप लगाकर बाहर का रुख कर लिया। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, इस तरह के भाजपा-कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दलों में देखने को मिलेंगे।
यूपी-उत्तराखंड और पंजाब में भी दलबदलुओं ने पैदा की मुसीबत
पिछले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों में भी दलबदलुओं ने लगभग सभी पार्टियों की नाक में दम किए रखा। उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी न सिर्फ चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए, बल्कि अब वह मंत्री भी हैं। बहुजन समाज पार्टी से किनारा करके स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी चुनाव से पहले भाजपा का दामन थामा और आज वे भी मंत्री हैं। समाजवादी पार्टी के अंबिका चौधरी ने चुनाव से पहले बसपा का दामन थाम लिया था।
पंजाब में भाजपा को सबसे बड़ा झटका नवजोत सिंह सिद्धू के रूप में लगा। राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू कांग्रेस में शामिल हुए और विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने पर फिलहाल राज्य सरकार में मंत्री हैं। इसी तरह उत्तराखंड में दो कांग्रेस के आधे दर्जन से ज्यादा मंत्री पार्टी से बगावत करने के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद उनमें से कईयों ने पिछले साल विधानसभा चुनाव भी लड़ा। हरक सिंह रावत, मदन कौशिक, यशपाल आर्य और रेखा आर्य तो मौजूदा भाजपा सरकार में मंत्री भी हैं।