हिमाचल चुनाव: हेलीकॉप्टर न भर पाया उड़ान तो 75 किमी पैदल चलेंगे चुनावकर्मी
मतदान करवाने पहुंचना पड़ेगा 15 से 75 किलोमीटर पैदल, कई मतदान केंद्रों तक पहुंचना किसी परीक्षा से कम नहीं
शिमला। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में लोकतंत्र का पर्व यानी चुनाव कोई आसान काम नहीं है। यहां क्षेत्रीय विषमताएं इतनी ज्यादा हैं कि कई क्षेत्रों तक चुनाव कर्मियों का पहुंचना ही बड़ी बात है। लोकतंत्र व सरकार को सत्ता में काबिज करवाने के लिए पोलिंग पार्टियों को यहां 15 किलोमीटर तक पैदल कठिन यात्रा करनी होगी।
हेलीकॉप्टर नहीं उड़ा तो 75 किमी पैदल
अगर आप 15 किमी सुनकर ही हैरान हैं तो बता दें कि अगर मौसम खराब हुआ और हेलीकॉप्टर न उड़ा तो फिर चुनाव कर्मियों को 75 किलोमीटर तक पैदल सफर करने को भी तैयार रहना होगा। 75 किलोमीटर दूर कांगड़ा जिले के बड़ा भंगाल मतदान केंद्र तक पोलिंग पार्टियों को पहुंचना होगा।
यह है विश्व का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र
हिमाचल प्रदेश में ऐसे भी मतदान केंद्र हैं जो विश्व में सबसे ऊंचा होने का दर्जा हासिल किए हैं, लेकिन इन मतदान केंद्रों तक पहुंचना किसी परीक्षा से कम नहीं है। विश्व के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र जिला लाहुल स्पीति के हिक्किम में इस बार 46 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे। हिमाचल प्रदेश में ऐसे मतदान केंद्र भी हैं जहां पहुंचने के लिए लगभग 15 किलोमीटर तक का पैदल सफर करना पड़ता है। इन मतदान केंद्रों की संख्या दस से अधिक है। चंबा जिले की पांगी घाटी में 11,709 फुट की ऊंचाई पर स्थित चस्क भटोरी मतदान केंद्र ऐसा ही एक मतदान केंद्र है।
तीन-चार दिन का लगता है वक्त
शिमला जिले के रामपुर क्षेत्र में कासा मतदान केंद्र भी इसी श्रेणी में है। कांगड़ा जिले के बड़ा भंगाल मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए 75 किलोमीटर या तो पैदल जाना पड़ता है या फिर वहां केवल हेलीकॉप्टर से पहुंचा जा सकता है। चुनाव आयोग ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों व चुनाव सामग्री को यहां हेलीकॉप्टर की मदद से भेजते हैं। कर्मचारियों को यहां पहुंचने में सामान्य तौर पर तीन से चार दिन का समय लग जाता है।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पुष्पेंद्र राजपूत ने कहा, प्रदेश में बहुत से कठिन मतदान केंद्र हैं जहां तक पहुंचने के लिए 10 से 15 किलोमीटर तक का पैदल सफर पोलिंग पार्टियों को करना होगा। सड़क से मतदान केंद्र की दूरी को लेकर सर्वे किया गया है।
नाव से पहुंचते हैं चुनाव कर्मचारी
प्रदेश में ऐसा भी मतदान केंद्र है जहां पर चुनाव कर्मचारियों को नाव से ही पहुंचना पड़ता है। इसके अलावा अन्य कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं है। कांगड़ा जिले में सत कुठेड़ मतदान केंद्र राज्य का एक मात्र ऐसा मतदान केंद्र है जो पौंग बांध के पानी के बीच स्थित है। यहां पहुंचने के लिए चुनाव कर्मियों को नाव का सहारा लेना पड़ता है। इस मतदान केंद्र में चार सौ से अधिक मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे।
कठिन है चुनाव कर्मियों का मतदान केंद्रों तक पहुंचना
- प्रदेश में 1440 मतदान केंद्रों पर आधा घंटा पैदल चलने के बाद ही पहुंच सकते हैं।
- 810 मतदान केंद्रों पर पहुंचने को तीन से पांच किलोमीटर होगी पैदल यात्रा।
- 90 के करीब मतदान केंद्र ऐसे हैं जहां पांच से दस किलोमीटर पैदल चलना होगा।
- विधानसभा चुनाव में 46 मतदाताओं को दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र में वोट डालने का मौका मिलेगा। यह मतदाता लगभग 15,500 फुट ऊंचे हिक्किम मतदान केंद्र में मतदान करेंगे। गांव को सड़क मार्ग से जोड़ दिया गया है, इसलिए मतदान कर्मियों को यहां आने के लिए पैदल नहीं चलना पड़ता। इस समूचे क्षेत्र को बर्फीले रेगिस्तान के तौर पर जाना जाता है। सर्दियों में यहां पारा शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है।
सबसे कम व सबसे ज्यादा मतदाता
सबसे कम मतदाताओं वाला मतदान केंद्र किन्नौर का गांव है जहां पर केवल छह मतदाता हैं। सबसे अधिक मतदाताओं वाला मतदान केंद्र सोलन जिले का वार्ड नंबर दो है, जिसमें 1889 मतदाता हैं।
सुलह बड़ा विधानसभा क्षेत्र और लाहुल स्पीति छोटा
प्रदेश का सबसे अधिक मतदाताओं वाला विधानसभा क्षेत्र जिला कांगड़ा का सुलह विधानसभा क्षेत्र है जहां पर 95,064 जबकि लाहुल स्पीति विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 22,995 मतदाता हैं। जबकि क्षेत्र के हिसाब से सबसे छोटा विधानसभा क्षेत्र शिमला शहरी है जो 27 वर्ग किलोमीटर में फैला है और लाहुल स्पीति सबसे बड़ा क्षेत्र के आधार पर जो 13,835 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।